महाराष्ट्र के सहकारिता एवं पुनर्वास मंत्री ने विधानसभा में बताया कि साल 2015 से 2018 के दौरान 12,021 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें से 6,888 किसान सरकारी मदद पाने के योग्य थे।

अब तक 6,845 किसानों के परिवारों को एक–एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गयी।

मंत्री ने कहा, “सरकार किसानों के लिए कर्ज माफी का वादा निभाएगी। कर्ज माफी योजना से अब तक 50 लाख किसान लाभान्वित हो चुके हैं। मैं किसानों को विश्वास दिलाता हूँ कि सरकार उनके साथ है। मैं किसानों से अपील करता हूँ कि वे आत्महत्या नहीं करें।”

देश में पिछले कई सालों में महाराष्ट्र के किसानों द्वारा सबसे ज्यादा आत्महत्या की गयी हैं। राज्य में बढ़ती किसान आत्महत्याओं का कारण कर्ज का बढ़ता बोझ, फसल खराब होना, सूखे की मार और सिंचाई के लिए पानी की कमी है।

महाराष्ट्र की देवेन्द्र फडणवीस सरकार ने दो दिन पहले अपने बजट में किसान कर्ज माफी योजना का दायरा बढ़ाने का ऐलान किया। सरकार ने भी बताया कि इस कदम से सरकार पर करीब 8 हजार करोड़ रुपये का भार पड़ेगा। लेकिन महाराष्ट्र में किसान कर्ज माफी की पोल उस वक्त खुल गयी, जब एक किसान कर्ज माफी का प्रमाण पत्र लेकर सरकार को कर्ज माफ करने की याद दिलाने विधानसभा पहुँच गया। महाराष्ट्र के वासिम जिले के किसान अशोक मनवर शुक्रवार को हाथ में किसान कर्ज माफी का प्रमाण पत्र लेकर विधानसभा पहुँचे। वह सरकार को बताने आये थे कि उन्हें किसान कर्ज माफी का प्रमाण पत्र तो दिया गया लेकिन कर्जा माफ नहीं हुआ। लेकिन सरकार तक उनकी आवाज पहुँचती इससे पहले ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया।

दरअसल, 2017 में दिवाली से पहले मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने मुम्बई में कई किसानों को कर्ज माफी के प्रमाण पत्र बाँटे थे। इनमें से एक अशोक भी थे। अशोक का 1 लाख 40 हजार रुपये माफ करने का ऐलान हुआ था लेकिन उनका कर्ज अब तक माफ नहीं हो सका है।

ये बात किसी से छिपी नहीं है कि महाराष्ट्र में पिछले सालों में औसत से कम बारिश हुई है जिसकी वजह से कई लाख हेक्टेयर किसानों की फसल बर्बाद हो चुकी है। खेती–किसानी के लिए किसान बैंकों से कर्ज लेता है लेकिन सूखे की वजह से किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।

(द वायर स्टाफ)