अमित इकबाल
लेखक की रचनाएं/लेख
समाचार-विचार
राजनीति
- चुनावी बॉण्ड घोटाला : भाजपा को चन्दा, कम्पनियों को धन्धा और जनता को फन्दा
- तूतिकोरिन जनसंघर्ष का बर्बर दमन
- नागरिकता संशोधन कानून और जनसंख्या रजिस्टर
- प्रशासन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के ठेके पर
- ये मौसमे गुल गरचे, तरब खेज बहुत है–––– (अर्थव्यवस्था की तबाही, बेरोजगारी और मजदूरों की बर्बादी के समय अमृत महोत्सव का खटराग)