हाल ही में श्रीलंका के सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेण्डो ने एक संसदीय पैनल के सामने मोदी द्वारा उनके राष्ट्रपति पर दबाव बनाने की बात स्वीकारी है। दरअसल, श्रीलंका के उत्तरी मन्नार जिले में एक बड़ी पवन ऊर्जा परियोजना पर काम चल रहा है। इसी परियोजना का ठेका अडानी को दिलवाने के लिए मोदी लम्बे समय से श्रीलंका के तात्कालिक राष्ट्रपति राजपक्षे पर दबाव बना रहे थे। आर्थिक संकट से घिरे श्रीलंका को मदद देने के एवज में यह दबाव बनाया जा रहा था। जब दबाव बढ़ने लगा तो खुद राजपक्षे ने यह बात फर्डिनेण्डो को बतायी और बाद में उन्होंने इसे सार्वजनिक कर दिया। लेकिन फर्डिनेण्डो को इस खुलासे की बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। इस खुलासे के एक दिन बाद ही फर्डिनेण्डो को अपना बयान वापस लेकर इस्तीफा तक देने को मजबूर होना पड़ा है।

यह पहली घटना नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पद का फायदा उठाकर विदेशों में अडानी की मदद करनी चाही है। श्रीलंका से पहले यही काम वे बंगलादेश, म्यांमार, आस्ट्रेलिया, ईरान आदि देशों में भी कर चुके हैं। 2014 में सत्ता में आते ही मोदी ने बांग्लादेश में बिजली आपूर्ति का ठेका अडानी को दिलवाया था। इस ठेके के बदले मोदी जी ने शेख हसीना को भारत–बांग्लादेश सीमा से लगते कितने ही गाँव घूस में दे दिये थे। 2014 से पहले बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने का यह काम सरकारी उद्यम करते थे लेकिन मोदी ने अडानी के मुनाफे के लिए उस करार को तुड़वा दिया। ठेका मिलने के बाद से एक तरफ अडानी ने बिजली के दाम बढ़ाकर बांग्लादेश की गरीब जनता को लूटकर अरबों रुपये कमा लिये, वहीं पूर्व में बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने वाले भारतीय सरकारी उद्यम को भारी नुकसान पहुँचा है। मोदी जी अडानी को फायदा पहुँचाने के लिए देश की मेहनतकश जनता के खून–पसीने से बने सार्वजनिक उद्यमों को भी बर्बाद करने से पीछे नहीं हट रहे हैं।

देश की जनता के साथ भी ऐसा ही सुलूक किया जा रहा है। पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया की सरकार से साँठ–गाँठ करके मोदी जी ने अडानी को वहाँ कोयले की खदानों का ठेका दिलवाया। अब अडानी की इन खदानों से कोयला खरीदने के लिए मोदी जी राज्य सरकारों पर दबाव बना रहे हैं। तेलांगना के मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर यह कहा कि मोदी जी का बर्ताव प्रधानमंत्री का न रहकर अडानी के मैनेजर जैसा है, वे उसके फायदे के लिए जबरन हम पर महँगा कोयला खरीदने का दबाव बना रहे हैं। साथ ही झारखण्ड, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में जहाँ भरपूर मात्रा में कोयला मौजूद है, उन पर भी विदेशी कोयला आयात करने के लिए दबाव बनाया गया है। मोदी जी देश में कोयला संकट का बहाना बनाकर यह काम कर रहे हैं। जबकि कुछ महीनों पहले खुद केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने स्वीकारा था कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है। मोदी जी ने अडानी को देश–विदेश में ऊर्जा, संचार आदि से सम्बन्धित कई ठेके तो दिलवाये, साथ ही बेहद सस्ती दरों पर और सभी मानकों को किनारे करके हजारों करोड़ के सरकारी बैंकों से कर्ज भी दिये जा रहे हैं। 2021 में एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि अडानी ने अपने सभी कर्जों को चुकाने से मना कर दिया है जिससे उन्हें एनपीए घोषित कर दिया गया है। इसके बावजूद उसे दुबारा कर्ज दिये जा रहे हैं। यह कर्ज का पैसा देश की करोड़ों मेहनतकश जनता की जमा पूँजी है। वह दिन दूर नहीं जब ये बैंक खुद को दिवालिया घोषित कर दें। मोदी के इसी सहयोग से अडानी ने देशवासियों को इतना लूटा है कि वह दुनिया का चैथा सबसे अमीर बन गया है। अपने आपको राष्ट्रवादी बताने वाली भाजपा के लिए मेहनतकश जनता का शोषण–उत्पीड़न करने वाले धनकुबेर ही राष्ट्र है और उनकी सेवा में जनता को झोंक देना ही उनका राष्ट्रवाद है।