अनियतकालीन बुलेटिन

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अंक 45, मई 2024

संपादकीय

उत्तराखण्ड में लागू समान नागरिक संहिता संविधान की मूल भावना के खिलाफ

18 वीं लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से एक दिन पहले दैनिक जागरण अखबार के पहले पन्ने पर एक खबर छपी जिसका शीर्षक था, “समान नागरिक संहिता की जरूरत पूरा देश महसूस कर रहा है, विरोध छोड़े विपक्ष”–– मोदी। आगे लिखा था कि “कुछ दिन पहले भाजपा के घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता...

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ब्लॉग

फासीवाद का भविष्य: कार्लो गिन्ज़बर्ग से जोसेफ कन्फावरेक्स की बातचीत

(यह बातचीत ‘मीडियापार्ट’ में सबसे पहले 20 सितम्बर, 2022 में फ्रेंच में- ‘Le fascisme a un futur’ शीर्षक…

सृजनशीलता हमेशा सामजिक होती है।

शीर्षक 'सृजनशीलता हमेशा सामजिक होती है' से लिखा गया यह लेख एजाज अहमद की महत्वपूर्ण रचनाओं में से एक है। उन्होंने सृजनशीलता…

अपने बेटे के लिए उसके पहले जन्मदिन पर गाजा में लिखा एक पत्र

चाहे जो हो, मेरे बच्चे, हम तुम्हारा पहला जन्मदिन मनाएंगे। जब से तुम पैदा हुए हो, कैस,  मैंने पिता के रूप में जिंदगी के उद्देश्य…

उन्नीसवीं सदी का भारतीय पुनर्जागरण : यथार्थ या मिथक

(एक) पिछले पच्चीस-तीस वर्षों से मैं इस पर सोचता रहा हूं और इस विषय पर कुछ खंड लिख भी चुका हूं. 19वीं सदी के गुजराती साहित्य में…

परम पूँजीवाद

फ्रांसीसी कवि चार्ल्स बुडले ने 1864 में लिखा था कि ‘शैतान का सबसे चालाक प्रपंच होता है आपको यह समझाना कि उसका तो कोई अस्तित्व…

देश विदेश के इस अंक में

जीवन और कर्म

साहिर लुधियानवी : मेरे गीत तुम्हारे हैं

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साहिर लुधियानवी का बाकमाल शेर है, खुद्दारियों के खून को अर्ज़ां1 न कर सके, हम अपने जौहरों2 को नुमाया न कर सके।   (1– सस्ता  2– गुणों को) खुद्दारी हमेशा उनके लिए बेशक़ीमती रही। इसे कभी उन्होंने सस्ते में नहीं लिया और न ही ऐसा करने की ज़ुर्रत किसी को करने… आगे पढ़ें

हिन्दू–मुस्लिम सौहार्द के विलक्षण पैरोकार काजी नजरुल इस्लाम

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काजी नजरुल इस्लाम हिन्दू–मुस्लिम सौहार्द के विलक्षण पैरोकार और महत आकांक्षी बांग्ला कवि–लेखक थे। वे आधुनिक बांग्ला काव्य और संगीत के क्षेत्र में एक युग प्रवर्तक थे। प्रथम महायुद्ध के बाद आधुनिक बांग्ला काव्य में रवीन्द्रनाथ टैगोर के बाद केवल काजी नजरुल इस्लाम ही… आगे पढ़ें

राजनीतिक अर्थशास्त्र

अमरीका में फैक्टरी फार्मिंग का विकास और पारिवारिक पशुपालन का विनाश

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अमरीका की खेती में निगमीकरण के बढ़ते प्रभाव को देखने पर कई दिलचस्प तथ्य सामने आते हैं। मसलन, लागतों, मशीनरी और पैदावार पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का नियन्त्रण, फैक्टरी फार्मिंग का उदय तथा ग्रामीण पारिवारिक खेती और पशुपालन का विनाश आदि। आज अमरीका में फैक्टरी फार्मिंग के विस्तार… आगे पढ़ें

मोदी के शासनकाल में अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा

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लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि “पिछले 10 साल के शासन में हमने लोगों की आय दोगुनी करके उनकी जिन्दगी बेहतर बनायी है, अब जनता इस देश में अपना भविष्य सुरक्षित समझती है”। प्रधानमंत्री मोदी ने भी एक चुनाव रैली के दौरान… आगे पढ़ें

राजनीति

इलेक्टोरल बॉण्ड घोटाले पर जानेमाने अर्थशास्त्री डॉक्टर प्रभाकर का सनसनीखेज खुलासा

पत्रकार– नमस्कार मैं दीपक शर्मा। दोस्तो, मोदी सरकार के भ्रष्टाचार की जो लोग कलई खोल रहे हैं या जो ऐतराज कर रहे हैं या सवाल उठा रहे हैं ऐसे लोगों को क्या प्रधानमन्त्री मोदी डराने की कोशिश कर रहे हैं? धमकी देने की कोशिश कर रहे हैं? अब ये आरोप मैं नहीं लगा रहा हूँ, ये गम्भीर… आगे पढ़ें

चुनावी बॉण्ड घोटाला : भाजपा को चन्दा, कम्पनियों को धन्धा और जनता को फन्दा

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15 फरवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट के पाँच न्यायाधीशों की पीठ ने चुनावी बॉण्ड (या इलेक्टोरल बॉण्ड) को गैर–संवैधानिक करार दिया। इसने राजनीतिक गलियारे में एक तूफान खड़ा कर दिया। पहले से ही कयास लगाये जा रहे थे कि चुनावी बॉण्ड के जरिये मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने बहुत अधिक रकम… आगे पढ़ें

यूरोपीय और भारतीय किसानों के आन्दोलन और उनके साझे मुद्दे

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–– सोमा एस मोरला, पूरे यूरोप में चारों तरफ किसान आन्दोलन कर रहे हैं। उनकी प्रमुख माँग है फसल के लिए सुनिश्चित और उचित मूल्य। इसके लिए सरकार द्वारा किये गये वादे को पूरा नहीं करने के खिलाफ वे आन्दोलन कर रहे हैं। किसानों ने हजारों ट्रैक्टरों समेत पेरिस की ओर जाने वाले… आगे पढ़ें

साहित्य

औपनिवेशिक सोच के विरुद्ध खड़ी अफ्रीकी कविताएँ

–– भगवान स्वरूप कटियार, ‘अफ्रीकी कविताएँ’ नाम से गार्गी प्रकाशन से प्रकाशित अफ्रीकी कविताओं की यह किताब कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। पहली बात यह किताब मंगलेश डबराल जैसे बड़े और संवेदनशील कवि की अनुपस्थिति के सूनेपन को भरने की कोशिश करती है। इस किताब… आगे पढ़ें

बड़ों के दुख की बच्चों पर छाया

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हिन्दी गोबरपट्टी का आज भी यह सौभाग्य है कि जब बड़े–बड़े मीडिया घरानों ने हिन्दी की व्यावसायिक पत्रिकाएँ लगभग बन्द कर दी हैं और जब अंधविश्वासी– साम्प्रदायिक सोच चरम पर है, तब भोपाल से बच्चों की दो गैर व्यावसायिक और महत्वपूर्ण पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं––… आगे पढ़ें

श्रद्धांजलि

डॉ– रोज डगडेल : आयरिश स्वतंत्रता सेनानी को क्रान्तिकारी सलाम

आधी सदी से भी अधिक समय तक आयरिश आजादी के लिए लड़ने वाली डॉ– रोज डगडेल अब नहीं रहीं। 27 मार्च 2024 को डबलिन के ग्लासनेविन कब्रिस्तान में उनकी अन्तिम विदाई में विशाल जन–सैलाब उमड़ पड़ा। 18 मार्च को 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। रोज डगडेल का जन्म इंग्लैंड में… आगे पढ़ें

व्यंग्य

साँपों की सभा

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‘तुम में जहर नहीं है, इसलिए तुम कमजोर हो!’ साँप ने चूहे से कहा। ‘जिसके अन्दर जहर होता है, दुनिया उसकी इज्जत करती है–––उनका सिक्का चलता है।’ चूहा ध्यान से सब सुनता रहा। ‘जब तुम्हारे पास जहर होगा, तभी लोग तुमसे डरेंगे!’ साँप… आगे पढ़ें

विचार-विमर्श

भारत की शैक्षणिक और वैज्ञानिक बुनियादों पर व्यवस्था–जनित खतरा

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भाजपा सरकार रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट (आरएण्डडी) को प्रोत्साहित नहीं कर रही है। उच्च शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों की फंडिंग में लगातार कटौती हो रही है। स्कॉलरशिप न मिलने के चलते शोधकर्मी आन्दोलन करने पर मजबूर हो रहे हैं। भारत में पहले से ही शोध–अनुसंधान के लिए मूलभूत ढाँचे… आगे पढ़ें

अन्तरराष्ट्रीय

गाजा नरसंहार पर हिलेरी क्लिंटन के बयान का विरोध

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फिलिस्तीन की गाजा पट्टी में इजरायल द्वारा किये जा रहे नरसंहार को अब छ: महीने से ज्यादा हो चुके हैं। दुनियाभर के इनसाफपसन्द लोगों और मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले समूह इस नरसंहार और कत्ल–ओ–गारत को तुरन्त रोकने की माँग लगातार उठा रहे हैं। बावजूद इनके, इस तबाही के रुकने… आगे पढ़ें

वह शख्स जिसके नक्शेकदम पर चलता है नेतन्याहू

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––क्रिस बैम्बेरी, अगर कोई एक नेता है जिसका वर्तमान इजरायली प्रधानमंत्री, बेंजामिन नेतन्याहू अनुसरण करता है, तो वह है जीव जाबोटिंस्की, जिसने संशोधनवादी यहूदीवाद की स्थापना की जो नेतन्याहू की लिकुड पार्टी का वैचारिक आधार है। इजराइल में 2005 से ही, जाबोटिंस्की को सम्मानित… आगे पढ़ें

समाचार-विचार

10 साल के मोदी राज में महिलाओं की हालत

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जब हम इंटरनेट पर मोदी राज में महिलाओं की स्थिति के बारे में सर्च करते हैं तो मोदी सरकार की चाटुकर मीडिया की खबरें फटाफट खुलती चली जाती हैं। टीवी चैनल और अखबार तो मोदी सरकार के हाथ की कठपुतली बने ही हुए हैं। इनकी खबरों में खुद नरेंद्र मोदी द्वारा महिलाओं की दशा सुधारने के दावे… आगे पढ़ें

10 सालों में रोजगार और वेतन में भारी गिरावट

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18वें लोकसभा चुनाव शुरू होने से ठीक एक महीने पहले मार्च में तीन ऐसी रिपोर्टें आयी हैं, जो भारत में रोजगार और वेतन में गिरावट की भयावह स्थिति को उजागर करती हैं और 10 सालों से केन्द्र में सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार के दावों की हकीकत को जनता के सामने लाती हैं। ये रिपोर्टें हैं––… आगे पढ़ें

अगले दशक में विश्व युद्ध की आहट

हाल ही में यू–गोव संस्था ने अमरीका में एक नया सर्वे किया है जिसके अनुसार 61 प्रतिशत अमरीकी मानते हैं कि अगले पाँच से दस वर्षों में विश्व युद्ध छिड़ने की बहुत अधिक सम्भावना है। उनमें से लगभग दो–तिहाई लोगों ने कहा कि विश्व युद्ध परमाणु संघर्ष में बदल सकता है। यह इनसानियत… आगे पढ़ें

आरओ जल–फिल्टर कम्पनियों का बढ़ता बाजार

इतिहास में दर्ज सभ्यताएँ सबसे पहले नदियोंे के किनारे विकसित हुर्इं। अगर वहाँ साफ पानी न होता तो शायद यह सभ्यताएँ कभी वहाँ पैदा ही न होती। हमारी पृथ्वी को नीले ग्रह के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहाँ जल का विशाल भण्डार है। इसके चलते ही यहाँ जीवन सम्भव हो पाया है और इनसानी शरीर… आगे पढ़ें

कम्पनी राज : देश की शासन व्यवस्था प्राइवेट कम्पनियों के ठेके पर

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30 जनवरी, 2024 को इंडियन एक्सप्रेस ने एक दिलचस्प खबर प्रकाशित की। उन्होंने आरटीआई के जरिये तमाम मंत्रालयों के अलग–अलग विभागों में कार्यरत सलाहकार तथा अन्य कर्मचारियों की संख्या के बारे में जानकारी हासिल की थी। खबर का शीर्षक था ‘कम्पनी राज’। इसके अनुसार भारत… आगे पढ़ें

गोदी मीडिया का विकल्प

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रामधारी सिंह दिनकर के शब्द “जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनके भी अपराध” गोदी मीडिया पर कब लागू होंगे यह तो समय बताएगा ही, लेकिन इसी दौर में कुछ चिराग इस अंधेरी रात में लगातार टिमटिमाते हुए हमें आगे बढ़ने का सन्देश और हिम्मत प्रदान कर रहे हैं। अंग्रेजी दैनिक ‘हिन्दू’… आगे पढ़ें

देश में तानाशाही की आहट

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2014 से अब तक नरेन्द्र मोदी की राजनीति हिन्दुत्व की पैकेजिंग और विकास के ढोल, अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत और साथ ही इन सबको सही ठहराने के लिए इतिहास की विकृति पर टिकी है। 2024 का चुनाव नजदीक आते ही सरकार का प्रयास है कि देश के हर आदमी की जुबान पर नरेन्द्र मोदी का नाम रहे। इसलिए… आगे पढ़ें

नये आपराधिक कानून : लोकतंत्र के ताबूत में एक और कील

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हाल ही में मौजूदा केन्द्र सरकार ने भारतीय दण्ड संहिता, भारतीय आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदल कर नये कानून लागू किये हैं। सरकार ने दावा किया है कि इनमें किये गये बदलावों का मकसद ब्रिटिश विरासत को समाप्त करना और मौजूदा दौर के हिसाब से कानून गढ़ना है।… आगे पढ़ें

पाकिस्तान में चुनाव और दो प्रतिक्रियावादी गिरोहों का टकराव

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पाकिस्तान में 8 फरवरी 2024 को राष्ट्रीय और प्रान्तीय असेम्बली के चुनाव में फौजी अफसरों की दखलन्दाजी, नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग–एन के छल फरेब और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी की सौदेबाजी खुलकर सामने आयी। चुनाव से पहले ही इमरान खान पर बहुत से केस लगाकर… आगे पढ़ें

बेरोजगार भारतीय मजदूर इजराइल जाने के लिए विवश

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हाल ही में उत्तर प्रदेश और हरियाणा की भाजपा सरकार ने इजराइल में मजदूरी के लिए भर्ती अभियान चलाया। इजराइल सरकार ने मजदूरों की भर्ती के लिए पन्द्रह अधिकारियों की एक टीम भारत भेजी। इस भर्ती अभियान में दोनों राज्यों से बीस हजार मजदूरों को लिया जाना है। इजराइल में जाने के बाद इन… आगे पढ़ें

भाजपा विपक्ष को तबाह करने पर क्यों तुली है?

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लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। यह देश की पहली घटना है जब किसी मुख्यमंत्री को उनके कार्यकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि ईडी ने शराब नीति घोटाले में बिना किसी ठोस सबूत के केवल एक बयान… आगे पढ़ें

भाजपा सरकार में मुसलमानों और ईसाइयों पर बढ़ते हमले

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बीते दिनों दिल्ली प्रशासन ने खजुरीखास में स्थित वकील हसन का घर ढहा दिया। वकील हसन उन रैट माइनर मजदूरों में एक हैं, जिन्हांेने बड़ी बहादुरी के साथ दिसम्बर में उत्तराखण्ड की सिल्क्यारा सुरंग में फँसे हुए 44 मजदूरों को जिन्दा बाहर निकाला था जो एक निजी कम्पनी और प्रशासन की लापरवाही… आगे पढ़ें

मेडिकल कोलेज में दाखिले से लेकर स्वास्थ्य सेवाएँ तक पूँजीवादी असमानता का शिकार

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पिछले 3 दशकों से भारत में स्वास्थ्य शिक्षा का भारी निजीकरण किया गया है। 2024 में अब तक का परिणाम यह है कि कुल एमबीबीएस सीटों में से लगभग आधी सीटें निजी मेडिकल कॉलेजों के हाथों में हैं। इन कॉलेजों में एमबीबीएस उम्मीदवार के लिए औसत वार्षिक पढ़ाई फीस प्रति वर्ष 15 लाख रुपये से 20… आगे पढ़ें

राज्य बनाने के लिए लद्दाख की जनता का आन्दोलन

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26 मार्च 2024 को जब तापमान शून्य से 10 डिग्री नीचे था तब लेह में साढ़े तीन सौ से अधिक लोग सोनम वांगचुक के साथ खुले असमान के नीचे भूखे सोये। इस आन्दोलन में बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएँ, नौजवान, बौद्ध भिक्षु सहित सभी धर्मों के लद्दाखी लोग शामिल हुए। उन्होंने इस भूख हड़ताल का नाम क्लाइमेट… आगे पढ़ें

विपक्षी मुख्यमंत्रियों का दिल्ली में धरना प्रदर्शन

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8 फरवरी 2024 को नयी दिल्ली में जन्तर–मन्तर पर केन्द्र सरकार के खिलाफ विपक्षी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने विरोध प्रदर्शन किया। मुद्दा था–– केन्द्र सरकार द्वारा उनके राज्यों को धन के आवंटन में उपेक्षा और पक्षपात का। विरोध प्रदर्शन में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई… आगे पढ़ें

संकट में लोकतंत्र : तानाशाही की ओर उत्तराखण्ड

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उत्तराखण्ड लोक तथा निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अध्यादेश–2024 अठारहवीं सदी की शुरुआत में जब ब्रिटेन में जनता बेरोजगारी, भुखमरी से त्रस्त थी तो ब्रिटेन की संसद ने जनता के प्रतिरोधों से निपटने और उसे निर्ममता से कुचलने के लिए 1715 में राइट एक्ट (दंगा अधिनियम) बनाया और तर्क… आगे पढ़ें

सरकार डिजिटल तानाशाही लागू करने की फिराक में

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आज हमें किसी आन्दोलन, सम्मेलन या किसी जनसंघर्ष के बारे में जानकारी लेनी हो तो हम गूगल, याहू जैसे किसी सर्च इंजिन पर सर्च करेंगे या यूट्यूब जैसे किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जाकर कुछ–एक विडियो देख सकते हैं या किसी विशेषज्ञ की कुछ ऑनलाइन पोस्ट्स को किसी सोशल मीडिया साइट्स (फेसबुक,… आगे पढ़ें

हसदेव वन क्षेत्र बचाओ आन्दोलन

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हसदेव वन क्षेत्र, छत्तीसगढ़ के तीन जिलों सूरजपुर, सरगुजा और कोरबा में 170,000 हेक्टेयर यानी 1700 वर्ग किलोमीटर भूमि में फैला हुआ है। तीन हजार किस्म के दुर्लभ औषधीय पेड़–पौधे से समृद्ध यह वन, महुआ, साल, तेंदूपत्ता जैसे वन सम्पदाओं से भी भरा है। इसके किनारे से कल–कल… आगे पढ़ें

कविता

अपने लोगों के लिए

अफ्रीकी–अमरीकी महिला उपन्यासकार और कवि मार्गरेट वाकर (1915–1998) की राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कविता–– अपने उन लोगों के लिए जो गाते हैं हर कहीं अपनी दासता के गीत निरन्तर : अपने शोकगीत और पारम्परिक गीत अपने विषाद गीत और उत्सव–गीत, जो दोहराते आ रहे… आगे पढ़ें