संस्कार भारती, सेवा भारती––– प्रसार भारती
समाचार-विचारआज अधिकांश लोगों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) हमारे देश और समाज की जमीन पर लगातार बढ़ने और फैलने वाला एक बेहद जहरीला पेड़ है। क्या यह सच है ? आज संघ के लोग सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति बनाकर अपना देश प्रेम का दिखावा कर रहे हैं, जबकि सरदार पटेल ने गृहमंत्री रहते हुए इस संगठन पर प्रतिबन्ध लगाकर इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया था। आरएसएस की जड़ें हमारे समाज में जितनी गहराई में उतरती गयीं उसकी जहरीली टहनियाँ भी उतनी ही फैलती गयीं। इनमें से एक है–– गीत–संगीत या कला के प्रसार के नाम पर 1981 में बनीं संस्कार भारती। दूसरी है–– 1989 में बनीं सेवा भारती जो गरीब आदिवासियों और झुग्गियों में रहनेवाले गरीब बच्चों को शिक्षा देने या कौशल विकास (कम्प्यूटर, मोबाईल रिपेयरिंग जैसे कोर्स कराने) के नाम पर बच्चों में जाति–धर्म का नफरत भरती है।
1991 में आरएसएस ने एक और संस्था विज्ञान भारती बनायी थी, जो गोबर खाकर तन्दरुस्त रहने या नाली से गैस निकालकर पकौड़े तलने जैसे छद्मविज्ञान परोसकर और विज्ञान के सही नियमों को झुठलाकर देश के आम लोगो को भटकाती है। विज्ञान भारती इतनी खतरनाक है और इसका सरकार में इतना बोलबाला है कि देश के आयुष मंत्रालय ने इसके दबाव में आकर हाल ही में अनुभवहीन आयुर्वेदिक डॉक्टरों को ऑपरेशन की इजाजत दे दी जिसका देशभर में प्रबल विरोध हुआ।
आरएसएस से जुड़ी ये संस्थाएँ सरकारी नहीं हैं और आरएसएस की तरह ही गैर–पंजीकृत और गैर–सरकारी संगठन हैं, हालाँकि मौजूदा सरकार इन संस्थाओं के एजेण्डे को बढ़–चढ़कर लागू करती है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी की ट्रेनिंग आरएसएस की शाखा में हुई है, न कि किसी वैज्ञानिक अकेडमी में। लेकिन एक सरकारी संस्था है–– प्रसार भारत। 1997 से प्रसार भारती अपना काम लगातार कर रही है। प्रसार भारती के दूरदर्शन चैनल पर 2014 से आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत के करीब 40 सम्बोधन प्रसारित किये जा चुके हैं। ये बेहद चालाकी भरे काम हैं। टीवी के जरिये हिन्दू आबादी तक पहुँचने के लिए विजयादशमी त्योहार चुना गया। नागपुर में आरएसएस के मुख्यालय में इस अवसर पर शस्त्रपूजा आयोजित की जाती है और आह्वान किया जाता है कि अगर आप हिन्दू हैं तो अपने साथ शस्त्र (हथियार) रखिये। दरअसल ऐसा करके ये मुस्लिम आबादी के खिलाफ नफरत भड़काते हैं और साम्प्रदायिक दंगे का माहौल बनाते हैं।
जनता के टैक्स से चलने वाले सरकारी चैनल पर एक गैर–सरकारी संगठन के मुखिया मोहन भागवत के 40 से ज्यादा सम्बोधन चलाये जाने का मतलब है जनता के पैसों से ही जनता को बेवकूफ बनाने का काम जारी रखना, ताकि उन्हें हिन्दू–मुस्लिम, लव–जिहाद, गौ–रक्षा जैसे मामलों में भटकाकर बैंक घोटाला, गिरती जीडीपी, बढ़ते बलात्कार, बेरोजगारी, भुखमरी या महँगाई पर आवाज उठाने से रोका जा सके और अडानी–अम्बानी को रेल, पेट्रोल, एयरपोर्ट से लेकर खेत तक बेचे जा सके।
मोहन भागवत अपने सम्बोधनों में सीएए–एनआरसी और हर सरकारी कानून की तारीफ करते हैं। बड़ी ही मजेदार बात है कि सीएए–एनआरसी में सरकार लोगों को अपने–अपने कागज दिखाकर ये साबित करने को कहेगी कि वे हिन्दुस्तानी हैं या नहीं, जबकि आरएसएस को बने 95 साल हो चुके हैं, पर खुद उसी के पास कोई कागज नहीं है और वह सरकार द्वारा पंजीकृत या रजिस्टर्ड नहीं है। इसके अलावा वे उन रोहिंग्या शरणार्थियों को देश के लिए खतरा बताकर जिनमें बेहद बूढ़े लोग और गोद में खेलने वाले मासूम बच्चे भी हैं, देश की ‘शरणागत की रक्षा’ की परम्परा को भी चोट पहुँचा रहे हैं। यह भी हैरान करने वाली बात है कि गौ–रक्षा के नाम पर गुण्डागर्दी करने वाले जिन लोगों ने अखलाक, रकबर या पहलू खान जैसे बेगुनाहों की केवल शक के कारण कानून अपने हाथों में लेकर हत्या कर दी, उन्हीं गौ–रक्षकों के खिलाफ बोलने के बजाय मोहन भागवत उल्टा उन्हें ही हिंसा का शिकार बता रहे हैं। गौ–रक्षा के नाम पर गुण्डागर्दी करनेवाले ये हिन्दू गौ–पालकों पर गौ–हत्या का आरोप लगाकर जान से मारने की धमकी देते हैं और गाय लाते ले जाते वक्त पैसे वसूलते हैं।
संघ प्रमुख भागवत अपने हिन्दुत्व के विचारों को दूरदर्शन से प्रसारित करते रहते हैं, पर दलितों या स्त्रियों के सैकड़ों सालों से हो रहे उत्पीड़न पर चुप रहते हैं या दूसरे शब्दों में उनके लिए बीता हुआ समय एक बुलन्द ईमारत में तभी बदल सकता है जब उसकी नींव में दलितों और स्त्रियों आदि के उत्पीड़न का र्इंट और गारा हो। ऊना के दलितों की पिटाई से लेकर हाल की हाथरस की घटना तक सरकार, संघ और उससे जुड़े संगठनों का रवैया तो कम से कम यही दिखाता है। दूरदर्शन पर प्रसारित उनके सम्बोधनों में भागवत जी कभी महँगाई, बढ़ती बेरोजगारी, सरकारी कम्पनियों के घाटे में चलने का बहाना बनाकर उन्हें बेहद सस्ते दामों पर निजी कम्पनियों को बेचने, सरकारी कर्मचारियों की छँटनी, घोटालों के कारण सरकारी बैंकों के डूबने या जीडीपी और अर्थव्यवस्था के तहस–नहस होने पर सरकार के खिलाफ कुछ नहीं बोलते।
इसी तरह मुसलमानों, दलितों, ईसाइयों आदि के खिलाफ नफरत और सरकार के प्रति समर्थन बढ़ाने का काम तो आरएसएस की विचारधारा से जुड़े लोग व्हाट्सएप्प, फेसबुक, इंस्ताग्राम, अखबार और टीवी न्यूज चैनल आदि के माध्यम से पहले ही करते रहे हैं तो सवाल यह उठता है कि ये दूरदर्शन के इस्तेमाल में नया क्या है ? तो इसका उत्तर है कि बाकी सब अभी तक गैर–सरकारी प्लेटफॉर्म हैं पर दूरदर्शन सरकारी है और आरएसएस का उस पर कब्जा सरकार पर उसका दबदबा दिखाता है। ऐसा ही हिटलर के मंत्री गोएबल्स ने जर्मनी में रेडियो का इस्तेमाल करके किया था। हमारे देश में भी हिटलरी शासन कायम करने की कोशिश चल रही है। इसी प्रयास में सभी तरह के मीडिया पर संघ अपना वर्चस्व चाहता है।
लेखक की अन्य रचनाएं/लेख
राजनीति
- 106 वर्ष प्राचीन पटना संग्रहालय के प्रति बिहार सरकार का शत्रुवत व्यवहार –– पुष्पराज 19 Jun, 2023
- इलेक्टोरल बॉण्ड घोटाले पर जानेमाने अर्थशास्त्री डॉक्टर प्रभाकर का सनसनीखेज खुलासा 6 May, 2024
- कोरोना वायरस, सर्विलांस राज और राष्ट्रवादी अलगाव के खतरे 10 Jun, 2020
- जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का तर्कहीन मसौदा 21 Nov, 2021
- डिजिटल कण्टेण्ट निर्माताओं के लिए लाइसेंस राज 13 Sep, 2024
- नया वन कानून: वन संसाधनों की लूट और हिमालय में आपदाओं को न्यौता 17 Nov, 2023
- नये श्रम कानून मजदूरों को ज्यादा अनिश्चित भविष्य में धकेल देंगे 14 Jan, 2021
- बेरोजगार भारत का युग 20 Aug, 2022
- बॉर्डर्स पर किसान और जवान 16 Nov, 2021
- मोदी के शासनकाल में बढ़ती इजारेदारी 14 Jan, 2021
- सत्ता के नशे में चूर भाजपाई कारकूनों ने लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से रौंदा 23 Nov, 2021
- हरियाणा किसान आन्दोलन की समीक्षा 20 Jun, 2021
सामाजिक-सांस्कृतिक
- एक आधुनिक कहानी एकलव्य की 23 Sep, 2020
- किसान आन्दोलन के आह्वान पर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 20 Jun, 2021
- गैर बराबरी की महामारी 20 Aug, 2022
- घोस्ट विलेज : पहाड़ी क्षेत्रों में राज्यप्रेरित पलायन –– मनीषा मीनू 19 Jun, 2023
- दिल्ली के सरकारी स्कूल : नवउदारवाद की प्रयोगशाला 14 Mar, 2019
- पहाड़ में नफरत की खेती –– अखर शेरविन्द 19 Jun, 2023
- सबरीमाला मन्दिर में महिलाओं के प्रवेश पर राजनीति 14 Dec, 2018
- साम्प्रदायिकता और संस्कृति 20 Aug, 2022
- हमारा जार्ज फ्लायड कहाँ है? 23 Sep, 2020
- ‘प्रतिरोध की संस्कृति’ पर केन्द्रित ‘कथान्तर’ का विशेषांक 13 Sep, 2024
व्यंग्य
- अगला आधार पाठ्यपुस्तक पुनर्लेखन –– जी सम्पत 19 Jun, 2023
- आजादी को आपने कहीं देखा है!!! 20 Aug, 2022
- इन दिनों कट्टर हो रहा हूँ मैं––– 20 Aug, 2022
- नुसरत जहाँ : फिर तेरी कहानी याद आयी 15 Jul, 2019
- बडे़ कारनामे हैं बाबाओं के 13 Sep, 2024
साहित्य
- अव्यवसायिक अभिनय पर दो निबन्ध –– बर्तोल्त ब्रेख्त 17 Feb, 2023
- औपनिवेशिक सोच के विरुद्ध खड़ी अफ्रीकी कविताएँ 6 May, 2024
- किसान आन्दोलन : समसामयिक परिदृश्य 20 Jun, 2021
- खामोश हो रहे अफगानी सुर 20 Aug, 2022
- जनतांत्रिक समालोचना की जरूरी पहल – कविता का जनपक्ष (पुस्तक समीक्षा) 20 Aug, 2022
- निशरीन जाफरी हुसैन का श्वेता भट्ट को एक पत्र 15 Jul, 2019
- फासीवाद के खतरे : गोरी हिरणी के बहाने एक बहस 13 Sep, 2024
- फैज : अँधेरे के विरुद्ध उजाले की कविता 15 Jul, 2019
- “मैं” और “हम” 14 Dec, 2018
समाचार-विचार
- स्विस बैंक में जमा भारतीय कालेधन में 50 फीसदी की बढ़ोतरी 20 Aug, 2022
- अगले दशक में विश्व युद्ध की आहट 6 May, 2024
- अफगानिस्तान में तैनात और ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों की आत्महत्या 14 Jan, 2021
- आरओ जल–फिल्टर कम्पनियों का बढ़ता बाजार 6 May, 2024
- इजराइल–अरब समझौता : डायन और भूत का गठबन्धन 23 Sep, 2020
- उत्तर प्रदेश : लव जेहाद की आड़ में धर्मान्तरण के खिलाफ अध्यादेश 14 Jan, 2021
- उत्तर प्रदेश में मीडिया की घेराबन्दी 13 Apr, 2022
- उनके प्रभु और स्वामी 14 Jan, 2021
- एआई : तकनीकी विकास या आजीविका का विनाश 17 Nov, 2023
- काँवड़ के बहाने ढाबों–ढेलों पर नाम लिखाने का साम्प्रदायिक फरमान 13 Sep, 2024
- किसान आन्दोलन : लीक से हटकर एक विमर्श 14 Jan, 2021
- कोयला खदानों के लिए भारत के सबसे पुराने जंगलों की बलि! 23 Sep, 2020
- कोरोना जाँच और इलाज में निजी लैब–अस्पताल फिसड्डी 10 Jun, 2020
- कोरोना ने सबको रुलाया 20 Jun, 2021
- क्या उत्तर प्रदेश में मुसलमान होना ही गुनाह है? 23 Sep, 2020
- क्यूबा तुम्हारे आगे घुटने नहीं टेकेगा, बाइडेन 16 Nov, 2021
- खाली जेब, खाली पेट, सर पर कर्ज लेकर मजदूर कहाँ जायें 23 Sep, 2020
- खिलौना व्यापारियों के साथ खिलवाड़ 23 Sep, 2020
- छल से वन अधिकारों का दमन 15 Jul, 2019
- छात्रों को शोध कार्य के साथ आन्दोलन भी करना होगा 19 Jun, 2023
- त्रिपुरा हिंसा की वह घटना जब तस्वीर लेना ही देशद्रोह बन गया! 13 Apr, 2022
- दिल्ली उच्च न्यायलय ने केन्द्र सरकार को केवल पाखण्डी ही नहीं कहा 23 Sep, 2020
- दिल्ली दंगे का सबक 11 Jun, 2020
- देश के बच्चे कुपोषण की गिरफ्त में 14 Dec, 2018
- न्यूज चैनल : जनता को गुमराह करने का हथियार 14 Dec, 2018
- बच्चों का बचपन और बड़ों की जवानी छीन रहा है मोबाइल 16 Nov, 2021
- बीमारी से मौत या सामाजिक स्वीकार्यता के साथ व्यवस्था द्वारा की गयी हत्या? 13 Sep, 2024
- बुद्धिजीवियों से नफरत क्यों करते हैं दक्षिणपंथी? 15 Jul, 2019
- बैंकों की बिगड़ती हालत 15 Aug, 2018
- बढ़ते विदेशी मरीज, घटते डॉक्टर 15 Oct, 2019
- भारत देश बना कुष्ठ रोग की राजधानी 20 Aug, 2022
- भारत ने पीओके पर किया हमला : एक और फर्जी खबर 14 Jan, 2021
- भीड़ का हमला या संगठित हिंसा? 15 Aug, 2018
- मजदूरों–कर्मचारियों के हितों पर हमले के खिलाफ नये संघर्षों के लिए कमर कस लें! 10 Jun, 2020
- महाराष्ट्र के कपास किसानों की दुर्दशा उन्हीं की जबानी 23 Sep, 2020
- महाराष्ट्र में कर्मचारी भर्ती का ठेका निजी कम्पनियों के हवाले 17 Nov, 2023
- महाराष्ट्र में चार सालों में 12 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की 15 Jul, 2019
- मानव अंगों की तस्करी का घिनौना व्यापार 13 Sep, 2024
- मौत के घाट उतारती जोमैटो की 10 मिनट ‘इंस्टेण्ट डिलीवरी’ योजना 20 Aug, 2022
- यूपीएससी की तैयारी में लगे छात्रों की दुर्दशा, जिम्मेदार कौन? 13 Sep, 2024
- राजस्थान में परमाणु पावर प्लाण्ट का भारी विरोध 13 Sep, 2024
- रेलवे का निजीकरण : आपदा को अवसर में बदलने की कला 23 Sep, 2020
- लोग पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए क्यों लड़ रहे हैं 17 Nov, 2023
- विधायिका में महिला आरक्षण की असलियत 17 Nov, 2023
- वैश्विक लिंग असमानता रिपोर्ट 20 Aug, 2022
- श्रीलंका पर दबाव बनाते पकड़े गये अडानी के “मैनेजर” प्रधानमंत्री जी 20 Aug, 2022
- संस्कार भारती, सेवा भारती––– प्रसार भारती 14 Jan, 2021
- सत्ता–सुख भोगने की कला 15 Oct, 2019
- सरकार द्वारा लक्ष्यद्वीप की जनता की संस्कृति पर हमला और दमन 20 Jun, 2021
- सरकार बहादुर कोरोना आपके लिए अवसर लाया है! 10 Jun, 2020
- सरकार, न्यायपालिका, सेना की आलोचना करना राजद्रोह नहीं 15 Oct, 2019
- सरकारी विभागों में ठेका कर्मियों का उत्पीड़न 15 Aug, 2018
- हम इस फर्जी राष्ट्रवाद के सामने नहीं झुकेंगे 13 Apr, 2022
- हाथरस की भगदड़ में मौत का जिम्मेदार कौन 13 Sep, 2024
- हुकुम, बताओ क्या कहूँ जो आपको चोट न लगे। 13 Apr, 2022
कहानी
- जामुन का पेड़ 8 Feb, 2020
- पानीपत की चैथी लड़ाई 16 Nov, 2021
- माटी वाली 17 Feb, 2023
- समझौता 13 Sep, 2024
विचार-विमर्श
- अतीत और वर्तमान में महामारियों ने बड़े निगमों के उदय को कैसे बढ़ावा दिया है? 23 Sep, 2020
- अस्तित्व बनाम अस्मिता 14 Mar, 2019
- क्या है जो सभी मेहनतकशों में एक समान है? 23 Sep, 2020
- क्रान्तिकारी विरासत और हमारा समय 13 Sep, 2024
- दिल्ली सरकार की ‘स्कूल्स ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सलेंस’ की योजना : एक रिपोर्ट! 16 Nov, 2021
- धर्म की आड़ 17 Nov, 2023
- पलायन मजा या सजा 20 Aug, 2022
- राजनीति में आँधियाँ और लोकतंत्र 14 Jun, 2019
- लीबिया की सच्चाई छिपाता मीडिया 17 Nov, 2023
- लोकतंत्र के पुरोधाओं ने लोकतंत्र के बारे में क्या कहा था? 23 Sep, 2020
- विकास की निरन्तरता में–– गुरबख्श सिंह मोंगा 19 Jun, 2023
- विश्व चैम्पियनशिप में पदक विजेता महिला पहलवान विनेश फोगाट से बातचीत 19 Jun, 2023
- सरकार और न्यायपालिका : सम्बन्धों की प्रकृति क्या है और इसे कैसे विकसित होना चाहिए 15 Aug, 2018
श्रद्धांजलि
कविता
- अपने लोगों के लिए 6 May, 2024
- कितने और ल्हासा होंगे 23 Sep, 2020
- चल पड़ा है शहर कुछ गाँवों की राह 23 Sep, 2020
- बच्चे काम पर जा रहे हैं 19 Jun, 2023
अन्तरराष्ट्रीय
- अमरीका बनाम चीन : क्या यह एक नये शीत युद्ध की शुरुआत है 23 Sep, 2020
- इजराइल का क्रिस्टालनाख्त नरसंहार 17 Nov, 2023
- क्या लोकतन्त्र का लबादा ओढ़े अमरीका तानाशाही में बदल गया है? 14 Dec, 2018
- पश्चिम एशिया में निर्णायक मोड़ 15 Aug, 2018
- प्रतिबन्धों का मास्को पर कुछ असर नहीं पड़ा है, जबकि यूरोप 4 सरकारें गँवा चुका है: ओरबान 20 Aug, 2022
- बोलीविया में तख्तापलट : एक परिप्रेक्ष्य 8 Feb, 2020
- भारत–इजराइल साझेदारी को मिली एक वैचारिक कड़ी 15 Oct, 2019
- भोजन, खेती और अफ्रीका : बिल गेट्स को एक खुला खत 17 Feb, 2023
- महामारी के बावजूद 2020 में वैश्विक सामरिक खर्च में भारी उछाल 21 Jun, 2021
- लातिन अमरीका के मूलनिवासियों, अफ्रीकी मूल के लोगों और लातिन अमरीकी संगठनों का आह्वान 10 Jun, 2020
- सउ़दी अरब की साम्राज्यवादी विरासत 16 Nov, 2021
- ‘जल नस्लभेद’ : इजराइल कैसे गाजा पट्टी में पानी को हथियार बनाता है 17 Nov, 2023
राजनीतिक अर्थशास्त्र
साक्षात्कार
- कम कहना ही बहुत ज्यादा है : एडुआर्डो गैलियानो 20 Aug, 2022
- चे ग्वेरा की बेटी अलेदा ग्वेरा का साक्षात्कार 14 Dec, 2018
- फैज अहमद फैज के नजरिये से कश्मीर समस्या का हल 15 Oct, 2019
- भारत के एक बड़े हिस्से में मर्दवादी विचार हावी 15 Jul, 2019
अवर्गीकृत
- एक अकादमिक अवधारणा 20 Aug, 2022
- डीएचएफएल घोटाला : नवउदारवाद की एक और झलक 14 Mar, 2019
- फिदेल कास्त्रो सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के हिमायती 10 Jun, 2020
- बायोमेडिकल रिसर्च 14 Jan, 2021
- भाषा और साहित्य के क्षेत्र में भारत को मुसलमानों का महान स्थायी योगदान 23 Sep, 2020
- सर्वोच्च न्यायलय द्वारा याचिकाकर्ता को दण्डित करना, अन्यायपूर्ण है. यह राज्य पर सवाल उठाने वालों के लिए भयावह संकेत है 20 Aug, 2022
जीवन और कर्म
मीडिया
- मीडिया का असली चेहरा 15 Mar, 2019
फिल्म समीक्षा
- समाज की परतें उघाड़ने वाली फिल्म ‘आर्टिकल 15’ 15 Jul, 2019