अंक 34, फरवरी 2020
संपादकीय
श्रम–कानूनों में भारी बदलाव : मजदूर हितों पर हमला
हमारे देश की अर्थव्यवस्था गहरे ढाँचागत संकट की गिरफ्त में है। अर्थव्यवस्था की स्थिति बतानेवाले सभी स्थापित पैमाने इस सच्चाई का इजहार कर रहे हैं। काफी समय तक विकास दर और बेरोजगारी के आँकड़े छुपाके और उनमें फेरबदल करके अर्थव्यवस्था के बिगड़ते स्वास्थ्य पर पर्दा डालने के बाद अब सरकारी अर्थशास्त्री और विभिन्न सरकारी संस्थान...
देश विदेश के इस अंक में
राजनीतिक अर्थशास्त्र
ग्रामीण गरीबों के लिए गढ़ा गया एक संकट
राजनीतिक अर्थशास्त्र–– राजेन्द्रन नारायणन राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और एक सम्भावित राष्ट्रीय रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी), जो एक मानवीय संकट का आगाज करेगा, ऐसे समय में आगे बढ़ाया जा रहा है जब ग्रामीण जनता भयावह संकट की गिरफ्त में है। जल्द ही बजट आने वाला है, इसलिए आइये, देखें… आगे पढ़ें
देश असमाधेय और ढाँचागत आर्थिक संकट के भँवर में
राजनीतिक अर्थशास्त्र | विक्रम प्रतापराजा मिदास ने भगवान से वरदान माँगा कि वह जिस चीज को छू ले, वह सोना बन जाये। उसे वरदान मिला, चारों ओर से सोने की बरसात होने लगी। कुछ दिन बाद मिदास अपने महल में मरा हुआ पाया गया जबकि उसके आस–पास की सभी चीजें सोने की थीं, थाली में सजा खाना भी। यूनान का यह मिथक देश के मौजूदा… आगे पढ़ें
बजट–2020 : नवउदारवाद और कींसवाद का घटिया मिक्स्चर
राजनीतिक अर्थशास्त्र | मुकेश असीमफिलहाल इस बात पर कोई विवाद नहीं कि भारतीय पूँजीवादी अर्थव्यवस्था गम्भीर संकट में है जिसके चलते आम मेहनतकश जनता का जीवन अत्यन्त कष्टपूर्ण होता जा रहा है। इस बजट से पहले बहस सिर्फ इस मुद्दे पर ही थी कि क्या सरकार सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर खर्च कम कर वित्तीय घाटा नियंत्रित… आगे पढ़ें
भारत से दूर भागते विदेशी निवेशक
राजनीतिक अर्थशास्त्र | अनुराग मौर्यजनवरी में देश के बड़े पूँजीपतियों ने महाराष्ट्र के नये मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ मीटिंग की, जिसमें इस बात पर जोर दिया कि महाराष्ट्र में निवेश के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जाये। उन्होंने चिन्ता जतायी कि विदेशी निवेशक भारत के बजाय वियतनाम में निवेश करना अधिक पसन्द कर रहे… आगे पढ़ें
सार्वजनिक कम्पनियों का विनिवेशीकरण या नीलामी
राजनीतिक अर्थशास्त्र | विशाल जुनूनीकेन्द्र सरकार जिन 5 बड़ी कम्पनियों के हिस्से को बेचने की योजना बना रही है, उनमें बीपीसीएल, एससीआई, कॉनकोर, एनईईपीसीओ (नीपको) और टीएचडीसीआई शामिल हैं। इनमें से नीपको और टीएचडीसीआई की पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनायी है, जिसके लिए केन्द्र सरकार के विनिवेश विभाग ने 12 विज्ञापन… आगे पढ़ें
राजनीति
असम में एनआरसी का प्रबल विरोध
राजनीति | अनुराग मौर्य–– अनुराग मौर्य असम में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनआरसी) का सर्मथन करनेवाले दो पत्रकार भाइयों ने लिखा कि हमें खुद नहीं पता था कि हम क्या करने जा रहे हैं। हमने शुरू में इसकी कठिनाइयों का अनुमान नहीं लगाया था और बिना यह जाने राज्य के सवा तीन करोड़़ लोगों को… आगे पढ़ें
नागरिकता संशोधन कानून और जनसंख्या रजिस्टर
राजनीति | अमित इकबालपिछले साल दिसम्बर में गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को पूरे देश में लागू करने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने इस प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) भी संसद के दोनों सदन में पारित करवाया, जो अब नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)… आगे पढ़ें
वैश्विक विरोध प्रदर्शनों का साल
राजनीति | मोहित पुण्डीरसंघर्षों से भरा एक और साल गुजर गया। अगर सन 2019 को वैश्विक विरोध प्रदर्शन का साल कहें, तो अतिश्योक्ति न होगी। यह साल अल्जीरिया में सरकार विरोधी आन्दोलन से शुरू होकर दिसम्बर में भारत के ‘नागरिक संशोधन कानून’ के जबरदस्त विरोध से खत्म हुआ। यह 21वीं सदी का राजनीतिक रूप… आगे पढ़ें
साहित्य
अकबर इलाहाबादी : जो अक्ल को न बढ़ाये वो शायरी क्या है
साहित्य | विजय गुप्त(जन्म 16 नवम्बर 1846 – निधन 15 फरवरी 1921) इलाहाबाद का जिक्र हो और इलाहाबादी अमरूद और अकबर इलाहाबादी याद न आयें, यह सम्भव ही नहीं। इलाहाबाद, अमरूद और अपने बारे में कमाल की गर्वोक्ति की है अकबर इलाहाबादी ने, कुछ इलाहाबाद में सामाँ नहीं बहबूद1 के याँ धरा क्या है बजुज2 ‘अकबर’… आगे पढ़ें
कहानी
जामुन का पेड़
कहानी–– कृश्न चन्दर (कृश्न चन्दर की प्रसिद्ध कहानी ‘जामुन का पेड़’ को दसवीं कक्षा के पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। इसे हटाने वाली सरकारी संस्था काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (आईसीएसई) ने बिना कोई उचित कारण बताये दावा किया कि यह कहानी दसवीं… आगे पढ़ें
व्यंग्य
प्रधानमंत्री की छवि बनाना भी हमारा राष्ट्रीय और नागरिक कर्तव्य
व्यंग्य | विष्णु नागरआपको सरकार के नये आदेशों–अनुदेशों की जानकारी है या नहीं? नहीं है तो जान लीजिए क्योंकि यह आदेश कर्नाटक में लागू भी हो चुका है! आदेश यह है कि हमने–– आपने अब से प्रधानमंत्री की छवि बिगाड़ने की कोई भी कोशिश की तो बच्चा हो या बड़ा, उस पर देशद्रोह–राजद्रोह का… आगे पढ़ें
अन्तरराष्ट्रीय
अमरीका ने कासिम सुलेमानी को क्यों मारा?
अन्तरराष्ट्रीय | विक्रम प्रतापकासिम सुलेमानी ईरान के कुद्स फौज के कमाण्डर थे जिन्हें 3 जनवरी 2020 को शुक्रवार के दिन अमरीका ने हवाई हमले में मार दिया। उनकी मौत पर ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा कि अमरीका का यह आतंकवादी कारनामा बहुत ही खतरनाक है और अमरीका को इसके सभी परिणाम भुगतने हांेगे, जो उसने… आगे पढ़ें
झूठ के सामने दम तोड़ता सच
अन्तरराष्ट्रीय | राजेश कुमार“मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाउँगी, वो झूठ बोलेगा और लाजवाब कर देगा”। परवीन शाकिर का यह शेर आज के दौर में झूठ और फर्जी खबर का कारखाना बन गयी सोशल मीडिया पर सटीक बैठता है। व्हाट्सएप और फेसबुक पर झूठी खबरें पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती बनी हुई हैं। ब्राजील का चुनाव… आगे पढ़ें
बोलीविया में तख्तापलट : एक परिप्रेक्ष्य
अन्तरराष्ट्रीयदिसम्बर 1973 में, मंथली रिव्यू के सम्पादक पॉल एम स्वीजी, जिन्होंने चिली की कई यात्राएँ की थीं और वे सल्वाडोर अलेन्दे के मित्र थे, उन्होंने चिली में सैन्य तख्तापलट के बारे में “चिली : द क्वेश्चन ऑफ पावर” शीर्षक से एक लेख लिखा था जिसमें बताया था कि “चिली की त्रासदी… आगे पढ़ें
बोलीविया में नस्लवादी तख्तापलट
अन्तरराष्ट्रीय | प्रवीण कुमार10 नवम्बर को बोलीविया में इवो मोरालेस की चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया गया। इवो मोरालेस देश के पहले मूल निवासी राष्ट्रपति थे। वे पिछले 14 साल से देश की सत्ता सम्भाल रहे थे। 20 अक्टूबर को उन्हें चैथी बार देश का राष्ट्रपति चुना गया था। उन्होंने 46–35 प्रतिशत मत प्राप्त… आगे पढ़ें
मध्य–पूर्व एशिया : पतन की ओर अमरीका
अन्तरराष्ट्रीय | अजहर3 जनवरी 2020 को अमरीका ने ईरान के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को बगदाद के अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ड्रोन हमले में मार दिया था। जवाबी कार्रवाई में ईरान ने इराक स्थित दो अमरीकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए एक दर्जन से अधिक मिसाइलें दागी और यह बताया कि इस हमले में 80 अमरीकी… आगे पढ़ें
समाचार-विचार
इण्टरनेट सेवाएँ बन्द करना कितना लोकतांत्रिक है
समाचार-विचार | आशुतोष कुमार दुबे4 अगस्त 2019 से कश्मीर में धारा 370 के खात्मे के बाद इण्टरनेट सेवाएँ 174 दिनों तक बन्द कर दी गयीं। इतने लम्बे समय तक इण्टरनेट बन्द रहने की यह पहली और एकमात्र घटना है। सीएए के प्रदर्शन के बाद भी कई राज्यों में इण्टरनेट सेवाओं को बन्द किया गया। इस तरह भारत दुनिया भर में इण्टरनेट… आगे पढ़ें
उत्तराखण्ड मेडिकल कॉलेज की फीस वृद्धि के खिलाफ छात्र आन्दोलन
समाचार-विचार | कुलदीप रियाजउत्तराखण्ड में पहले एमबीबीएस और उसके बाद आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने फीस वृद्धि के खिलाफ जुझारू आन्दोलन चलाया। आज स्थिति इतनी भयावह हो गयी है कि सरकार और प्रशासन छात्रों की अवाज सुनने के बजाय फीस बढ़ानेवाले निजी कॉलेज मालिकों के सामने नतमस्तक हो रहे हैं। उत्तराखण्ड… आगे पढ़ें
ऑस्ट्रेलिया की आग का क्या है राज?
समाचार-विचार | अरुण कुमारबीते दिसम्बर में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग ने भयानक रूप ले लिया। इसने लगभग सौ करोड़़ जीव–जन्तुओं को जलाकर राख कर दिया। इनमें इनसानों की अट्ठाईस जिन्दगियाँ भी शामिल हैं। ब्रिटेन के विशेषज्ञों का मानना है इस आग के चलते दस हजार करोड़़ जानवरों की जिन्दगी तबाह हो गयी। इस घटना… आगे पढ़ें
क्या यौन हिंसा को पुलिस हिंसा से खत्म किया जा सकता है?
समाचार-विचार | राजकमलहैदराबाद में एक पशुचिकित्सक महिला डॉक्टर के साथ सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसको जला दिया गया। इस घटना को लेकर पूरे देश के लोगों में एक आक्रोश व्याप्त था और बलात्कारियों के लिए फाँसी की माँग को लेकर लोग सड़कों पर आ गये। पुलिस ने आनन–फानन में चारों आरोपियों को गिरफ्तार… आगे पढ़ें
जेफ बेजोस का भारत दौरा और पीयूष गोयल का विवादास्पद बयान
समाचार-विचार | विक्रम प्रतापनयी दिल्ली में आयोजित वैश्विक संवाद सम्मेलन ‘रायसीना डायलॉग’ में पीयूष गोयल ने कहा, “अमेजन एक अरब डॉलर निवेश कर सकती है––– इसलिए ऐसा नहीं है कि वे एक अरब डॉलर का निवेश कर भारत पर कोई एहसान कर रहे हैं।” इस बयान पर कारोबारी जगत में हलचल… आगे पढ़ें
दिल्ली की अनाज मण्डी अग्निकाण्ड से उपजे सवाल
समाचार-विचार | ललित कुमार8 दिसम्बर 2019 की सुबह दिल्ली की अनाज मण्डी के पास एक कारखाने में हुए अग्निकाण्ड ने सभी दिल्लीवासियों को स्तब्ध कर दिया। यह हादसा इतना भयावह था कि इसने 43 मजदूरों की जिन्दगी निगल ली और 63 मजदूरों ने जैसे–तैसे यहाँ तक कि छत से कूदकर अपनी जान बचायी। आग पर काबू पाने के लिए… आगे पढ़ें
देश में राजद्रोह के बढ़ते मुकदमे
समाचार-विचार | विशालफ्रांस के महान दार्शनिक वोल्तेयर ने कहा था–– “मैं जानता हूँ कि आपकी बात गलत है, लेकिन आपका बोलने का अधिकार सुरक्षित रहे, इसके लिए मैं अपनी जान दे सकता हूँ।” फ्रांस में सामन्तवाद के पतन के समय के शासक “लुई चैदहवें” का यह कहना कि “मैं… आगे पढ़ें
सहकारी बैंक घोटालों का जारी सिलसिला
समाचार-विचार | सतेन्द्र सिद्धार्थनया साल शुरू होते ही भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंगलोर के श्री राघवेन्द्र सहकारी बैंक में जमा खातों से धन निकासी की सीमा तय कर दी और निर्देश दिया कि इस बैंक का कोई भी ग्राहक अगले आदेश तक अपने खाते से 35,000 रुपये से अधिक की धनराशि नहीं निकाल सकता। साथ ही बैंक के नये निवेशों की इजाजत… आगे पढ़ें