डॉ– रोज डगडेल : आयरिश स्वतंत्रता सेनानी को क्रान्तिकारी सलाम
श्रद्धांजलिआधी सदी से भी अधिक समय तक आयरिश आजादी के लिए लड़ने वाली डॉ– रोज डगडेल अब नहीं रहीं। 27 मार्च 2024 को डबलिन के ग्लासनेविन कब्रिस्तान में उनकी अन्तिम विदाई में विशाल जन–सैलाब उमड़ पड़ा। 18 मार्च को 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था।
रोज डगडेल का जन्म इंग्लैंड में धनी परिवार में हुआ था, लेकिन उन्होंने दुनिया के मेहनतकश और उत्पीड़ित लोगों तथा आयरलैंड की आजादी और विशेष रूप से एक समाजवादी गणराज्य की स्थापना के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया और सभी सुख–सुविधाओं को त्याग दिया।
उनके गैर–धार्मिक संस्कार में आयरलैण्ड की सिन फेन पार्टी की पूर्व अध्यक्षा गेरी एडम्स, रिपब्लिकन संघर्ष के उनके दिग्गज साथी जिम मोनाघन और कॉमरेड मैरियन, साथ ही रोज के बेटे रुएरी और कई अन्य लोग शामिल थे।
सिन फेन असेम्बली की पूर्व सदस्या मार्टिना एंडरसन ने शोक सभा की अध्यक्षता की और कहा कि रिपब्लिकन आन्दोलन में उनकी दोस्त ने “महत्वपूर्ण भूमिका” निभायी थी। उन्होंने भारी मन से कहा––
“मैं आज दुखी हूँ, लेकिन मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया है, आज मुझे उस महान यात्रा की याद आती है जो मैंने और कई अन्य लोगों ने आयरिश गणतंत्र के जबरदस्त संघर्ष के दौरान रोज डगडेल के साथ साझा की थी।
“उन्होंने कई अन्य लोगों की तरह मुझे भी बौद्धिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत रूप से, लचीलेपन, समर्पण भावना, वाक–कला, और दृढ़ विश्वास की शक्ति के बारे में बहुमूल्य सबक सिखाया है।
“वे एक विशेषाधिकार प्राप्त परिवार से आने के बावजूद गणतंत्र के लिए संघर्ष के मार्ग पर अडिग रहीं। आर्थिक समानता, सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के प्रति रोज की अतृप्त और अटूट प्रतिबद्धता के बारे में हम सभी जानते हैं।”
उन्होंने आगे कहा––
“रोज की विरासत आयरलैंड की आजादी की लड़ाई की तस्वीर के साथ हमेशा जुड़ी रहेगी।
रोज के साथी, जिम मोनाघन, ‘कोलम्बिया थ्री’ आयरिश रिपब्लिकन में से एक हैं, उन्हें एफएआरसी मुक्ति आन्दोलन द्वारा प्रशासित मुक्त क्षेत्रों में समय बिताने के चलते दक्षिण अमरीकी देश की जेल में डाल दिया गया था, उन्होंने अपनी व्हीलचेयर से रोज को “प्रकृति की एक ताकत” के रूप में याद करते हुए बात की।
“रोज राजनीति, दर्शनशास्त्र और अर्थशास्त्र (ये विषय उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़े थे) में एक उच्च शिक्षित महिला थीं। समाजवादी राजनीति में हम दोनों की गहरी रुचि थी और उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया।
जिम मोनाघन को सिन फेन के शिक्षा विभाग का प्रमुख नियुक्त किया गया था और रोज उनकी सहायक बन गयी थीं।
उन्होंने अपनी साथी को “क्रान्ति, राजनीति और शिक्षा में हरफनमौला बतायाय वह कई प्रतिभाओं की धनी महिला थीं, उन्हें एक आईआरए स्वयंसेवक के रूप में जाना जाता है, लेकिन वह एक प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री और प्रतिभाशाली शिक्षिका भी थीं, जो अर्थशास्त्र, राजनीति और दर्शनशास्त्र पढ़ाया करती थीं।”
उन्होंने जिक्र किया कि रोज ने कैसे अफ्रीका के उत्पीड़न और शोषण पर एक अर्थशास्त्री की तरह काम करने के चलते राजनीतिक रूप से जागरूक बनीं और उनकी यह जागरूकता आगे भी जारी रही––
“जब वह लिमरिक जेल में थीं तब वह अंग्रेजी कक्षाएँ भी पढ़ाती थीं। वहाँ जो महिलाएँ थीं, उनमें से कुछ पढ़ नहीं सकती थीं, लिख नहीं सकती थीं।
“उन्होंने उनकी मदद की और उन्हें उनके पत्र पढ़ने में मदद की और उन्हें पत्र लिखने में मदद की।
उन्होंने शोक संतप्त लोगों को बताया कि मृत्यु के समय रोज दो कंगन पहने हुए थीं, जिन्हें वह लगभग दो दशकों से लगातार पहन रही थीं। एक को आयरिश तिरंगे के रंगों में बनाया गया था। इसे कोलम्बियाई जेल में एफएआरसी गुरिल्ला द्वारा बनाया गया था और इस पर चे ग्वेरा की तस्वीर थी। दूसरे को फिलिस्तीनी झंडे के रंग में बनाया गया था।
उन्होंने कहा, रोज ने अमरीकी साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष में कोलम्बियाई लड़ाकों का समर्थन किया था। वह नारीवादी और समलैंगिक मुक्ति की समर्थक थी और इसके साथ उन्होंने गुड फ्राइडे समझौते के पहलुओं पर भी काम किया था।
क्रिस्टीना मैकऑले ने एक कविता पढ़ी जो रोज डगडेल को विशेष रूप से पसन्द थी और उन्होंने याद किया कि रोज को भौतिक चीजों में कोई दिलचस्पी नहीं थी, उन्होंने कहा कि रोज के कपड़े अब डबलिन में बेघर लोगों को दे दिये गये हैं।
एक अन्य करीबी दोस्त और कॉमरेड ने कहा कि रोज जीवन भर एक राजनीतिक कार्यकर्ता रहीं और वर्ग संघर्ष हमेशा उनकी राजनीति के केन्द्र में रहा। वह एक गणतंत्रवादी, समाजवादी और अन्तरराष्ट्रीयतावादी थीं और फिलिस्तीनी और बास्क मुक्ति संघर्षों की प्रबल समर्थक थीं। उन्होंने जानवरों के प्रति रोज के लगाव और ग्रामीण लोगों की आवाजों के प्रति उनके प्रेम के बारे में भी बात की, जिससे उन्हें अपने बचपन की याद आ गयी। कई लोगों द्वारा दोहराये गये शब्दों में, उन्होंने कहा कि हम उन्हें दोबारा इस तरह नहीं देख पाएँगे।
रोज के अच्छे दोस्त एंगस ए स्नोडाई ने डबलिन साउथ–सेंट्रल की ओर से मुख्य प्रशंसा भाषण दिया।
उन्होंने कहा, “इस व्यवस्था के लिए रोज एक पहेली जैसी थी। हम अब भी नहीं समझ पा रहे हैं कि कोई जनता की मदद करने के लिए अपने विशेषाधिकारों से कैसे मुँह मोड़ सकता है।”
“अगर उन्होंने रोज के साथ कुछ समय बिताया होता, तो उन्हें इस बात की स्पष्ट समझ होती कि कैसे उनका जुनून, उत्पीड़ितों की मदद करने का उनका अभियान, विश्व व्यवस्था को सन्तुलित करने का उनका दृढ़ संकल्प काम करता था। रोज ने सचमुच अपना पैसा वहीं लगाया था जहाँ उसकी सबसे अधिक जरूरत थी।
“इंग्लैंड में अपने शुरुआती विशेषाधिकार प्राप्त जीवन का मजा लेने के बाद, धन की सभी सुविधाओं के इस्तेमाल के बाद, उन्होंने उस जीवन को त्याग दिया जो उनके लिए आकार ले रहा था और ब्रिटिश साम्राज्यवाद और विश्व साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष के जीवन को बिना किसी पछतावे के पूरे दिल से अपनाया।”
उन्होंने वियतनाम पर अमरीकी हमले के खिलाफ अभियान चलाया था और समाजवादी क्यूबा में समय बिताया था।
“वह एक सच्ची अन्तरराष्ट्रीयतावादी और आयरिश गणतंत्र की एक सच्ची सिपाही थीं, जिन्होंने फासीवाद और नस्लवाद के सभी रूपों का विरोध किया, यह देखते हुए कि ये गरीबों को विभाजित करने के उपकरण हैं।”
वह इतिहास के उन लोगों में से एक थीं जो पूरे दिल से आयरिश लोगों के साथ खड़े थे, “एक नये वैचारिक उत्साह के साथ।”
रोज के सबसे प्रसिद्ध कारनामों में से एक का उल्लेख करते हुए, उन्होंने इसका जिक्र “आत्मरक्षा के लिए बहुत आवश्यक हथियार” के रूप में किया जो उनके परिवार की सम्पत्ति को स्वयं से मुक्त करने के रूप में सामने आया था।
उनकी रोज से पहली मुलाकात 1980 के दशक की शुरुआत में हुई थी, सिन फेन में शामिल होने के तुरन्त बाद। वह बहसों में उग्र हो जाती थीं, लेकिन उन्होंने कभी भी नाराजगी नहीं जतायी और न ही सुर्खियों में आने की कोशिश की। उन्होंने डबलिन में मेहनतकश वर्ग के हजारों लोगों की मदद की थी, जटिल विचारों को सरल तरीके से समझाने की उनके पास अद्भुत प्रतिभा थी और वे मानती थी कि हर किसी में यह क्षमता होती है।
“वह ऊर्जावान थीं, उनमें न्याय के लिए जुनून, गरीबी से निपटने और धन के पुनर्वितरण और शक्ति के पुनर्सन्तुलन की माँग थी। वह एक सच्ची क्रान्तिकारी और सच्ची किंवदन्ती थीं और हैं।”
मैरियन कोयल ने रोज के बेटे रुएरी गैलाघेर के अनुरोध पर उसकी ओर से बात की––
“आप हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी और कभी नहीं भुलायी जायेंगी। मैं तुमसे प्यार करता हूँ, माँ। टिफाइथ अर ला (हमारा दिन आएगा)।”
समापन टिप्पणी में, मार्टिना एंडरसन ने कहा कि रोज को श्रद्धांजलि देने का तरीका उस नेक काम को आगे बढ़ाना है जिसके लिए उन्होंने खुद को समर्पित किया है। वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
आयरलैंड की आजादी की लड़ाई के प्रति रोज की सम्पूर्ण प्रतिबद्धता को याद करते हुए, कनाडा के डॉ– नॉर्मन बेथ्यून के बारे में माओ त्से–तुंग के इन शब्दों को याद न करना असम्भव है––
“यह किस प्रकार की भावना है जो एक विदेशी को निस्वार्थ रूप से चीनी लोगों की मुक्ति के उद्देश्य को अपना मानने के लिए प्रेरित करती है? यह अन्तरराष्ट्रीयतावाद की भावना है, साम्यवाद की भावना है।”
इसलिए, शायद इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए कि माओ के कार्यों का गहन अध्ययन और उन्हें व्यवहार में लागू करने का ईमानदार प्रयास रोज की राजनीति के निर्माण और विकास में एक महत्वपूर्ण कारक था और उनके पूरे जीवन में एक महत्वपूर्ण प्रभाव और प्रेरणा बना रहा।
नवम्बर 2011 में, उन्हें डबलिन वालंटियर्स डिनर डांस में सम्मानित किया गया था। सिन फेन अखबार ‘एन फोबलाच’ ने बताया कि––
“मास्टर डिग्री के लिए अमरीका में अध्ययन करने के बाद, रोज इंग्लैंड लौट आयीं जहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र पढ़ाया और दर्शनशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
“वह वियतनाम युद्ध के खिलाफ प्रदर्शनों में अग्रणी रूप से शामिल थीं और यही वह कारण था जिसने उन्हें ग्रीष्मकालीन शिविरों में क्यूबा का दौरा करने के लिए प्रेरित किया, जो वियतनाम युद्ध कार्यकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए फिदेल कास्त्रो द्वारा स्थापित किये गये थे।
“‘क्यूबा में ही मैंने समाजवाद के निर्माण की सम्भावना देखी। अकादमिक जीवन पर मार्क्स और माओ जैसे महान नये सिद्धान्तकारों का जबरदस्त प्रभाव था और दुनिया को बदलना वास्तव में सम्भव लगा।’
“रोज उत्तरी लन्दन के टोटेनहैम में मजदूर वर्ग के आन्दोलनों में शामिल हो गयीं, यह एक ऐसा समुदाय है जहाँ गरीबी दर अधिक है और आयरिश आबादी सघन है। इसी समय (1972) के आसपास ब्लडी संडे हुआ और उस घटना का रोज पर गहरा प्रभाव पड़ा और इसने गणतंत्र के सशस्त्र संघर्ष में शामिल होने के उनके निर्णय को प्रेरित किया।
“‘आयरलैंड में मेरे दरवाजे पर एक संघर्ष चल रहा था और इसमें कभी कोई सन्देह नहीं था कि मुझे इसमें शामिल होना था। जब मैं बेलफास्ट में नाव से उतरी, तो मैंने ब्रिटिश सेना को उच्च तकनीकी हथियारों के साथ सड़कों पर मार्च करते देखा। मैंने ब्रिटिश सैनिकों को कई फ्लैटों पर छापा मारते देखा और मुझे यह भयावह लगा। मैं सशस्त्र संघर्ष में शामिल होने के लिए उत्सुक हो गयी।’”
और 2012 की इस डॉक्यूमेंट्री* में, रोज उन राजनीतिक शिक्षा कक्षाओं को याद करती हैं, जिन्हें उन्होंने ग्रामीण कैवन में आयोजित करने में मदद की थी। “हम किस प्रकार की दुनिया का निर्माण करेंगे और हम इसे कैसे करेंगे” पर चर्चाएँ आदर्शवादी तरीके से नहीं, बल्कि ठोस वास्तविकताओं के आधार पर की गयीं। वह सशस्त्र संघर्ष का हिस्सा बनना चाहती थीं और “आपको यह सीखना होगा कि यह कैसे करना है। वर्ग संघर्ष की तरह ही आपको सीखना होगा। यह कोई ऐसी चीज नहीं है जो किसी भी वर्ग के व्यक्ति को सहज रूप से आती हो।”
यहाँ हम समाजवादी शिक्षा के प्रति रोज के जुनून के साथ–साथ इस बात का प्रतिबिम्ब भी देख सकते हैं जो माओ के उनके पसन्दीदा उद्धरण में आया है––
“अगर आप नाशपाती का स्वाद जानना चाहते हैं तो आपको नाशपाती को खुद खाकर बदलना होगा। यदि आप क्रान्ति के सिद्धान्त और तरीकों को जानना चाहते हैं, तो आपको क्रान्ति में भाग लेना होगा।”
यह कहते हुए कि सशस्त्र संघर्ष से संवैधानिक राजनीति में परिवर्तन करना आसान नहीं था, रोज ने माओ के “प्रसिद्ध उद्धरण” को याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सत्ता बन्दूक की नली से निकलती है, उन्होंने कहा कि जो लोग इस सशस्त्र संघर्ष में शामिल थे वे “सत्ता के अहंकार का मुकाबला करने” के बारे में ऐसा कुछ जानते थे जो शायद अन्य लोग नहीं जानते।
वे कहा करती थीं, “मैंने आज भी उन चीजों पर अपना मन बिल्कुल भी नहीं बदला है जिनका एहसास मुझे शुरुआती वर्षों में हुआ था। मैं बुनियादी तौर पर सोचती हूँ––– कि हम सभी को पूँजीवाद को खत्म करने के लिए काम करना होगा और इस बारे में भी कि ऐसा कैसे किया जाये––– मेरा मानना है कि यह निश्चित रूप से सम्भव है।”
रोज वास्तव में “एक सच्ची क्रान्तिकारी और एक सच्ची किंवदन्ती” थीं और हैं।
क्रान्तिकारी सलाम, कॉमरेड रोज डगडेल!
* मूल अंग्रेजी लेख में इस डॉक्यूमेंट्री का एक लिंक है जिसे इसकी वेबसाइट पर जाकर देखा जा सकता है।
(साभार : एमआरऑनलाइन डॉट ऑर्ग)
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