कोई नहीं
लेखक की रचनाएं/लेख
राजनीति
- 106 वर्ष प्राचीन पटना संग्रहालय के प्रति बिहार सरकार का शत्रुवत व्यवहार –– पुष्पराज
- इलेक्टोरल बॉण्ड घोटाले पर जानेमाने अर्थशास्त्री डॉक्टर प्रभाकर का सनसनीखेज खुलासा
- कोरोना वायरस, सर्विलांस राज और राष्ट्रवादी अलगाव के खतरे
- जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का तर्कहीन मसौदा
- डिजिटल कण्टेण्ट निर्माताओं के लिए लाइसेंस राज
- नया वन कानून: वन संसाधनों की लूट और हिमालय में आपदाओं को न्यौता
- नये श्रम कानून मजदूरों को ज्यादा अनिश्चित भविष्य में धकेल देंगे
- बेरोजगार भारत का युग
- बॉर्डर्स पर किसान और जवान
- मोदी के शासनकाल में बढ़ती इजारेदारी
- सत्ता के नशे में चूर भाजपाई कारकूनों ने लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से रौंदा
- हरियाणा किसान आन्दोलन की समीक्षा
सामाजिक-सांस्कृतिक
- एक आधुनिक कहानी एकलव्य की
- किसान आन्दोलन के आह्वान पर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा
- गैर बराबरी की महामारी
- घोस्ट विलेज : पहाड़ी क्षेत्रों में राज्यप्रेरित पलायन –– मनीषा मीनू
- दिल्ली के सरकारी स्कूल : नवउदारवाद की प्रयोगशाला
- पहाड़ में नफरत की खेती –– अखर शेरविन्द
- सबरीमाला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश पर राजनीति
- साम्प्रदायिकता और संस्कृति
- हमारा जार्ज फ्लायड कहाँ है?
- ‘प्रतिरोध की संस्कृति’ पर केन्द्रित ‘कथान्तर’ का विशेषांक
व्यंग्य
साहित्य
- अव्यवसायिक अभिनय पर दो निबन्ध –– बर्तोल्त ब्रेख्त
- औपनिवेशिक सोच के विरुद्ध खड़ी अफ्रीकी कविताएँ
- किसान आन्दोलन : समसामयिक परिदृश्य
- खामोश हो रहे अफगानी सुर
- जनतांत्रिक समालोचना की जरूरी पहल – कविता का जनपक्ष (पुस्तक समीक्षा)
- निशरीन जाफरी हुसैन का श्वेता भट्ट को एक पत्र
- फासीवाद के खतरे : गोरी हिरणी के बहाने एक बहस
- फैज : अँधेरे के विरुद्ध उजाले की कविता
- “मैं” और “हम”
समाचार-विचार
- स्विस बैंक में जमा भारतीय कालेधन में 50 फीसदी की बढ़ोतरी
- अगले दशक में विश्व युद्ध की आहट
- अफगानिस्तान में तैनात और ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों की आत्महत्या
- आरओ जल–फिल्टर कम्पनियों का बढ़ता बाजार
- इजराइल–अरब समझौता : डायन और भूत का गठबन्धन
- उत्तर प्रदेश : लव जेहाद की आड़ में धर्मान्तरण के खिलाफ अध्यादेश
- उत्तर प्रदेश में मीडिया की घेराबन्दी
- उनके प्रभु और स्वामी
- एआई : तकनीकी विकास या आजीविका का विनाश
- काँवड़ के बहाने ढाबों–ढेलों पर नाम लिखाने का साम्प्रदायिक फरमान
- किसान आन्दोलन : लीक से हटकर एक विमर्श
- कोयला खदानों के लिए भारत के सबसे पुराने जंगलों की बलि!
- कोरोना जाँच और इलाज में निजी लैब–अस्पताल फिसड्डी
- कोरोना ने सबको रुलाया
- क्या उत्तर प्रदेश में मुसलमान होना ही गुनाह है?
- क्यूबा तुम्हारे आगे घुटने नहीं टेकेगा, बाइडेन
- खाली जेब, खाली पेट, सर पर कर्ज लेकर मजदूर कहाँ जायें
- खिलौना व्यापारियों के साथ खिलवाड़
- छल से वन अधिकारों का दमन
- छात्रों को शोध कार्य के साथ आन्दोलन भी करना होगा
- त्रिपुरा हिंसा की वह घटना जब तस्वीर लेना ही देशद्रोह बन गया!
- दिल्ली उच्च न्यायलय ने केन्द्र सरकार को केवल पाखण्डी ही नहीं कहा
- दिल्ली दंगे का सबक
- देश के बच्चे कुपोषण की गिरफ्त में
- न्यूज चैनल : जनता को गुमराह करने का हथियार
- बच्चों का बचपन और बड़ों की जवानी छीन रहा है मोबाइल
- बीमारी से मौत या सामाजिक स्वीकार्यता के साथ व्यवस्था द्वारा की गयी हत्या?
- बुद्धिजीवियों से नफरत क्यों करते हैं दक्षिणपंथी?
- बैंकों की बिगड़ती हालत
- बढ़ते विदेशी मरीज, घटते डॉक्टर
- भारत देश बना कुष्ठ रोग की राजधानी
- भारत ने पीओके पर किया हमला : एक और फर्जी खबर
- भीड़ का हमला या संगठित हिंसा?
- मजदूरों–कर्मचारियों के हितों पर हमले के खिलाफ नये संघर्षों के लिए कमर कस लें!
- महाराष्ट्र के कपास किसानों की दुर्दशा उन्हीं की जबानी
- महाराष्ट्र में कर्मचारी भर्ती का ठेका निजी कम्पनियों के हवाले
- महाराष्ट्र में चार सालों में 12 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की
- मानव अंगों की तस्करी का घिनौना व्यापार
- मौत के घाट उतारती जोमैटो की 10 मिनट ‘इंस्टेण्ट डिलीवरी’ योजना
- यूपीएससी की तैयारी में लगे छात्रों की दुर्दशा, जिम्मेदार कौन?
- राजस्थान में परमाणु पावर प्लाण्ट का भारी विरोध
- रेलवे का निजीकरण : आपदा को अवसर में बदलने की कला
- लोग पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए क्यों लड़ रहे हैं
- विधायिका में महिला आरक्षण की असलियत
- वैश्विक लिंग असमानता रिपोर्ट
- श्रीलंका पर दबाव बनाते पकड़े गये अडानी के “मैनेजर” प्रधानमंत्री जी
- संस्कार भारती, सेवा भारती––– प्रसार भारती
- सत्ता–सुख भोगने की कला
- सरकार द्वारा लक्ष्यद्वीप की जनता की संस्कृति पर हमला और दमन
- सरकार बहादुर कोरोना आपके लिए अवसर लाया है!
- सरकार, न्यायपालिका, सेना की आलोचना करना राजद्रोह नहीं
- सरकारी विभागों में ठेका कर्मियों का उत्पीड़न
- हम इस फर्जी राष्ट्रवाद के सामने नहीं झुकेंगे
- हाथरस की भगदड़ में मौत का जिम्मेदार कौन
- हुकुम, बताओ क्या कहूँ जो आपको चोट न लगे।
कहानी
विचार-विमर्श
- अतीत और वर्तमान में महामारियों ने बड़े निगमों के उदय को कैसे बढ़ावा दिया है?
- अस्तित्व बनाम अस्मिता
- क्या है जो सभी मेहनतकशों में एक समान है?
- क्रान्तिकारी विरासत और हमारा समय
- दिल्ली सरकार की ‘स्कूल्स ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सलेंस’ की योजना : एक रिपोर्ट!
- धर्म की आड़
- पलायन मजा या सजा
- राजनीति में आँधियाँ और लोकतंत्र
- लीबिया की सच्चाई छिपाता मीडिया
- लोकतंत्र के पुरोधाओं ने लोकतंत्र के बारे में क्या कहा था?
- विकास की निरन्तरता में–– गुरबख्श सिंह मोंगा
- विश्व चैम्पियनशिप में पदक विजेता महिला पहलवान विनेश फोगाट से बातचीत
- सरकार और न्यायपालिका : सम्बन्धों की प्रकृति क्या है और इसे कैसे विकसित होना चाहिए
श्रद्धांजलि
कविता
अन्तरराष्ट्रीय
- अमरीका बनाम चीन : क्या यह एक नये शीत युद्ध की शुरुआत है
- इजराइल का क्रिस्टालनाख्त नरसंहार
- क्या लोकतन्त्र का लबादा ओढ़े अमरीका तानाशाही में बदल गया है?
- पश्चिम एशिया में निर्णायक मोड़
- प्रतिबन्धों का मास्को पर कुछ असर नहीं पड़ा है, जबकि यूरोप 4 सरकारें गँवा चुका है: ओरबान
- बोलीविया में तख्तापलट : एक परिप्रेक्ष्य
- भारत–इजराइल साझेदारी को मिली एक वैचारिक कड़ी
- भोजन, खेती और अफ्रीका : बिल गेट्स को एक खुला खत
- महामारी के बावजूद 2020 में वैश्विक सामरिक खर्च में भारी उछाल
- लातिन अमरीका के मूलनिवासियों, अफ्रीकी मूल के लोगों और लातिन अमरीकी संगठनों का आह्वान
- सउ़दी अरब की साम्राज्यवादी विरासत
- ‘जल नस्लभेद’ : इजराइल कैसे गाजा पट्टी में पानी को हथियार बनाता है
राजनीतिक अर्थशास्त्र
साक्षात्कार
अवर्गीकृत
- एक अकादमिक अवधारणा
- डीएचएफएल घोटाला : नवउदारवाद की एक और झलक
- फिदेल कास्त्रो सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के हिमायती
- बायोमेडिकल रिसर्च
- भाषा और साहित्य के क्षेत्र में भारत को मुसलमानों का महान स्थायी योगदान
- सर्वोच्च न्यायलय द्वारा याचिकाकर्ता को दण्डित करना, अन्यायपूर्ण है. यह राज्य पर सवाल उठाने वालों के लिए भयावह संकेत है