नयी दिल्ली में आयोजित वैश्विक संवाद सम्मेलन ‘रायसीना डायलॉग’ में पीयूष गोयल ने कहा, “अमेजन एक अरब डॉलर निवेश कर सकती है––– इसलिए ऐसा नहीं है कि वे एक अरब डॉलर का निवेश कर भारत पर कोई एहसान कर रहे हैं।” इस बयान पर कारोबारी जगत में हलचल मच गयी है। इसे जहाँ एक ओर विदेशी निवेश के लिए घातक माना जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, ऑनलाइन कम्पनियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे छोटे दुकानदारों को लुभानेवाला भी बताया जा रहा है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का कहना है कि ‘सरकार का यह बयान भारत के कारोबारी हित में नहीं है। यह भारत में होनेवाले विदेशी निवेश पर बुरा असर डालेगा और इससे विदेशी निवेशक देश से पूँजी लेकर जा सकते हैं।’ 
सरकार का यह बयान देश के हालात के बारे में एक तस्वीर पेश करता है। इस तस्वीर में एक त्रिभुज है, जिसके तीन कोनों पर क्रमश: विदेशी पूँजी के मालिक जेफ बेजोस, देशी पूँजी के मालिक मुकेश अम्बानी और देश की छोटी पूँजी के मालिक लाखों व्यापारी हैं। यह बयान इन तीन ताकतों के बीच के अन्तर्विरोध का आवश्यक परिणाम है।
अमेजन के मालिक जेफ बेजोस ने कहा कि अमेजन अगले 5 सालों में 70 हजार करोड़़ रुपये के “मेक इन इण्डिया” उत्पाद का निर्यात करेगी। यह निवेश उनकी कम्पनी की ओर से लघु और मध्यम उद्योग के लिए किया जायेगा। उनका दावा है कि इससे ये उद्योग ऑनलाइन कारोबार से जुड़़ सकेंगे। बेजोस तीन दिनों की यात्रा पर भारत आये। उनकी यह यात्रा ऐसे समय हुई जब भारत आर्थिक संकट से जूझ रहा है, मुकेश अम्बानी ने जिओ–मार्ट लॉन्च करने की घोषणा कर दी है, भारत के छोटे व्यापारियों और दुकानदारों के कारोबार में बहुत तेज गिरावट हो रही है, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अमेजन के खिलाफ जाँच का आदेश दिया है। 
पीयूष गोयल के बयान का विदेशी निवेश पर क्या प्रभाव पडे़गा, इसका अन्दाजा इसी बात से लग जाता है कि उनके बयान पर नाराजगी जताते हुए एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी के बड़े अधिकारी ने कहा कि निवेश को बढ़–चढ़कर बुलावा दिया जाता है और इसे गर्व की बात माना जाता है, लेकिन ऐसे बयान से विदेशी कम्पनियाँ भारत में निवेश करने से कतराएँगी। इससे विदेशी निवेश हतोत्साहित होगा।
छोटे व्यापारी और दुकानदार भाजपा के पुराने समर्थक रहे हैं, जिसे वह नाराज नहीं करना चाहती। उन्हें खुश करने के लिए ऐसे बयान दिये जा रहे हैं। जाहिर है कि गोयल के बयान से व्यापारियों का संगठन “कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इण्डिया ट्रेडर्स” खुशी जाहिर करे। लेकिन यह संगठन क्या व्यापारियों की तबाही के लिए जिम्मेदार सरकारी नीतियों को चिन्हित करेगा? सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस–भाजपा की आर्थिक नीतियों ने इन व्यापारियों और दुकानदारों को लगभग तबाह कर दिया है। अमेजन और फ्लिपकार्ट का ऑनलाइन कारोबार और डीकैथालोन–वालमार्ट के खुदरा कारोबार पर कब्जे ने उन्हें भारी नुकसान पहुँचाया है। छोटे दुकानदार आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार ने नियमों का उल्लंघन कर इन कम्पनियों को भारी राहत दी है। अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई–कॉमर्स कम्पनियाँ अपने ग्राहकों को भारी छूट देती हैं। वे ऐसा कैसे कर पाती हैं इसके बारे में पता करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने जाँच का आदेश दिया है। यह जाँच आदेश भी सरकार की ओर से छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को लुभाने के लिए ही दिया गया है। यहाँ यह भी सवाल है कि अम्बानी के जिओ–मार्ट से क्या छोटे व्यापारी और दुकानदार सुरक्षित रह पायेंगे?
जेफ बेजोस दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं और वे ई–कॉमर्स बिजनेस के बहुत बड़े खिलाड़ी हैं। पिछले 20 सालों में वे अमेजन के अपने कारोबार से जमीन से आसमान पर पहुँच गये। इस कम्पनी ने ऑनलाइन व्यापार का पूरा साम्राज्य खड़ा कर दिया है। इस साम्राज्य ने दुनिया भर के करोड़़ों व्यापारियों और दुकानदारों के व्यवसाय को ग्रहण लगा दिया है। अमेजन का साम्राज्य इन्हीं के कारोबार को छीन कर खड़ा हुआ है, उसने न तो बाजार में अपना कोई नया उत्पाद उतारा है और न ही कोई तकनीक विकसित की है।
विश्लेषक ऐसा मान रहे हैं कि यह लड़ाई जेफ बेजोस और मुकेश अम्बानी के बीच है, जो क्रमश: दुनिया के और भारत के सबसे अमीर शख्स हैं। मोदी सरकार ने ई–कॉमर्स कम्पनियों के लिए अभी कई नये नियम बनाये हैं, उससे अम्बानी की जिओ–मार्ट को भारी लाभ मिलेगा। दरअसल भारत की आर्थिक व्यवस्था देशी–विदेशी पूँजी के संश्रय से चलायी जा रही है। भारत की जनता के खिलाफ दोनों का हित एक–दूसरे से जुड़़ता है, लेकिन उसमें टकराव भी है। आर्थिक संकट के समय यह टकराव बढ़ जाता है और सतह पर दिखायी देने लगता है। 
मुकेश अम्बानी की रिलायंस इण्डस्ट्रीज ने फैसला किया है कि उनकी दो सहयोगी कम्पनियाँ रिलायंस रिटेल और रिलायंस जिओ एक साथ मिलकर काम करेंगी और इसे ही जिओ–मार्ट नाम दिया गया है। यह कम्पनी लगभग 50,000 सामानों का व्यापार करेगी। इससे खुदरा व्यवसाय की दुनिया में भूचाल आने की सम्भावना दिखायी दे रही है। रिलायंस भी भारत के छोटे व्यापारियों और दुकानदारों का कारोबार हथियाने की फिराक में है। इसलिए इनके सामने दो खतरे हैं, भारत की बड़ी पूँजी का और विदेशी पूँजी का। उन्हें अपने आन्दोलन की धार इन दोनों के खिलाफ मोड़नी होगी और सरकार के धोखे में नहीं आना होगा। यह तय है कि सरकार उनके हितों के खिलाफ अम्बानी की मदद कर रही है। सरकार के नीतिगत फैसले जेफ बेजोस के खिलाफ अम्बानी को ही राहत देंगे। उसके खोखले बयान से छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को खुश नहीं हो जाना चाहिए क्योंकि पूँजी निवेश के लिए लालायित सरकार अमेजन जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी से भी बैर मोल लेना नहीं चाहेगी।