पिछले दिनों स्विट्जरलैण्ड के केन्द्रीय बैंक ‘एसएनबी’ ने अपने बैंकों में जमा विदेशी लोगों के पैसों के विवरण से सम्बन्धित एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि भारतीयों के जमा धन में 50 फीसदी की अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार 2020 के अन्त में यह जमा राशि बीस हजार सात सौ करोड़ रुपये थी जो अब बढ़कर तीस हजार पाँच सौ करोड़ रुपये के पार पहुँच गयी है। सरकार पिछले समय से काले धन को नियंत्रित करने की बड़ी–बड़ी घोषणाएँ कर रही है, लेकिन इस रिपोर्ट ने सरकार के इन सभी दावों की पोल खोल दी है।

भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में काले धन को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। साथ ही यह वादा किया था कि उनकी सरकार बनते ही वह विदेशों में जमा कालाधन भारत वापस लाकर उसमें से सभी भारतीयों को 15–15 लाख रुपये देंगे। इन्होंने देश की गरीब जनता को इस काले धन से भारत को स्वर्ग बनाने का सपना दिखाया था। लेकिन यह केवल वोट पाने के लिए एक जुमला ही साबित हुआ है। 2014 में सत्ता मिलने के बाद भाजपा अपने हर वादे से मुकर गयी और काला धन वापस लाना तो दूर बल्कि और तेजी से देश से लाखों–करोड़ रुपये काले धन के रूप में विदेश जाने लगा है। मोदी सरकार ने साल 2016 में नोटबन्दी की थी जिसका मुख्य कारण काले धन का सफाया करना बताया गया था। लेकिन इसकी आड़ में उद्योगपतियों और मंत्रियों के लाखों करोड़ रुपये काले धन को सफेद किया गया और आम जनता को अपने पैसे निकालने के लिए कितने ही कष्टों का सामना करना पड़ा था।

जिस दौरान देश की बहुसंख्यक आबादी कोरोना महामारी में बेरोजगारी और भुखमरी से बदहाल थी उसी समय यह काला धन अभूतपूर्व तरीके से बढ़ा। यह साफ दर्शाता है कि मेहनतकश जनता की जेब खाली करके एक वर्ग मालामाल हो रहा है।

पिछले समय से देश में गहराता आर्थिक संकट भी इसका एक कारण हो सकता है। इस आर्थिक संकट की चपेट में आकर पिछले सालों में कितने ही बैंक बर्बाद हो गये हैं। अक्सर सरकार गलत प्रबन्धन का बहाना बनाकर आम जनता से असली तस्वीर छुपा लेती है। लेकिन धन्नासेठ, राजनेता और बड़े अफसर यह सच्चाई जानते हैं, इसलिए पिछले समय में अपनी लूट के पैसों को बचाने के लिए इन्होंने भारतीय बैंकों से अपने पैसे निकालने शुरू कर दिये हैं। आर्थिक संकट का बोझ हमेशा की तरह आज भी आम मेहनतकश जनता पर ही डाला जा रहा है। एक तरफ आम जनता बढ़ती महँगाई और बेरोजगारी के कारण तिल–तिल कर मरने को मजबूर हो रही है, वहीं दूसरी तरफ राजनेता, बड़े अभिनेता, उद्योगपति जनता को लूटकर नोटों के रोज नये जखीरे खड़े कर रहे हैं। स्विस बैंक ने कितनी ही बार इनके नाम सरकार को दिये हैं लेकिन कालेधन को खत्म करने का डंका पीटने वाली सरकार ने एक बार भी यह नाम सार्वजनिक नहीं किये। आखिर जनता के इन दुश्मनों से मोदी सरकार की क्या यारी है? कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है।

–– आकाश