दिसम्बर 1973 में, मंथली रिव्यू के सम्पादक पॉल एम स्वीजी, जिन्होंने चिली की कई यात्राएँ की थीं और वे सल्वाडोर अलेन्दे के मित्र थे, उन्होंने चिली में सैन्य तख्तापलट के बारे में “चिली : द क्वेश्चन ऑफ पावर” शीर्षक से एक लेख लिखा था जिसमें बताया था कि “चिली की त्रासदी इस बात की पुष्टि करती है कि क्या होना चाहिए था और जो कई लोगों को स्पष्ट था कि समाजवाद के लिए शान्तिपूर्ण रास्ते जैसी कोई चीज नहीं होती है।” निश्चित रूप से उनका यह मतलब नहीं था “कि समाजवाद के लिए संघर्ष में केवल हिंसक साधन ही उचित और प्रभावी होते हैं, “बल्कि यह कि “समाजवाद के रास्ते में हिंसक टकराव अवश्यम्भावी है”–– यह हमेशा प्रतिक्रियावादी ताकतों द्वारा शुरू की जाती है जो अपनी शक्ति को खतरे में पड़ा देखते हैं। “इसका अर्थ है कि समाजवादी रणनीति और रणकौशल के सभी चरणों में हिंसक टकराव का मुद्दा केन्द्रीय होना चाहिए।” (पॉल एम स्वीजी, “चिली : द क्वेश्चन ऑफ पावर,” मंथली रिव्यू 25, संख्या 7, दिसम्बर 1973)
इसलिए, उन्होंने तर्क दिया कि 1970 के दशक की शुरुआत में चिली में सैन्य समस्या का समाधान करने की पॉपुलर यूनिटी सरकार की रणनीति होनी चाहिए थी––
“प्रतिक्रियावादी अधिकारियों को पद से हटा देना चाहिए था, वफादार लोगों को प्रमुख कमान पदों पर पदोन्नत किया जाना चाहिए थाय सूचीबद्ध पुरुषों और नॉन–कमीशण्ड अधिकारियों के वेतन, रहने की स्थिति और लोकतांत्रिक अधिकारों का विस्तार और सुधार किया जाना चाहिए थाय राजनीतिक शिक्षा को प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए थाय और शायद सबसे महत्त्वपूर्ण चिली की सेना और संयुक्त राज्य अमरीका के बीच सभी सम्पर्कों को बिना शर्त समाप्त कर देना चाहिए था। उसी समय, पॉपुलर यूनिटी प्रशासन को एक लोकप्रिय मिलिशिया को संगठित, हथियारबन्द और प्रशिक्षित करना शुरू कर देना चाहिए था जो सेना और राष्ट्रीय पुलिस (कारबिनरोस) द्वारा वहन की जाने वाली जिम्मेदारियों को अधिक से अधिक अपने ऊपर ले सके। एक साथ किये गये ये सभी उपाय कमोबेश तेजी से पुराने बुर्जुआ सैन्य प्रतिष्ठान को समाजवादी ताकतों के नियंत्रण में ले आते। जब यह लक्ष्य हासिल हो जाता, चिली समाज को पूँजीवाद से समाजवाद में बदलने की प्रक्रिया तेजी से शुरू हो जाती।”
स्वीजी ने संकेत दिया कि इस तरह आगे बढ़ने के बजाय अलेन्दे प्रशासन ने इसके ठीक विपरीत किया––
“जनरलों और एडमिरलों के साथ नरमी बरती गयी थी तथा उन्हें आर्थिक–राजनीतिक जिम्मेदारियाँ देने के प्रयास किये गये थे। जब क्रान्तिकारी वामपंथियों के आन्दोलन ने सैनिकों की कतारों के बीच राजनीतिक काम करने की कोशिश की, तो सरकार ने कठोर कदम उठाये–– इस तरह की गतिविधि के लिए अलेन्दे के अपने भतीजे को जेल भेज दिया गया। चिली सेना को अमरीकी सहायता देने की अनुमति ऐसे समय में दी गयी थी, जब वाशिंगटन अमरीकी बैंकों और अन्तरराष्ट्रीय ऋण देने वाली एजेंसियों के जरिये चिली की सरकार को ऋण देने में बाधा डाल रहा था।”
11 सितम्बर, 1973 के तख्तापलट से पहले के अन्तिम महीनों में, अलेन्दे प्रशासन ने कांग्रेस को वीटो के बिना एक कानून पारित करने की अनुमति दी, जिसमें सशस्त्र बलों को कहीं भी हथियारों की तलाशी लेने का अधिकार दिया गया, जिसके फलस्वरूप श्रमिकों के खिलाफ उनके कारखानों और घरों में ही आतंक का एक शाश्वत राज कायम हुआ। संक्षेप में, पॉपुलर यूनिटी सरकार की सैन्य नीति अपने बीच दुश्मन और साम्राज्यवाद के पाँचवें स्तम्भ को न केवल बर्दाश्त करने बल्कि बढ़ाने और मजबूत करने वाली थी।
अलेन्दे के खिलाफ तख्तापलट के बारे में स्वीजी की प्रतिक्रिया आज बहुत अलग, लेकिन सम्बन्धित मामले में सामने है, जब नवम्बर 2019 में राष्ट्रपति इवो मोरालेस की बोलीवियाई सरकार और समाजवादी आन्दोलन के खिलाफ तख्तापलट की घटना को अंजाम दिया गया। 10 नवम्बर को सेना ने मोरालेस और बोलीवियाई राष्ट्रपति के उत्तराधिकार की पूरी पीढ़ी को सत्ता से हटा दिया था, मोरालेस की चुनावी जीत के बाद निम्न–मध्य वर्ग से उत्पन्न और दक्षिणपन्थी राजनीति से प्रोत्साहित, फासीवादी भीड़ द्वारा देश के टुकड़े कर डालने को बढ़ावा दिया गया था। इसमें एक प्रमुख व्यक्ति लुइस फर्नाण्डो कैमाचो, जो एक फासीवादी अर्धसैनिक नेता और अमरीकी समर्थन प्राप्त करोड़़पति था, उसका बड़ा हाथ था। मोरालेस, उनकी बहन और विभिन्न सरकारी मंत्रियों के घरों को जला दिया गया था। फासीवादियों ने विण्टो की मेयर पेट्रीसिया एर्स को बन्धक बना लिया, उनके बाल काट दिये गये, उन्हें लाल रंग से रंग दिया गया और उन्हें घण्टों तक सड़कों पर घसीटा गया, जिससे वह अपने घुटनों पर झुककर इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो गयीं। जैसा कि मंथली रिव्यू लेखक एटीलियो बोरोन ने बताया है कि ये आतंकवादी कार्य कैसे सम्भव हैं, “सुरक्षा बलों” (सेना और पुलिस) ने “घटनास्थल से हटकर फासीवादी भीड़ के अनियंत्रित हिंसा–प्रदर्शन के लिए मैदान छोड़़ने का विकल्प चुना–– जैसे कि उन्होंने यूक्रेन, लीबिया, इराक, सीरिया में तख्तापलट के लिए किया था या बाकी मामले में ऐसा करने का प्रयास किया था––– और इस तरह वे जनता को डराते हैं।––– यह एक नया सामाजिक–राजनीतिक पैंतरा है–– ‘सफाया करके’ सैन्य तख्तापलट। “प्रतिक्रियावादी गिरोहों को भर्ती करने और उनके कानून को लागू करने का अधिकार दिया गया” (एटिलियो बोरोन,” द कू इन बोलीविया : फाइव लेसनस, “ओरिनोको ट्रिब्यून, 11 नवम्बर, 2019य” बोलीवियन मेयर, पेट्रीसिया एर्स, कवर्ड इन पेण्ट, ड्रैगड थ्रू द स्ट्रीट बाई राइट–विंग फासिस्ट, ओरिनोको ट्रिब्यून, 7 नवम्बर, 2019)।
बोलिविया के सशस्त्र बलों के कमाण्डर विलियम्स कलीमन, जिन्होंने “सुझाव दिया था” कि मोरालेस के तख्तापलट की योजना जॉर्जिया के फोर्ट बेनिंग में स्थित स्कूल ऑफ अमरीका में बनायी गयी थी, सुरक्षा बलों के भीतर अन्य तख्तापलट करने वाले भी थे। (कुछ को एफबीआई द्वारा प्रशिक्षित भी किया गया था। ) बाद में कलीमन ने बोलीविया के स्व–नियुक्त “अन्तरिम राष्ट्रपति” दक्षिणपन्थी राजनीतिज्ञ जीनिन ओनेज को अपना समर्थन देने का वादा किया है। चुनाव से कुछ समय पहले, अवैध तरीके से हथियारों और गोला–बारूदों को संयुक्त राज्य अमरीका के विभिन्न स्थानों से सामानों के गुप्त खेपों में बोलीवियाई दक्षिणपन्थी ताकतों तक पहुँचाया गया था। सुरक्षा बलों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली बरसाने के लिए बख्तरबन्द वाहनों और हेलीकॉप्टरों को तैनात किया। 25 नवम्बर, 2019 तक दर्जनों लोग मारे गये और कई घायल हुए। मोरालेस को मेक्सिको में शरण लेनी पड़ी।––– 
जैसा कि बोरोन द्वारा समझाया गया था, यह सब सीधे अमरीकी साम्राज्यवादी राज्य के नवीनतम राजनीतिक–सैन्य नियमावली से निकला था। शिक्षाविदों या पत्रकारों की आड़ में इन नियमावलियों को विभिन्न अमरीकी एजेंसियों और उनके प्रवक्ता द्वारा प्रकाशित कराया गया। ये “नियमावलियाँ” निर्देश देती हैं कि तानाशाही, भ्रष्टाचार के आरोपों और चरित्रहनन के विभिन्न रूपों के जरिये एक लोकप्रिय, चुने हुए नेता की प्रतिष्ठा को व्यवस्थित रूप से कैसे कम किया जाये, ताकि वामपन्थ का समर्थन कमजोर किया जा सके। इसके अलावा, ये नियमावलियाँ तख्तापलट के राजनीतिक और सैन्य ठिकानों को तैयार करने के बारे में कदम–दर–कदम निर्देश प्रदान देती हैं। यहाँ तक कि अमरीकी साम्राज्य द्वारा तैयार किये गये और दक्षिणपन्थी खेमें में प्रसारित इन नियमावलियों और निर्देशों के बारे में थोड़ी सी भी जानकारी यह बात साबित करती है कि बोलिविया में पुलिस और सेना जैसे संस्थानों को कभी भी सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था नहीं सौंपी जानी चाहिए, जो साम्राज्यवाद और उसके लठैतों के जरिये बनाये गये हैं।––– जब ईवो मोरालेस के खिलाफ आक्रमण शुरू किया गया था, तब फासीवादियों के तुष्टीकरण की नीति अपनायी गयी और उनके उकसावों का जवाब नहीं दिया गया था। इसने उनके साहस को बढ़ाने और दाँव लगाने का काम किया–– पहले, मतपत्र की माँग करेंय बाद में, धोखाधड़ी और नये चुनाव कीय अगला चुनाव करवाएँ लेकिन ईवो के बिना (ब्राजील में, लूला के बिना)य बाद में, ईवो के इस्तीफा की माँग आखिरकार, ब्लैकमेल स्वीकार न करने पर पुलिस और सेना की मिलीभगत से आतंक मचाया गया और ईवो को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। नियमावलियों से, सभी कुछ नियमावलियों से। हम इन पाठों को कब सीखेंगे?
(मंथली रिव्यु, जनवरी 2020 के सम्पादकीय का अंश)