बीते जून महीने में एक सामाजिक कार्यकर्ता आफरिन फातिमा जिनका घर प्रयागराज में था, ढहा दिया गया। महज एक दिन की नोटिस चिपकाकर प्रशासन द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया। जब मकान गिराया जा रहा था, तब आफरिन और सुमाइया के पिता जेल में थे, जो वेल्फेयर पार्टी से जुड़े एक सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं, जिन्हे पुलिस ने इलाहाबाद में 10 जून को जुम्मे कि नमाज के बाद हुए कथित हिंसा की घटनाओं का मास्टरमाइण्ड घोषित कर गिरफ्तार किया था। प्रशासन द्वारा जो घर गिराया गया वह घर जावेद मोहम्मद की पत्नी के नाम पर पंजीकृत था। और सारा मेण्टेनेंस, बिजली बिल, पानी का बिल और हाउस टैक्स आदि उन्हीं के नाम पर आता था।

उत्तर प्रदेश में पिछले कई महीनों से प्रशासन द्वारा इस तरह की कार्रवाइयाँ लगातार जारी हैं। भाजपा कार्यकर्ता और यहाँ तक कि कई राष्ट्रीय मीडिया संस्थान भी इस सरकार को बुल्डोजर सरकार कहकर तारीफ कर रही है। गोदी मीडिया इन घटनाओं को योगी सरकार के सख्त रवैये और योगी आदित्यनाथ को एक बेहतरीन प्रशासक के रूप में पेश कर रही है। यही हाल कमोबेश सभी भाजपा शासित राज्यों का है। ऐसे में जनता में भयंकर आक्रोश दिखाई दे रहा है। सवाल यह है कि क्या देश में कानून का राज समाप्त हो गया है?

इस मामले में अहम प्रतिक्रिया उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर की आयी, “सरकार का यह रवैया पूरी तरह से गैरकानूनी है”। वहीं संजय हेगड़े का कहना है कि “मौजूदा कानून में ऐसा कोई प्राविधान नहीं है कि किसी भी गलती या अपराध के लिए उसके घर पर बुलडोजर चलाया जाए”।

आज सरकारी दमन कितना ज्यादा बढ़ गया है! अंग्रेज जब शासन कर रहे थे तो उन्होंने किसी भी नामजद के घर को ढहाया या गिराया नहीं था। लेकिन आज राज्यों की भाजपा सरकारें इस तरह शासन कर रही हैं कि उनके आगे अंग्रेज शासक भी शर्मिन्दा हो जायें। अगर हम भाजपा शासित राज्यों पर निगाह डालें तो पता चलेगा कि लोगों के मकानों को आनन–फानन में बुलडोजर से गिरा देने के मामले में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। और इसे कानून व्यवस्था का पर्याय बनाया जा रहा है। चाहे वह अन्तरधार्मिक विवाद हो या किसी विरोध प्रदर्शन में कथित तौर पर नामजद हो या किसी अपराधी को सबक सिखाना हो। बात यह है कि क्या तुरन्त न्याय देने वाली प्रणाली जिसमें आपसेे न सवाल पूछे जायेंगे और न ही किसी अदालत की कार्रवाई की जायेगी और न किसी कानून से कोई मतलब होगा, बस आपके घर के किसी सदस्य को अपराधी घोषित करने के बाद, आपके घर के सामने बुलडोजर लाया जाएगा और आपके घर को गिरा दिया जाएगा।

बीती रामनवमी को मध्यप्रदेश में उग्र और भड़काऊ नारों के साथ भीड़ ने अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाकों में हिंसा को अंजाम दिया। तुरन्त ही मध्यप्रदेश प्रशासन सक्रिय हो गया और उनका बुलडोजर पहुँच गया और अल्पसंख्यकों के अड़तालीस मकानों और दुकानों को गिरा दिया गया। सैकड़ों बच्चे, बूढ़े और जवान बेघर हो गये और रोजी–रोटी तक को मोहताज कर दिये गये। कुछ ऐसा ही मध्य प्रदेश में आसिफ खान के साथ घटित हुआ जिनका विवाह साक्षी साहू के साथ हुआ था। उनकी तीनों दुकानों को गिरा दिया गया और वे आर्थिक कंगाली की ओर धकेल दिये गये जबकि आसिफ की पत्नी ने खुद बयान जारी किया कि दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की थी।

 सर्वाेच्च न्यायालय तथा बड़े–बड़े न्यायाधीशों के बार–बार इस प्रकार की घटनाओं को गैरकानूनी कहने के बावजूद भाजपा शासित सरकारों की कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी और इस तरह की घटनाएँ बदस्तूर जारी हैं। जिस तरह मीडिया ऐसी घटनाओं पर ताली पीटकर खुशी मना रहा है और सरकार के ऐसे गैरकानूनी कामों को अच्छा बता रहा है, यह देश को आन्तरिक रूप से कमजोर करने के अलावा कहीं और नहीं ले जा सकता है। यह संविधान की एकता और अखण्डता की भावना पर कुठाराघात है। यह भारतीय समाज के लिए खतरे की घण्टी के समान है, जहाँ संगठित तौर पर एक समूह द्वारा दूसरे समूह की आर्थिक सामाजिक और धार्मिक भावनाओं पर हमला किया जा रहा है और अल्पसंख्यको को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का प्रयत्न किया जा रहा है।

विभिन्न राज्यों की भाजपा शासित सरकारों और प्रशासन द्वारा लगातार कानून को अपने हाथ में लेने और न्यायपालिका की अनदेखी करने से संविधान और कानून व्यवस्था पर से जनता का विश्वास उठता जा रहा है। जहाँ एक ओर भाजपा शासित सरकारें प्रशासन की मदद से नामजद लोगों से न्याय का अधिकार छीन रही हैं, वहीं दूसरी ओर, यह संविधान द्वारा देश के नागरिकों को प्राप्त सम्पत्ति का अधिकार और जीने का अधिकार जैसे मूलभूत अधिकारों से भी उन्हें वंचित कर रही हैं।

आज देश राजनैतिक संकट से गुजर रहा है, जो आर्थिक संकट की कोख से पैदा हुआ है। देश के शासक वर्गों और उनकी विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के पास देश को आगे बढ़ाने और विकास के रास्ते पर ले जाने का कोई समाधान नहीं है। बढ़ती बेरोजगारी, सामाजिक असुरक्षा आदि वास्तविक मुद्दों को हल करने का इनके पास कोई रास्ता नहीं है। यही वजह है कि ये देश में धार्मिक असहिष्णुता और ध्रुवीकरण का माहौल पैदा कर देश की जनता को मुख्य मुद्दों से भटकाना चाहते हैं। एक ओर मुट्ठीभर धन्नासेठों की सम्पत्ति बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर जनता भूखों मरने की कगार पर है। कोई सरकार की गलत नीतियों पर सवाल करता है तो उसे डराने–धमकाने के लिए वे अपना बुल्डोजर लेकर आ जाते हैं। इतिहास गवाह है कि कोई भी दमनकारी व्यवस्था अनन्त काल तक नहीं रहती, जनता द्वारा लगातार बढ़ते जुझारू संघर्षों ने पहले भी ऐसी दमनकारी सत्ताओं को नेस्तनाबूत किया है। इतिहास दुबारा दोहराया जाएगा और जालिम शासकों को राज सिंहासन से उतार फेंका जायेगा।