सत्ता के नशे में चूर भाजपाई कारकूनों ने लखीमपुर खीरी में किसानों को कार से रौंदा
राजनीतिलखीमपुर खीरी में प्रदर्शन के दौरान गाड़ियों द्वारा किसानों को कुचलने से 2 किसान तत्काल शहीद हो गये तथा 2 किसान अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में शहीद हो गये। किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क सहित अन्य कई किसानों को गम्भीर रूप से चोटें आयी हैं। किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क जिला लखीमपुर से रेफर कर दिये गये तथा उनका दिल्ली के मेदान्ता अस्पताल में इलाज चला जो खतरे से बाहर हो गये। चार किसानों के साथ बाद में एक स्वतंत्र पत्रकार की भी गाड़ी से कुचलकर मरने की पुष्टि हुई।
इस दिल दहला देने वाली घटना के उपरान्त पूरे किसानों में आक्रोश और पीड़ामय स्थिति उत्पन्न हुई। दूर–दूर से किसान घटना स्थल पर पुन: एकत्रित होना शुरू हुए। तत्काल वहाँ के सड़क को जाम कर दिया गया और प्रशासन से न्याय की माँग की जाने लगी। चारों शहीद किसानों का शव फ्रीजर में डालकर घटनास्थल के सड़क पर रखकर सड़क जाम कर दिया गया। प्रशासन और सरकार से कहा गया कि जब तक हमारी माँगे पूरी नहीं होती, हमें न्याय नहीं मिल जाता, तब तक हम किसान यहाँ डटे रहेंगे और तब तक किसानों के पार्थिव शरीर का अन्तिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
उपरोक्त घटना मेरे सामने घटित हुई। वह भयानक मंजर दिमाग से उतरने का नाम ही नहीं ले रहा और यह रिपोर्ट लिखते समय न जाने कितनी बार मैं भावुक हुआ हूँ। मतलब केन्द्रीय मंत्री के द्वारा ऐसा माहौल तैयार किया गया कि लखीमपुर छोड़ना पड़ जायेगा––– जैसे भड़काऊ बयान और उसी का नतीजा रहा कि हमारे कई शहीद किसान पूरी दुनिया छोड़ चले गये। पूरे लखीमपुर जिले को कश्मीर टाइप बना दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इण्टरनेट सेवा को मौलिक अधिकार बताने के बावजूद पूरे 55 घण्टे तक इण्टरनेट और एसएमएस सेवा बन्द कर दी गयी। जिससे कि मंत्री के खिलाफ कोई भी साक्ष्य ना फैल सके। वहीं मंत्री और उसके बेटे की गिरफ्तारी तो दूर कोई पूछताछ भी नहीं की गयी। इस दौरान तकरीबन 50 हजार किसान जुट गये थे और तिकुनिया और सिंघाही थाना के पुलिस डर के मारे थाना छोड़ कर भाग गये थे। किसान आन्दोलन के भारी दबाव और सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद मन्त्री पुत्र को गिरफ्तार कर लिया गया।
शहीद किसान गुरविन्दर सिंह की पोस्टमार्डम रिपोर्ट से गोली लगने का नामोनिशान ही मिटा दिया गया। इससे जाहिर होता है कि इस देश की न्याय और स्वास्थ्य व्यवस्था भी मंत्री टेनी के साथ–साथ मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री के हाथों बिक चुकी है। जिस प्रकार से सत्ता के नशे में धुत्त सरकार पूरे देश में मामूली सी घटनाओं पर भी जगह–जगह धारा 144 लगाने का खिलवाड़ करती रहती है, उसी प्रकार उसने अब इण्टरनेट बन्द करने को भी दमन के एक हथकण्डे के रूप में अपना लिया है। कहीं भी कुछ भी हो इण्टरनेट बन्द कर दो। इस आन्दोलन के दौरान जियो द्वारा इण्टरनेट बन्द कर दिया गया। इण्टरनेट बन्द करना भी दमन का ही एक रूप है ताकि सच्चाई छुपाई जा सके। आखिर किसको डर है इण्टरनेट चलने से? मंत्री के बेटे द्वारा सैकड़ों लोगों के सामने किसानों को कुचला गया। सैकड़ों लोग इसके प्रत्यक्षदर्शी हैं इसे क्यों नहीं माना जाता? इस पर बहस होनी चाहिए। इतने भयानक तरीके से लोकतंत्र और इनसानियत की हत्या करना इससे दर्दनाक और क्या हो सकता है?
घटना का तात्कालिक कारण
बीते 25 सितम्बर को केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने लखीमपुर जिले के सम्पूर्णानगर में एक सभा में किसानों पर विवादित और अभद्र बयान देते हुए कहा कि “जो 15–20 किसान हमारा विरोध कर रहे हैं वे सुधर जायें अन्यथा हमारा सामना करें, 2 मिनट नहीं लगेगा हम उन्हें सुधार देंगे। हमारे विधायक, साँसद बनने से पहले वे जानते होंगे कि हम क्या थे? जिस दिन हमने चुनौतियों को स्वीकार कर लिया तो इन्हें पलिया तो क्या जिला लखीमपुर छोड़कर भागना पड़ेगा।”
यह बयान अपने आप में सवाल खड़ा करता है कि मंत्री बताना क्या चाहते थे? वह पहले क्या थे? इसमें एक धमकी छुपी है। होना तो यह चाहिए था कि एक मंत्री के इस गुण्डई वाली भाषा के कारण बर्खास्त कर दिया जाता। पर उसे तो इसी के कारण मंत्री पद मिला है। परन्तु इस बयान से सभी किसान संगठनों में मंत्री के खिलाफ आक्रोश और गुस्सा बढ़ता गया जिसके बाद किसान संगठनों ने तय किया कि 03 अक्टूबर 2021,दिन रविवार को केन्द्रीय मंत्री के घर दंगल विजेताओं को पुरस्कृत करने के लिए आ रहे मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और साथ में केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी को काले झण्डे दिखाकर शान्तिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करेंगे।
तय कार्यक्रम के अनुसार किसानों ने 3 अक्टूबर को प्रात: 08 बजे से ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के हेलीकॉप्टर लैण्ड करने वाले स्थान महाराजा अग्रसेन इण्टर कॉलेज तिकुनिया के खेल मैदान में एकत्रित होना शुरू किया। धीरे–धीरे किसानों की तादात बढ़ती गयी और साथ ही साथ पुलिस बलों की संख्या भी बढ़ने लगी।
दोपहर करीब दो बजे के समय पुलिस प्रशासन ने किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क से वार्ता करके किसानों को वहाँ से हटने और विरोध प्रदर्शन खत्म करने को कहा। किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क (उत्तराखण्ड–उत्तर प्रदेश तराई क्षेत्र किसान के प्रदेश अध्यक्ष) ने प्रशासन को बताया कि “उप मुख्यमंत्री सहित जितने भी लोगों को केन्द्रीय मंत्री के घर जाना है वह इस रूट के अलावा दो अन्य रूट हैं उस रूट से जा सकते हैं। हम किसानों को कोई आपत्ति नहीं होगी तथा जब उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद केन्द्रीय मंत्री के घर पहुँच जाएँ तो पहुँचने की सूचना मिलते ही हम किसान अपना प्रदर्शन खत्म कर अपने अपने घर लौट जाएँगे।”
प्रशासन ने बात मान ली और वार्ता के अनुसार उपमुख्यमंत्री के रूट बदल दिये गये और किसान अपने–अपने घरों को लौटने लगे। इसी बीच अचानक केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बड़े बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू ने अपने कुछ लम्पट और गुण्डा तत्वों के साथ तीन चारपहिया वाहन से अपने खुफिया लोगों के इशारे पर किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क को टारगेट करते हुए लगभग 80–90 किमी प्रति घण्टा की गति में एक महिन्द्रा थार और दूसरी फार्च्यूनर गाड़ी से किसानों को रौंदते हुए आया। उसकी गाड़ी आगे जाकर अनियंत्रित हो एक गाड़ी जो हथियारों से लैस थी खड्डे में जा गिरी और तत्काल उसमें आग लग गयी। दूसरी गाड़ी जिसमें मंत्री का बेटा आशीष मिश्रा सवार था उसमें से वह उतरकर अपने गुण्डा मित्रों के साथ बन्दूक लहराते हुए और फायरिंग करते हुए गन्ने की खेत में भागने लगा। एक किसान ने उसे पकड़ने की कोशिश की तो वे लोग उसे गोली मारकर पुलिस सुरक्षा के साथ फरार हो गये। गुस्साई किसानों की भीड़ ने उसकी गाड़ी को धकेलकर उसमें आग लगा दी तथा तीसरी गाड़ी स्कार्पियो मौका देखते हुए वहाँ से भाग निकली। इस हिँसा में चार भाजपाई भी मारे गये, जो मन्त्री पुत्र के साथ कार से आये थे।
इस घटना के तत्काल बाद किसानों ने निम्नलिखित माँगें पेश कीं––
1– केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को उसके मंत्री पद से बर्खास्त किया जाये तथा उनके खिलाफ हिँसा भड़काने और साम्प्रदायिक विद्वेष फैलाने का मुकदमा दायर किया जाये।
2– मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा और उसके गुण्डा मित्रों पर (302) हत्या का मुकदमा दर्ज कर तत्काल गिरफ्तार किया जाये।
3– शहीद किसानों के परिवार को एक करोड़ रुपये का आर्थिक सहयोग और परिवार के किसी एक सदस्य को योग्यतानुसार सरकारी नौकरी दी जाये।
5– पूरी वारदात की जाँच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों की गठित टीम एसआईटी द्वारा की जाये।
उपरोक्त सभी माँगों को लेकर किसान प्रदर्शन करने लगे तथा पुलिस प्रशासन की शहीद किसानों के शवों को अपने कब्जे में लेने की कोशिश नाकाम रही। 3 अक्टूबर से 5 अक्टूबर तक पूरे लखीमपुर में इण्टरनेट बन्द रहा।
4 अक्टूबर के भोर में ही भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत घटना स्थल पर पहुँचकर शहीद किसान परिवार से मिले। प्रसाशन और किसान नेताओं के बीच लगभग 3 से 4 घण्टे की वार्ता में किसानों के कुछ माँगों को मान लिया गया। उसके पश्चात् किसान नेता राकेश टिकैत ने 4 अक्टूबर की दोपहर एक बजे के समय शहीद परिवार और किसानों को सम्बोधित किया और सरकार द्वारा मान ली गयी माँगों का ऐलान किया। शहीद हुए किसानों के पार्थिव शरीर का पोस्ट मार्टम करवाने के लिए जिला लखीमपुर भेज दिया गया और सभी किसान उस दिन अपने–अपने घरों को लौट आये।
शहीद किसान और पत्रकार के नाम, उम्र और पता
1– दलजीत सिंह पुत्र हरी सिंह, उम्र 35 वर्ष, निवासी बंजारा टाण्डा (नानपारा) जिला बहराइच।
2– गुरविन्दर सिंह पुत्र सुखविन्दर सिंह, उम्र 20 वर्ष, निवासी मोहरानिया (नानपारा) जिला बहराइच।
3– लवप्रीत सिंह पुत्र सतनाम सिंह, उम्र 19 वर्ष, निवासी चैखड़ा फार्म मजगयी (पलियाकलां) लखीमपुर खीरी।
4– नछत्तर सिंह पुत्र सुब्बा सिंह, उम्र 55 वर्ष, निवासी नन्दापुरवा धौरहरा लखीमपुर खीरी।
5– रमन कश्यप पुत्र रामदुलारे, उम्र 27 वर्ष, निवासी निघासन लखीमपुर खीरी। (स्वतंत्र पत्रकार)
शहीद किसानों को विनम्र श्रद्धांजलि!
––एस बी आजाद
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