गाजा नरसंहार पर हिलेरी क्लिंटन के बयान का विरोध
अन्तरराष्ट्रीय अभिषेक तिवारीफिलिस्तीन की गाजा पट्टी में इजरायल द्वारा किये जा रहे नरसंहार को अब छ: महीने से ज्यादा हो चुके हैं। दुनियाभर के इनसाफपसन्द लोगों और मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले समूह इस नरसंहार और कत्ल–ओ–गारत को तुरन्त रोकने की माँग लगातार उठा रहे हैं। बावजूद इनके, इस तबाही के रुकने के कोई आसार अभी नजर नहीं आ रहे हैं।
इसी साल 19 फरवरी को जर्मनी के बर्लिन शहर में सिनेमा फॉर पीस द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसी कार्यक्रम में संयुक्त राज्य अमरीका की राजनीतिज्ञ हिलेरी क्लिंटन ने इजराइल द्वारा फिलिस्तीनी जनता के कत्लेआम पर ऐसा बयान दिया कि कार्यक्रम के दौरान ही श्रोताओ ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि “अगर युद्धविराम हुआ तो यह हमास के लिए तोहफा होगा क्योंकि इस वक्त का इस्तेमाल वह फिर से खुद को खड़ा करने के लिए करेगा। जो लोग युद्धविराम की बात कर रहे हैं वे हमास को समझते ही नहीं हैं। ये सम्भव ही नहीं है। हमास इस वक्त का इस्तेमाल मजबूत ठिकाने को बनाने, युद्ध सामग्री जुटाने के लिए करेगा।”
इस बयान के बाद चर्चा के दौरान श्रोताओं में मौजूद एक महिला ने क्लिंटन का विरोध करते हुए कहा कि “इजराइल अपना बचाव नहीं कर रहा है, यह एक नरसंहार है और इसके लिए आप पैसे दे रहे हैं और आप इस सबके बावजूद महिलाओं के अधिकारों के बारे में बात करती हैं? क्या आप इसके प्रति गम्भीर हैं भी? आप किस महिला अधिकार की बात कर रही हैं? अमरीकी सरकार द्वारा नरसंहार को अंजाम दिया जा रहा है। आप अभी शान्ति के लिए सिनेमा पर बात कर रही हैं? हम नरसंहार का सिनेमा देख रहे हैं। तुम इनसान नहीं हो! तुम्हारे हाथ खून से सने हैं! तुम एक युद्ध अपराधी हो। तुम पाखंडी हो। तुम्हें शर्म आनी चाहिए। साम्राज्यवाद का समर्थन करने के लिए आप सभी को शर्म आनी चाहिए। साम्राज्यवाद मुर्दाबाद।” उस महिला को सुरक्षाकर्मियों ने जबरदस्ती हॉल से बाहर कर दिया। इसके बाद एक–एक करके कई लोग खड़े हुए और हिलेरी क्लिंटन को उनके बयान के लिए बुरी तरह लताड़ा जिन्हें एक–एक करके सुरक्षाकर्मी बाहर करते रहे।
एक अन्य आदमी ने खड़े होकर कहा, “आप नरसंहार का समर्थन करती हैं। आप गैर–न्यायिक हत्या की बात करती हैं और आप पाकिस्तान में सैकड़ों लोगों की हत्याओं के लिए जिम्मेदार हैं। आपने अफगानिस्तान, इराक और मध्य–पूर्व के अन्य देशों के खिलाफ युद्ध का समर्थन किया था। आप युद्ध अपराधी हो। पाखण्डी हो। शर्म आनी चाहिए। तुम सभी लोगों को शर्म आनी चाहिए। मुक्त फिलिस्तीन जिन्दाबाद!”
क्लिंटन का बयान ऐसे वक्त आया है जब छ: महीने से जारी गाजा नरसंहार के ऐसे तथ्य सामने आये हैं जिसने पूरी इनसानियत को शर्मसार कर दिया है। 25 मार्च 2024 को संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन में मानवाधिकार की स्थिति और वहाँ हो रहे नरसंहार को लेकर पच्चीस पन्नों की रिपोर्ट प्रकाशित की और बताया कि बीते पाँच महीने से जारी नरसंहार में, करीब 30,000 फिलिस्तीनी लोग मारे जा चुके हैं जिनमें 13,000 से ज्यादा बच्चे हैं। इससे अलग 12,000 को मरा हुआ समझा जा रहा है और 71,000 घायल ऐसे हैं, जो हमेशा के लिए अपंग हो गये हैं। 70 फीसदी रिहायशी इलाके तबाह हो चुके हैं। कुल आबादी के 80 फीसदी लोगों को जबरन विस्थापित किया गया है। हजारों लोग आज भी नजरबन्द हैं। बड़ी संख्या में राहतकर्मियों, पत्रकारों को भी जिन्दगी गवानी पड़ी है।
क्रूरता की सभी हदें पार करता इजरायल का प्रधानमंत्री नेतन्याहू अपने हाल के बयान में कहता है कि युद्ध में निर्णायक जीत के लिए जल्द ही इजरायल दक्षिण गाजा स्थित रफाह पर सैन्य चढ़ाई करेगा। रफाह वही जगह है जहाँ 15 लाख फिलिस्तीनी राहत शिविरों में नारकीय हालात में रहने को बाध्य हैं यही उनका अन्तिम आसरा बना हुआ है।
इस नरसंहार के शुरू होने के हफ्ते भर के अन्दर ही इजरायली सेना ने उत्तरी गाजा में रह रहे 11 लाख फिलिस्तीनियों को 24 घंटे में अपने घर खाली करने का फरमान सुना दिया था। सालों से रह रहे इन फिलिस्तीनी लोगों के सपने एक रात में चकनाचूर कर दिये गये और उन्हे दक्षिण की ओर विस्थापित होने को मजबूर किया गया। अंधाधुंध बमबारी कर उत्तरी गाजा को तबाही की कगार पर पहुँचा दिया गया। इजरायल केवल यहीं नहीं रुका, उसने दक्षिण के इलाकों को जिसमें एक शहर खान यौनिस भी है, को मलबे के ढेर में बदल दिया है, जो कभी फिलिस्तीनी लोगों से गुलजार था। दक्षिण में ही, जहाँ लाखों की संख्या में फिलिस्तीनी राहत शिवरों में रहने को अभिशप्त थे उसको भी अपने बमों का निशाना बनाया।
बमबारी और सैन्य कार्यवाहियों के चलते होने वाली मृत्यु के अलावा फिलिस्तीनी जनता अकल्पनीय भुखमरी और बीमारी से भी जूझ रही है। इजराइली सेना अस्पतालों को तबाह करके राहत सामग्री को जनता तक पहुँचने से रोककर बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी लोगों को मार रही है। भुखमरी के सबसे अधिक शिकार बच्चे हो रहे हैं। अपने परिवार को जिन्दा बचाये रखने के लिए बच्चे कई दिनों तक लाइनों में लगकर खाना जुटा रहे हैं, इंटरनेट पर उनकी ये तस्वीरें इनसानियत को प्यार करने वाले किसी भी व्यक्ति की रूह को कँपा दंेगी। खाना न मिलने पर गाजा के लोग जानवरों के खाने, घास–फँूस और चिड़ियों के दानों पर जिन्दा हैं। बच्चें चूहों द्वारा छोड़ी गयी कतरन को खाने के लिए विवश हैं। यूनिसेफ संस्था के अनुसार दो साल से कम के 90 फीसदी बच्चे न्यूनतम आवश्यक आहार नहीं पा रहे हैं और गाजा में दो साल से कम उम्र के तीन में से दो बच्चे भयानक रूप से कुपोषण का शिकार हैं। गर्भवती और दूध पिलाने वाली 100 में 95 माँओं को अपने लिये आवश्यक न्यूनतम भोजन भी मिल पाना नामुमकिन हो गया है। इजरायल प्यास से लोगों को मारने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। बमबारी में ध्वस्त हुए इलाकों में पानी की आपूर्ति न हो सके इसके लिए इजराइल लगातार ढाँचे के पुनर्निर्माण में बाधायें खड़ी कर रहा है।
नेतन्याहू सरकार से जुड़े नेताओं, सैन्य अधिकारियों और इजरायल के साम्राज्यवादी सहयोगियों द्वारा किये गये कुकर्मों का सही हिसाब–किताब लगाने में शायद कई पीड़ियाँ लग जायें, लेकिन बीते इन छ: महीनों में नेतन्याहू और अमरीका ने जो गाजा की जनता पर कहर बरपा किया और अपने युद्ध अपराधों को छुपाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाये हैं उसे पूरी दुनिया देख रही है। इजरायल सरकार कानून पास करके ऐसे किसी भी विदेशी न्यूज नेटवर्क को जो उसके कुकर्मों को जगजाहिर कर सकता है उसे देश की सुरक्षा के लिए खतरे के नाम पर बन्द कर रही है। इसके साथ ही इजरायल सरकार ने गाजा के अन्दर मीडिया के जाने और उसकी रिपोर्ट करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
अमरीका और अपने यूरोपीय सहयोगियों के दम पर इजरायल सरकार फिलिस्तीनी जनता का नरसंहार कर रही है। लोकतंत्र के स्वयंभू रक्षक अमरीका से यह उम्मीद रखना सरासर बेईमानी होगी कि वह नेतन्याहू के कुकर्मों के खिलाफ कुछ ठोस कदम उठायेगा। इसके विपरीत बाइडन प्रशासन ने हाल के दिनों में भारी संख्या में सैन्य साजो–सामान और हथियारों को इजरायल भेजने की स्वीकृति दी है जिससे इजरायल दक्षिणी गाजा में जो कहर बरपायेगा इसकी कल्पना भी रूह को कँपा देती है।
आज पूँजीवादी–साम्राज्यवादी व्यवस्था पूरी मानवता की दुश्मन बनी हुई है और इतिहास के सबसे क्रूर और पतित शासक इनकी बागडोर सम्हाले हुए हैं। इसी का नतीजा है कि फिलिस्तीनी जनता मौत के साये में जीने को मजबूर है। वे बेंजामिन नेतन्याहू और हिलेरी क्लिंटन जैसे विस्तारवादी और साम्राज्यवादी हितों के पैरोकारों से लगातार अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस सदी का सबसे बड़ा नरसंहार फिलिस्तीन में जारी है। इसके खिलाफ पूरी दुनिया में इनसाफपसन्द लोग अपनी आवाज बुलन्द कर रहे हैं और फिलिस्तीनी लोगों के साथ खड़े हो रहे हैं। इस कत्ल–ओ–गारत का अन्त तब ही हो सकता है जब पूरी दुनिया में एक ऐसी व्यवस्था हो जिसके केन्द्र में इनसान हों, इनसानियत हो।
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