विजय गुप्त
लेखक की रचनाएं/लेख
जीवन और कर्म
साहित्य
- अकबर इलाहाबादी : जो अक्ल को न बढ़ाये वो शायरी क्या है
- असरार उल हक ‘मजाज’ : ए गमे दिल क्या करूँ
- इब्ने इंशा : ख़ामोश रहना फ़ितरत में नहीं
- जोश मलीहाबादी : अंधेरे में उजाला, उजाले में अंधेरा
- नजीर अकबराबादी : जनता और जमीन का शायर
- फिराक गोरखपुरी : जिन्दा अल्फाजों का शायर
- मखदूम मोहिउद्दीन : एक दहकती हुई आग
- मिर्ज़ा ग़ालिब : फिर मुझे दीद–ए–तर याद आया
- मीर तकी मीर : ‘पर मुझे गुफ्तगू आवाम से है’
- हसरत मोहानी : उर्दू अदब का बेमिसाल किरदार