अनियतकालीन बुलेटिन

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व्यंग्य

क्ष ख् ज्ञ त्र श-ष श्र 1 2 3 4 5 6 7 8 9

  1. अगला आधार पाठ्यपुस्तक पुनर्लेखन –– जी सम्पत

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  1. आजादी को आपने कहीं देखा है!!!

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  1. इन दिनों कट्टर हो रहा हूँ मैं–––

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  1. चरण पखारो कुम्भ : इन ‘पानी परात को हाथ छुयो नहीं’ स्टाइल
  2. चरणों में कैसे आ गये ?

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  1. दिखावे बहुत हो चुके! अब जरूरत है दिल, दिमाग और जवाबदेही से योजना बनाने की

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  1. नुसरत जहाँ : फिर तेरी कहानी याद आयी

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  1. प्रधानमंत्री की छवि बनाना भी हमारा राष्ट्रीय और नागरिक कर्तव्य
  2. प्रेमचन्द के फटे जूते 

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  1. बडे़ कारनामे हैं बाबाओं के

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  1. राजा और नट

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  1. विष्णु नागर के दो व्यंग्य
  2. वे ईमान और न्याय क्या धर्म तक बेच देते हैं!

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श्र-श ऊपर

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  1. साँपों की सभा

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  1. हिन्दू–हृदय सम्राट राज कर रहे हैं कृपया बाधा उत्पन्न न करें

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