अगला आधार पाठ्यपुस्तक पुनर्लेखन –– जी सम्पत
व्यंग्य(आजकल सोशल मीडिया पर और खास तौर से व्हाट्सएप पर जिस तरह की मूर्खतापूर्ण, अन्धविश्वासी और अवैज्ञानिक बातों की बाढ़ आयी हुई है, उसे देखकर किसी भी समझदार इनसान को हँसी जरूर आयेगी, लेकिन यह बात हास्यास्पद से अधिक दुखदायी है क्योंकि ऐसी बातों के प्रभाव में आकर नयी पीढ़ी गुमराह हो रही है। बात तब और भी खतरनाक स्तर तक पहुँच जाती है जब सरकारें भी इस मूर्खतापूर्ण अभियान में शामिल हो जायें। मौजूदा दौर इसकी एक मिसाल है, जब स्कूली पाठ्यक्रम में इसी तरह के बदलाव किये जा रहे हैं। उसी को अपने व्यंग्य बाण का निशाना बनाते हुए जी सम्पत की यह रचना ‘द हिन्दू’ में छपी थी, जिसका साभार अनुवाद यहाँ दिया जा रहा है। दरअसल, इसमें लेखक ने अपने सुझावों को देकर पाठ्यक्रम में मौजूदा बदलावों का मजाक ही उड़ाया है।–– सम्पादक)
स्कूली पाठ्यपुस्तकों के आगामी वैज्ञानिक पुनर्गठन के लिए कुछ नये सुझाव––
क्या आपने एनसीईआरटी की संशोधित पाठ्यपुस्तकों को देखा है? वे शानदार है। उन्होंने अध्यायों से मुगल (मुगलई चिकेन की मौजूदगी यह तय नहीं करती कि मुगल इनसान मौजूद थे), 2002 गुजरात दंगे, (दूसरा मिथक, जैसे एलियन बेहतर जीवन की तलाश में अमरीका पहुँचें) और आन्दोलन (बच्चे ‘गोली मारो––– ’ जैसे राष्ट्रीय गीत अच्छे से सीख रहे है।) जैसी खराब बातों को निकालकर सराहनीय काम किया है।
इस पर भी ज्यादा पढे–लिखे बुद्धिजीवियों का लोकतंत्र, समानता और गांधी जी की हत्या कैसे हुई जैसे कुछ अंशों को हटाने की बात का बतंगड बनाना जी जलाने वाला है। ये लोग स्कूली शिक्षा का उद्देश्य भूल गये हैं–– यह निश्चित रूप से हर बच्चे को जेएनयू का छात्र बनाना नहीं है।
पाठ्यपुस्तकों के इस वैज्ञानिक पुनर्गठन के पीछे के विचार के बारे में मुझे शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी से पूछने का मौका मिला। उसने कहा, “देखों, अधिकतर लोकतंत्र में कमियाँ हैं। उनके नेता ठीक नहीं हैं। इससे बच्चों को लोकतान्त्रिक अधिकारों के बारे में पढ़ना पड़ता है, आदि, जिससे वे सरकार का विरोध कर सकें, जब सरकार कुछ मूर्खतापूर्ण काम करती है, जैसे–– नोटबन्दी और किसान विरोधी कानून। लेकिन भारत लोकतंत्र की माँ है। यहाँ नागरिकों का केवल एक कर्तव्य है––आज्ञापालन।
“क्या पहले से ही सभी को कानून का पालन करने के लिए नहीं पढ़ाया जाता है?”
उसने कहा, “यह अलग तरह का आज्ञापालन है।”
“यदि वे सोलह घण्टे लाइन में खड़े रहने के लिए कहते हैं तो उन्हें चुपचाप खड़े रहना चाहिये। यदि वे कहते हैं कि तुम दूसरे धर्म या समान लिंग में शादी नहीं कर सकते, उन्हें जरूर इसका पालन करना चाहिए। यदि सरकार आदेश देती है कि उन्हें अपना पैन कार्ड आधार कार्ड से जोड़ना है और आधार कार्ड शौचालय से, तो उन्हें अच्छे से पालन करना चाहिये।
“मैं पहले ही अपना आधार कार्ड शौचालय से जोड़ चुका हूँ।”, मैंने कहा।
उन्होंने कहा, “तुम एक आदर्श नागरिक हो।” अपने बच्चों को एक ऐसे जिम्मेदार वयस्क के रूप में विकसित करना दूरगामी उद्देश्य है जो अपने चुने हुए राजा की अंधभक्ति करें और अपनी बेरोजगारी के दिनों में उनका लठैत या दंगें और युद्धों में बली का बकरा बनकर गुजारें।
जैसे ही मैंने उनके शब्दों पर सोचना शुरू किया, मेरा दिमाग पाठ्यपुस्तकों के आगामी वैज्ञानिकीकरण के लिए नये सुझावों पर विचरने लगा। तब से मेरा दिमाग इतिहास और राजनीतिक विज्ञान पर सोच रहा है।
यहाँ आधार विषयों को बदलने के लिए मेरे कुछ सुझाव है––
भौतिक विज्ञान
आर्कमडीज एक ग्रीक गणितज्ञ था जो बचपन में वाराणसी से यहाँ आकर बस गया था, उसने आर्कमडीज के सिद्धांत को खोजा जो बताता है कि गंगा जल में डूबी वस्तु पर ऊपर की ओर लगने वाला बल वस्तु द्वारा हटाये गये गंगा जल के भार के बराबर होता है। आर्कमडीज ने यह खोज अपने बाथटब में नहाते हुए की थी, वह बहुत उत्साहित हुआ, और “भारत माता की जय” चिल्लाते हुए नंगे ही घर से बाहर भाग पड़ा।
राष्ट्रवादी बीजगणित
समीकरण a+b की कोष्ठक का होल वर्ग, यदि तुमने हल कर लिया तो तुम्हें यह परिणाम मिलेंगे––a का वर्ग जमा b का वर्ग और जमा 2ab, तुम्हें मिला यह फालतू 2ab कहाँ से मिला? यह उस अतिरिक्त ऊर्जा से मिला है जो साथ होने और भरोसा करने से मिलती है। 2ab की यह अतिरिक्त ऊर्जा किसी को भी कड़े फैसले लेने की ताकत देती है। सभी बच्चों को इस अतिरिक्त ऊर्जा का इस्तेमाल राष्ट्र को आगे बढ़ाने में अवश्य करना चाहिये।
तांत्रिक विज्ञान
कुछ चमत्कारिक लोग दृश्यों को जमा करने और बढ़ाने की विकसित क्षमताओं के साथ पैदा होते हैं। उनका दिमाग किसी पेज की लाइनों को पढ़ने के बजाय आसानी से पेज का फोटो ले लेता है। इस तरह वह व्यक्ति एक क्षण में पूरे पेज का सार ग्रहण कर लेता है। यह कैमरे पर व्यक्ति की यादों को अच्छा बनाता है। प्रतिभावान व्यक्ति जिसके पास यह विशेष तंत्रिका संबंधी शक्ति होती है उन्हें ‘चित्रमय याददाश्त’ वाला व्यक्ति कहा जाता है।
जीव विज्ञान
स्टेम सेल तकनीक 45 सौ वर्षों पहले भारत में खोजी गयी थी। इसका इस्तेमाल कौरवों द्वारा किया गया था। उन्होंने इसे महान उपलब्धियों के रूप में इस्तेमाल किया, जैसा महाभारत में दर्ज है। प्राचीन भारत में स्टेम सेल तकनीक का इस्तेमाल जीववैज्ञानिकों द्वारा क्लोन बनाने में किया जाता था। जीववैज्ञानिकों द्वारा खोजी गयी स्टेम सेल तकनीक का इस्तेमाल क्लोन बनाने के लिए किया गया और यह जीववैज्ञानिक ही थे जिन्होंने अनोखी प्लास्टिक सर्जरी तकनीक का आविष्कार किया जिसका प्रसिद्ध प्रयोग एक हाथी के सिर को इनसान के शरीर पर लगाने में हुआ।
खगोल भौतिकी
भारत से श्री नवेली आर्मस्ट्रांग चन्द्रमा पर कदम रखने वाले पहले मानव हैं, जो उन्होंने 2014 में किया। भारत एक अकेला देश भी है, जिसने 14 अलग–अलग आकाश गंगाओ में 17 ग्रहों पर पुष्पक विमान भेजा है। भारत इस समय एक या दो नहीं 1–4 अरब लोगों को ब्लैक होल में भेजनेवाला देश बनने की कगार पर है।
मैं एनसीईआरटी से इन सभी सुझावों को आगामी वैज्ञानिक नवीनीकरण में शामिल करने की अपील करता हूँ।
अनुवाद–– सत्येन्द्र सिद्धार्थ
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