अंक 41, अगस्त 2022

संपादकीय
श्रीलंका संकट : नवउदारवाद की कारगुजारियों का शिलालेख
चार महीने से आर्थिक तबाही के खिलाफ संघर्षरत श्रीलंका की जनता ने 9 जुलाई को राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया। हर्षोल्लास और तात्कालिक जीत की तस्वीरें समाचार माध्यमों पर छाई हुई हैं और दुनिया भर के नवउदारवादी शासक घबराये हुए हैं। इस...
देश विदेश के इस अंक में
सामाजिक-सांस्कृतिक
गैर बराबरी की महामारी
सामाजिक-सांस्कृतिक––शालू पंवार आज की दुनिया में गैर बराबरी एक महामारी का रूप धारण कर चुकी है। दुनिया के किसी भी हिस्से में जीवन का कोई भी पहलू ऐसा नहीं है जिसने इसे संक्रमित ना किया हो। इसका फैलाव इस कदर भयावह हो चुका है कि खुद पूँजीवादी बुद्धिजीवी चिन्तित हैं। हालाँकि वे उन नीतियों… आगे पढ़ें
साम्प्रदायिकता और संस्कृति
सामाजिक-सांस्कृतिक–– प्रेमचंद साम्प्रदायिकता सदैव संस्कृति की दुहाई दिया करती है। उसे अपने असली रूप में निकलते शायद लज्जा आती है, इसलिए वह गधे की भाँति जो सिंह की खाल ओढ़कर जंगल में जानवरों पर रोब जमाता फिरता था, संस्कृति का खोल ओढ़कर आती है। हिन्दू अपनी संस्कृति को कयामत तक स्वरक्षित… आगे पढ़ें
राजनीतिक अर्थशास्त्र
दुनिया में चैथे नम्बर का अमीर अडानी समूह, देश के बैंकों का सबसे बड़ा कर्जदार भी है।
राजनीतिक अर्थशास्त्र–– विजय शंकर सिंह यह भी एक विडंबना है कि अपने साठवें जन्मदिन पर 60,000 करोड़ रुपये दान करने की घोषणा करने वाले गौतम अडानी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 14,000 करोड़ रुपये का ऋण माँगा है। अडानी ग्रुप, गुजरात के मुंद्रा में पीवीसी प्लाण्ट बनाने के लिए, 19,000 करोड़ रुपये… आगे पढ़ें
राजनीति
अग्निपथ योजना : नौजवानों की बर्बादी पर उद्योगपतियों को मालामाल करने की कवायद
राजनीति | मोहित पुण्डीर14 जून 2022 को भारत सरकार ने सेना में भर्ती की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव करते हुए ‘अग्निपथ’ नामक योजना की घोषणा की है। इस योजना से भर्ती होने वाले नौजवानों को सरकार ने ‘अग्निवीर’ नाम दिया है। नोटबन्दी, जीएसटी और कृषि कानून के समय जिस तरह के झूठे दावे… आगे पढ़ें
बेरोजगार भारत का युग
राजनीति–– माया जॉन तथ्यों के ऐसे बहुत से सूचक मौजूद है जो भारत में रोजगार सृजन के लम्बे चैड़े वादों का खण्डन करते हैं। रेलवे नौकरी के अभ्यर्थियों के हालिया विरोध प्रदर्शन के सामने आये दृश्यों और रिपोर्टों ने भारतीय युवाओं के बीच व्याप्त भयानक रोजगार असुरक्षा की बड़ी समस्या… आगे पढ़ें
ये मौसमे गुल गरचे, तरब खेज बहुत है–––– (अर्थव्यवस्था की तबाही, बेरोजगारी और मजदूरों की बर्बादी के समय अमृत महोत्सव का खटराग)
राजनीति | अमित इकबालकोरोना महामारी की तीन लहर गुजर जाने के बाद भारत सरकार हमें राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने का शुभ सन्देश दे चुकी हैं। यानी अर्थव्यवस्था की स्थिति अब कमोबेश कोरोना–पूर्व हालत में पहुँच चुकी है, मानो पतझड़ के बाद बसन्त आ गया हो। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ भी… आगे पढ़ें
‘आपरेशन कमल’: खतरे में लोकतंत्र
राजनीति | सीमा श्रीवास्तव–– सीमा श्रीवास्तव महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबन्धन की सरकार गिरा दी गयी। भाजपा शासित राज्यों गुजरात, असम और गोवा में लगभग 10 दिनों तक विधायकों की बाड़ेबन्दी कर, भाजपा ने जो खेल खेला, वह सबने देखा। सरकार बदलने की कवायद तभी से की जा रही थी, जब ढाई साल पहले गठबन्धन… आगे पढ़ें
साहित्य
खामोश हो रहे अफगानी सुर
साहित्य–– प्रो. कृष्ण कुमार रत्तू वतन इश्के तूं इछतेखारम उपरोक्त फारसी गीत का अर्थ है, “अपने प्यारे देश पर मुझे मान है।” 1970 के दशक में जब फारसी भाषा–भारत के सुप्रसिद्ध गायक अब्दुल वहाब मदादी ने इसे लिखा तो एक उत्कृष्ट रचना के तौर पर पूरे देश में… आगे पढ़ें
जनतांत्रिक समालोचना की जरूरी पहल – कविता का जनपक्ष (पुस्तक समीक्षा)
साहित्य–– रामकिशोर मेहता सुप्रसिद्ध कवि–आलोचक शैलेन्द्र चैहान की एक महत्वपूर्ण आलोचना पुस्तक ‘कविता का जनपक्ष’ प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक में जनपक्षीय आलोचना और इस परम्परा के कवियों पर गम्भीरता से विवेचन किया गया है। आलोचक बहुत बार रचनात्मक लेखक और पाठक… आगे पढ़ें
मिर्ज़ा ग़ालिब : फिर मुझे दीद–ए–तर याद आया
साहित्य | विजय गुप्तमिर्ज़ा ग़ालिब का ख़्ायाल आते ही हाथ सलाम के लिए उठता है और सिर अदब से झुक जाता है। उन्हें पढ़ते और गुनते हुए हर्फ़ की रौशनी से दिल–दिमाग़ रौशन हो उठता है। शब्द–लोक का जादू धीरे–धीरे खुलता जाता है और हम जादुई असर में बंधे हुए शब्दों का मोल और महत्व समझ पाते हैं।… आगे पढ़ें
व्यंग्य
आजादी को आपने कहीं देखा है!!!
व्यंग्य–– अनूप मणि त्रिपाठी रात को सुरक्षाकर्मी ने आकर बताया कि सर आजादी आयी हुर्इं हैं। नेता कुछ सोच में पड़ गया। पूछा, ‘आजादी!!! कौन आजादी!’ अब सुरक्षाकर्मी इसका क्या जवाब देता। वह हाथ बाँधे खड़ा रहा। नेता फिर कुछ सोचते हुए बोला, ‘अच्छा भेजो! देखते हैं!’… आगे पढ़ें
इन दिनों कट्टर हो रहा हूँ मैं–––
व्यंग्य–– अनूप मणि त्रिपाठी आजकल मैं बहुत हीन भावना में जी रहा हूँ। सामान्य तौर पर मैं सामान्य मनुष्य के जैसा जीवन ही जीना चाहता रहा हूँ। मगर अब देख रहा हूँ कि ऐसा सोचना भी मेरा असामान्य है। आजकल ऐसे सोचने वालों को कायर कहा जाता है। कायर ही नहीं बहुत कुछ कहा जाता है, जो… आगे पढ़ें
साक्षात्कार
कम कहना ही बहुत ज्यादा है : एडुआर्डो गैलियानो
साक्षात्कार–– जोनाह रस्किन (एडुआर्डो गैलियानो ने बड़ी, मोटी–मोटी किताबें लिखी हैं। लातिन अमरीका के रिसते जख्म(1973), जो वेनेजुएला के ह्यूगो शावेज ने मई में बराक ओबामा को इस उम्मीद से दी थी कि इससे वह कुछ इतिहास सीख पाएँ। यह 300 से ज्यादा पन्नों की है। इसके बाद गैलियानो… आगे पढ़ें
पर्यावरण
जलवायु परिवर्तन के चलते लू के थपेड़ों से आयी दुनिया की सामत
पर्यावरण | अमरपाल1992 ब्राजील के रियो दी जनेरियो में हुए पृथ्वी सम्मेलन में फिदेल कास्त्रो ने कहा था कि “कल बहुत देर हो जायेगी” जो कि हो गयी है। अब गलतियाँ दोहराने का वक्त नहीं है। बल्कि दुनिया के सभी देशों की सरकारों को और वहाँ की जागरूक जनता को जलवायु परिवर्तन को यानी पृथ्वी बचाने… आगे पढ़ें
विचार-विमर्श
पलायन मजा या सजा
विचार-विमर्श–– मनीषा खाली होते गाँव, गाँव वालों के लिए मजा या सजा यह कह पाना अपने आप में एक बहुत ही मुश्किल बात है। ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तराखण्ड के घोस्ट विलेजेस का विषय इतना प्रसिद्ध होने लगा है, जितना कि, टिहरी की नथ और कुमाऊ की पिछोडी जैसे गहने। वैसे गाँव से हो रहे पलायन… आगे पढ़ें
पेट्रोलियम और कोयला संकट के पीछे का खेल
विचार-विमर्श | विशालजून के महीने में देश के कई राज्यों से पेट्रोल की कमी की खबरें आयीं। निजी कम्पनियों ने अपने सभी पेट्रोल पम्प पर आपूर्ति बन्द कर दी और सरकारी कम्पनियों ने आपूर्ति घटा दी। ऐसे समय में, जब कम्पनियाँ रूस से सस्ते कच्चे तेल का भरपूर आयात कर रही हों, तो देश में पेट्रोल का संकट अचरज… आगे पढ़ें
अन्तरराष्ट्रीय
प्रतिबन्धों का मास्को पर कुछ असर नहीं पड़ा है, जबकि यूरोप 4 सरकारें गँवा चुका है: ओरबान
अन्तरराष्ट्रीयहंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान ने शनिवार 23 जुलाई 2022 को कहा कि सच्चाई यह है कि आर्थिक और राजनीतिक संकटों के चलते यूरोप चार सरकारें गँवा चुका है जबकि रूस पर लगे प्रतिबन्ध मास्को के संकल्पों को कमजोर नहीं कर पाये हैं। “पश्चिम की रणनीति चारों पहियों में पेंचर वाली किसी… आगे पढ़ें
समाचार-विचार
स्विस बैंक में जमा भारतीय कालेधन में 50 फीसदी की बढ़ोतरी
समाचार-विचारपिछले दिनों स्विट्जरलैण्ड के केन्द्रीय बैंक ‘एसएनबी’ ने अपने बैंकों में जमा विदेशी लोगों के पैसों के विवरण से सम्बन्धित एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि भारतीयों के जमा धन में 50 फीसदी की अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार 2020 के… आगे पढ़ें
आजादी के अमृत महोत्सव की चकाचैंध में बीजेपी की असफलताओं को छुपाने की कोशिश
समाचार-विचार | नवनीतभाजपा ने अपने 2019 के घोषणापत्र में 75 संकल्पों को 15 अगस्त 2022 तक पूरा करने का वादा किया था। 15 अगस्त 2022 इसलिए क्योंकि तब देश आजादी की 75 वीं वर्षगाँठ मना रहा होगा। इसमें किसानों की आय दोगुनी करने, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, पर्यावरण को शुद्ध करने, रेलवे को सुदृढ़ करने और… आगे पढ़ें
निगरानी पूँजीवाद का बढ़ता दायरा
समाचार-विचार | राजेश कुमारइलेक्ट्रोनिक्स और सूचना तकनीक मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कहा कि वीपीएन कम्पनियाँ अगर साइबर सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती हैं, तो वे “भारत छोड़ने के लिए स्वतंत्र” हैं। मंत्रालय के अनुसार प्राइवेट नेटवर्क उपलब्ध कराने वाली कम्पनियों को जून 2022 से अपने ग्राहकों… आगे पढ़ें
भाजपा शासित राज्यों की पुलिस का दमनकारी रवैया
समाचार-विचार | अभिषेक तिवारीदो आदिवासी युवकों की संगठित हत्या के विरोध में आदिवासी संगठनों के नेतृत्व में 5000 आदिवासियों ने जबलपुर हाईवे जाम कर दिया। घटना इस प्रकार थी कि मध्यप्रदेश में बीते मई के महीने में शिवनी जिले में दो आदिवासी युवकांे की हत्या कुछ हिन्दुत्ववादी संगठनों द्वारा कर दी गयी, जिसका वीडियो… आगे पढ़ें
भाजपा शासित राज्यों में बुल्डोजर का बढ़ता आतंक
समाचार-विचार | उत्कर्षबीते जून महीने में एक सामाजिक कार्यकर्ता आफरिन फातिमा जिनका घर प्रयागराज में था, ढहा दिया गया। महज एक दिन की नोटिस चिपकाकर प्रशासन द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया। जब मकान गिराया जा रहा था, तब आफरिन और सुमाइया के पिता जेल में थे, जो वेल्फेयर पार्टी से जुड़े एक सक्रिय कार्यकर्ता… आगे पढ़ें
भारत देश बना कुष्ठ रोग की राजधानी
समाचार-विचारकल्पना कीजिए, एक रोज आपकी आँख खुले और आपकी नजर शरीर के उस सफेद धब्बे पर पड़े जिसे आपने पहले कभी नहीं देखा, देखते ही देखते यह सफेद हिस्सा, बेजान हो जाए और आपकी जिन्दगी को बेरंग कर दे। किसी भयावह कहानी सा प्रतीत होता है? यह भयानक कहानी इस आधुनिक युग में भी हजारांे कुष्ठ रोगियों… आगे पढ़ें
भारत में निरंकुश शासन : वी–डैम की रिपोर्ट
समाचार-विचार | सतेन्द्र सिद्धार्थहाल ही में स्वीडन की संस्था वी–डेम (वैरायटी ऑफ डेमोक्रेशी) ने अलग–अलग देशों में बढ़ रही निरंकुशता को दिखाने वाली एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट को 3700 विशेषज्ञों ने 202 देशों के 30 करोड़ तथ्यों के आधार पर तैयार किया है। रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले दस सालों में दुनिया… आगे पढ़ें
मौत के घाट उतारती जोमैटो की 10 मिनट ‘इंस्टेण्ट डिलीवरी’ योजना
समाचार-विचारहाल ही में ऑनलाइन फूड डिलीवरी कम्पनी जोमैटो के संस्थापक दीपिन्दर गोयल ने ‘इंस्टेण्ट डिलीवरी’ नामक योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत उन्होंने पहले चली आ रही 30 मिनट में खाना डिलीवर करने वाली सेवा को अब सिर्फ 10 मिनट में पूरा करने की गारण्टी दी है। यह सेवा सुनने… आगे पढ़ें
वैश्विक लिंग असमानता रिपोर्ट
समाचार-विचारये आँखें हैं तुम्हारी तकलीफ का उमड़ता हुआ समुन्दर इस दुनिया को जितनी जल्दी हो बदल देना चाहिये। ––गोरख पाण्डेय किसी देश–समाज की खुशहाली या बदहाली को जानना हो तो वहाँ महिलाओं और बच्चों की हालत… आगे पढ़ें
श्रीलंका पर दबाव बनाते पकड़े गये अडानी के “मैनेजर” प्रधानमंत्री जी
समाचार-विचारहाल ही में श्रीलंका के सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेण्डो ने एक संसदीय पैनल के सामने मोदी द्वारा उनके राष्ट्रपति पर दबाव बनाने की बात स्वीकारी है। दरअसल, श्रीलंका के उत्तरी मन्नार जिले में एक बड़ी पवन ऊर्जा परियोजना पर काम चल रहा है। इसी परियोजना… आगे पढ़ें
अवर्गीकृत
एक अकादमिक अवधारणा
अवर्गीकृत(किसी भी औद्योगिक क्रान्ति के विश्लेषण के लिए संरचना तैयार करने वाले विटवाटर्स रैंड यूनिवर्सिटी (जोहानसबर्ग) के प्रोफेसर इयान मोल से अक्षित संगोमला ने बातचीत की। बातचीत के अंश–––) क्या औद्योगिक क्रान्ति में जी रहे लोग इसके बारे में जानते हैं? औद्योगिक क्रान्ति… आगे पढ़ें
ज्ञानवापी मस्जिद का गढ़ा गया विवाद
अवर्गीकृत | मोहित वर्मापिछले दिनों अखबार और टीवी चैनलों ने बाकी खबरों को दरकिनार करते हुए महीनों तक ज्ञानवापी मस्जिद के मामले को मुख्य खबर बनाये रखा। हालाँकि इसी दौरान असम और अन्य राज्यों में भयावह बाढ़ से लाखों लोग उजड़ गये और सैकड़ों लोग काल के गाल में समा गये। इसी दौरान महँगाई दर 14 फीसदी तक बढ़ गयी… आगे पढ़ें
सर्वोच्च न्यायलय द्वारा याचिकाकर्ता को दण्डित करना, अन्यायपूर्ण है. यह राज्य पर सवाल उठाने वालों के लिए भयावह संकेत है
अवर्गीकृत(सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने 2009 में दन्तेवाड़ा में माओवादी ऑपरेशन के नाम पर सुरक्षा बलों द्वारा आदिवासियों के प्रति कथित यातना और न्यायेतर हत्याओं की जाँच की माँग करते हुए सर्वोच्च न्यायलय में एक याचिका दायर की थी। यह घटना सितम्बर और अक्टूबर 2009 की है जब छत्तीसगढ़ के… आगे पढ़ें