अनियतकालीन बुलेटिन

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अंक 31, मार्च 2019

संपादकीय

पुलवामा त्रासदी, युद्धोन्माद और चुनाव

10 मार्च को चुनाव आयोग ने अप्रैल से मई तक 7 चरणों में लोकसभा चुनाव की घोषणा की। उसी दिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की सभा में यह कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्यवाही भाजपा का चुनावी मुद्दा होगा। इसमें अचरज की कोई बात नहीं,...

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देश विदेश के इस अंक में

सामाजिक-सांस्कृतिक

दिल्ली के सरकारी स्कूल : नवउदारवाद की प्रयोगशाला

पिछले 4 सालों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों की दसवीं और बारहवीं की नियमित कक्षाओं में क्रमश: 43,540 और 53,431 छात्रों की कमी आयी है। यानी, दसवीं में हर चैथे और बारहवीं में हर तीसरे छात्र को स्कूलों से निकाल दिया गया। एक तरफ बड़ी संख्या में छात्र कक्षा 9, 10 और 11 में नियमित स्कूलों… आगे पढ़ें

राजनीति

पूँजीवाद के खात्मे के बाद उसकी जगह कैसी व्यवस्था होगी?

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आज दुनिया कई तरह के संकटों का सामना कर रही है। इनमें सबसे प्रमुख है पर्यावरण की आसन्न तबाही, जिसे तेजी से बढ़ता धरती का तापमान और समुद्र का जल स्तर, बड़े पैमाने पर प्रजातियों का विलोप और ह्रास, जहरीली हवा, समुद्र सहित हर जगह का दूषित और प्रदूषित पानी, मिट्टी के लचीलेपन का नाश… आगे पढ़ें

मोदी सरकार का आखिरी बजट : चुनावी जुमलों का जखीरा

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जाती हुई सरकार का बजट अन्तरिम बजट या लेखा अनुदान माँग (वोट ऑफ एकाउंट) होता है, ताकि नयी सरकार के गठन होने तक अगले वित्तवर्ष के कुछ महीनोें का खर्च चल जाये। लेकिन मोदी सरकार ने अपने अन्तरिम बजट को न सिर्फ पूर्ण बजट के रूप में पेश किया, बल्कि चुनावी फायदे के मद्देनजर गुब्बारे… आगे पढ़ें

सीबीआई विवाद : तोता से कारिन्दा बनाने की कथा

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2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को ‘पिंजरे का तोता’ कहा था। पिछले दिनों सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच चले विवाद और वर्मा की सीबीआई से विदाई के दौरान जो तथ्य सामने आय हैं, उनसे पता चलता है कि सर्वोच्च… आगे पढ़ें

साहित्य

मातीगारी : वह देशभक्त जिसने गोलियाँ झेली हैं।

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‘मातीगारी’ उपन्यास न्गुगी वा थ्योंगो द्वारा गिकूयू भाषा में पहली बार 1986 में प्रकाशित हुआ। इस उपन्यास के चलते केन्या में एक तूफान खड़ा हो गया। इसे पढ़ने के बाद जो सवाल इस उपन्यास का नायक ‘मातीगारी’ दुहराता है, लोगों के जुबान पर वही सवाल घूमने लगे। लोग… आगे पढ़ें

कहानी

भेड़िया

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बहुत देर से मैंने एक दरख्त में पनाह ले रखी है और मेरी यह ख्वाहिश है कि नीचे उतरूँ। लेकिन कम्बख्त भेड़िया मुझे उतरने नहीं देता। वह नीचे खड़ा मुझे खौफनाक नजरों से लगातार देख रहा है और इस इन्तजार में है कि मैं कब उतरूँगा और वह मुझे चीर–फाड़कर खा जायेगा। जिस दरख्त पर अब मेरा… आगे पढ़ें

व्यंग्य

चरण पखारो कुम्भ : इन ‘पानी परात को हाथ छुयो नहीं’ स्टाइल

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कुम्भ मेले में सफाई कर्मियों की बस्ती के पास से गुजरते हुए आप की निगाहें फटी हुई चादरों या अखबारों पर पड़ी सूखी रोटियों या पूरियों पर चली जाती है। जी, यह सफाई कर्मियों की बस्ती का सबसे परिचित दृश्य है। वे गाँव से भूख लेकर आये हैं और यहाँ से भूख लेकर ही वापस जा रहे हैं। दिहाड़ी… आगे पढ़ें

विष्णु नागर के दो व्यंग्य

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(1) देशद्रोही हम यह सार्वजनिक घोषणा करते हैं कि हम भी बहुतों की तरह आजकल ‘देशद्रोही’ हैं। हमारे वश में श्मोदीछाप देशभक्त’ होना नहीं है, इसलिए ‘देशभक्ति’ इनके और ‘देशद्रोह’ हमारे हवाले है। ‘देशभक्त’ ही ऐसे मोदी जी की जयजयकार… आगे पढ़ें

पर्यावरण

कोप–24 में जलवायु समस्या पर समझौतावादी रवैया

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संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कांफ्रेन्स का 24वाँ (कोप–24) सम्मेलन पर्यावरण संकट का हल निकाल पाने में सफल न हो सका। यह सम्मेलन 2 से 15 दिसम्बर 2018 को पोलैण्ड के केटोवाइस शहर में आयोजित किया गया था। दुनियाभर में पर्यावरण के मुद्दे पर चल रहे छोटे–बड़े हजारों आन्दोलनोंं… आगे पढ़ें

मीडिया

जनता की निगरानी : क्यों और कैसे?

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सन्देशवाहकों, दूतों, पक्षियों–कबूतरों के सहारे शुरू हुई सन्देश भेजने की प्रक्रिया चिट्ठी, डाक, पोस्ट और टेलीग्राफ से विकसित होते हुए तार और लैंडलाइन फोन तक पहुँची। जो आज कृत्रिम उपग्रह के माध्यम से मोबाइल और इंटरनेट के रूप में दुनिया के लगभग सभी लोगों को आपस में जोड़े हुए… आगे पढ़ें

फेक न्यूज, ट्रोलिंग और फोटो, वीडियो एडिटिंग : भाजपा की चुनावी रणनीति

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अक्सर सोशल मीडिया के ‘फेक न्यूज’ (झूठ खबर) की पोल तो खुलती ही रही है, लेकिन जब सत्ता में शामिल कोई आदमी इस काम को सचेत रूप में करता है, तब हमें और भी ज्यादा सजग और होशियार हो जाना चाहिए और हर खबर को सच की कसौटी पर कसकर परखना चाहिए।  हम सभी जानते हैं कि 2014… आगे पढ़ें

विचार-विमर्श

अस्तित्व बनाम अस्मिता

–– मनोरंजन ब्यापारी कुछ दिन पहले कोलकाता पुस्तक मेले में हुए एक विवाद के सम्बन्ध में ‘टेलीग्राफ’ में खबर छपी, जिसे देख कर बहुतों ने मुझे फोन किया। यह टिप्पणी उसी के बारे में मेरा स्पष्टीकरण है। हर रोज हर पल महसूस करता हूँ कि कितनी कुत्सित जिन्दगी है मेरी!… आगे पढ़ें

राजनीति में आँधियाँ और लोकतंत्र

 –– आनन्द कुमार पाण्डेय पिछली रात की आँधी के बाद घर बिखरा पड़ा है। जो सामान अपनी जगह होना चाहिए, वहाँ नहीं है। पड़ोसी की चादर मेरे घर में है और मेरे कपड़े सड़क पर। आँधियाँ ऐसी ही होती हैं। सुबह जो धूल हम बाहर फंेकते हैं, रात में आँधी के साथ उससे ज्यादा घर के भीतर… आगे पढ़ें

अन्तरराष्ट्रीय

अफगानिस्तान से अमरीकी सैनिकों की वापसी के निहितार्थ

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हाल ही में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान से सात हजार सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला लिया है। सक्रिय सैन्य कार्रवाई में शामिल अमरीकी सेना का यह आधा हिस्सा है। ऐसा लग रहा है कि 18 सालों से जारी अमरीकी इतिहास का सबसे लम्बा युद्ध अब समाप्ति की ओर है। इस युद्ध… आगे पढ़ें

फ्रांस का येलो–वेस्ट आन्दोलन

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फ्रांस में ईंधन–शुल्क में बढ़ोतरी के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन की शुरुआत 17 नवम्बर 2018 को अलग–अलग शहरों में हुई, जो कुछ महीनों तक जारी रहा। हालाँकि पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी अन्य देशों में भी हुई है, लेकिन वहाँ की जनता ने फ्रांस… आगे पढ़ें

वेनेजुएला : तख्तापलट की अमरीकी साजिशों के बीच चरमराता हुआ एक देश

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वेनेजुएला का संकट गहरा होता जा रहा है। राष्ट्रपति निकोलस मादुरो (यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी) का तख्ता पलटने की समूची पटकथा वाशिंगटन में लिखी जा चुकी है और उस पटकथा के अनुसार अलग–अलग किरदार अपने अभिनय में लगे हैं। 21 जनवरी को विपक्षी गठबन्धन ‘यूनिटी कोलिशन’ के… आगे पढ़ें

वेनेजुएला संकट : आन्तरिक कम बाहरी ज्यादा है

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वेनेजुएला दोहरे संकट से गुजर रहा है। पहला, देश के भीतर खाने के सामान और दवाओं का अभाव है। दूसरा, खुआन गोइदो के नेतृत्व में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। खुआन गोइदो को अमरीका ने अन्तरिम राष्ट्रपति के तौर पर स्वीकार कर लिया है। अमरीका के सुर में सुर मिलाते हुए तमाम यूरोपीय… आगे पढ़ें

हथियारों की नयी होड़ : दुनिया एक बार फिर तबाही की ओर

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हाल ही में अमरीका ने इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्स (आईएनएफ) सन्धि से हाथ पीछे खींचने का फैसला किया है और रूस पर यह आरोप लगाया है कि रूस के क्रूज मिसाइल बनाने से इस सन्धि की शर्तों का उल्लंघन हुआ है। लेकिन रूस ने इस आरोप को साफ तौर पर नकार दिया है। अमरीका ने रूस को 6 महीने… आगे पढ़ें

समाचार-विचार

कोयला खदान मजदूरों की जद्दोजहद

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दिसम्बर 2018 में मेघालय की एक 370 फीट गहरी संकरी कोयला खदान में 15 मजदूर फँस गये। उन्हें बचाने के लिए चले बचाव अभियान ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। इस बचाव अभियान के दौरान आधुनिक उपकरणों के अभाव से जूझती राहत और बचाव एजेंसियों की बेबशी तथा जानलेवा खदानों से कोयला निकालने… आगे पढ़ें

चिकित्सा उपकरण कम्पनियों की लूटपाट 

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चिकित्सा उपकरणों के बाजार में कमाई की दरिया बह रही है। लेकिन यह कमाई गड़बड़ी वाले उपकरणों की खरीद–बिक्री के जरिये हासिल की जा रही है। कई बार मरीजों और उनके परिजनों को जानकारी दिये बिना ही तकनीकी गड़बड़ी वाले उपकरण लगा दिये जाते हैं। निजी क्लीनिकों और अस्पतालों में उपयोग किये… आगे पढ़ें

डिलीवरी ब्वाय की नौकरी

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न्यूज चैनल और सोशल मीडिया पर एक वीडियो बार–बार दिखाया गया, जिसमें एक डिलीवरी ब्वाय ग्राहक के खाने में से थोड़ा खाना खाकर वापस पैक कर देता है। मध्मम वर्ग के लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया। उन्हें लगा कि उनका मँगाया खाना सुरक्षित नहीं है। इस घटना से डिलीवरी ब्वाय के… आगे पढ़ें

डी कम्पनी के जरिये टैक्स चोरी

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टैक्स की चोरी पर कार्रवाई का दावा करने वाले भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के दोनों बेटों का नाम हेज फंड कम्पनी खोलने और टैक्स हैवन के जरिये कारोबार में सामने आया है। इस घटना को ‘कारवाँ’ पत्रिका में ‘एक और डी कम्पनी’ के शीर्षक से प्रकाशित किया गया… आगे पढ़ें

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नदियाँ मौत परोस रही हैं।

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासी जल संकट और प्रदूषित नदियों से अपरिचित नहीं हैं। लेकिन यह संकट कितना भयावह रूप ले चुका है, इसकी उन्होंने शायद ही कल्पना की हो। गाजियाबाद आधारित ईटीएस लैब ने मुजफ्फरनगर के भोपा इलाके के पानी का परीक्षण करने पर पाया कि एक लीटर पानी में लेड 2.15 मिलीग्राम… आगे पढ़ें

पिछले 45 सालों में बेरोजगारी की सबसे ऊँची दर

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राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की रिपोर्ट के अनुसार देश में 2017–18 में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी पहुँच गयी, जिसका खुलासा 31 जनवरी 2019 को ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ अखबार ने किया। बेरोजगारी की यह दर पिछले 45 सालों में सबसे ऊँची है, जिसे सरकार ने छिपाने… आगे पढ़ें

पेंशन बहाली का तेज होता आन्दोलन

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पिछले चैदह वर्षों से चल रहे पुरानी पेंशन बहाली का आन्दोलन तेज होता जा रहा है। 6–12 फरवरी तक देश के कई राज्यों के कर्मचारी बड़ी संख्या में हड़ताल पर चले गये। दिल्ली के रामलीला मैदान में करीब दो लाख कर्मचारियों ने हड़ताल की, जिसमें अलग–अलग विभागों के सरकारी कर्मचारी शामिल… आगे पढ़ें

भारत में विस्थापन की भयावह होती समस्या

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भारत में विस्थापन की समस्या साल–दर–साल और विकराल रूप लेती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र के एक रिपोर्ट में बताया गया कि में भारत में पिछले साल 28 लाख लोग विस्थापित हुए। इसके दो मुख्य कारण हैं। पहला है–– आपदाओं के चलते कुल 24 लाख लोगों को विस्थापन का शिकार… आगे पढ़ें

भारतीय खुदरा बाजार को गिरफ्त में लेती ई–मार्केटिंग कम्पनियाँ

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भारत में ऑन लाइन व्यापार करने वाली कम्पनियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस क्षेत्र की मुख्य कम्पनियाँ फ्लिपकार्ट, अमेजन, इवे, वालमार्ट, स्नैपडील, जोमैटो, स्वीगी, अलीबाबा, आदि हैं। इन कम्पनियों का मुख्य उद्देश्य भारत के खुदरा बाजार पर कब्जा जमाना है। सरकार द्वारा… आगे पढ़ें

मुजफ्फरनगर दंगे में अखबारों ने निभायी खलनायक की भूमिका

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फरवरी 2019 में सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपियों के मामले को रफा–दफा करने का फैसला किया। अगस्त और सितम्बर 2013 में मुजफ्फरनगर भयानक साम्प्रदायिक दंगे की चपेट में आ गया था। इसमें 60 लोग मारे गये और कई महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया। 40 हजार से अधिक लोग अपनी जमीन से… आगे पढ़ें

विश्वविद्यालयों में 13 प्वाइंट रोस्टरर्

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भारत के लगभग हर विश्वविद्यालय में 13 प्वाइंट रोस्टर के मुद्दे पर संघर्ष का माहौल बना हुआ है। इस 13 प्वाइंट रोस्टर ने विश्वविद्यालय शिक्षकों को दो खेमों में बाँट दिया है। एक खेमे में इसके समर्थक और दूसरे खेमे में विरोधी हैं। विरोध ने लगभग हर बड़े शहर में आन्दोलन का रूप ले लिया… आगे पढ़ें

अवर्गीकृत

डीएचएफएल घोटाला : नवउदारवाद की एक और झलक

ऐसा कोई दिन नहीं जाता, जब देश के महामहिम अखबार के पहले पन्ने पर देश की अवाम की प्रगति, खुशहाली की डींगें मारते न दिखायी दें और उसी अखबार के किसी कोने में किसी न किसी बड़ी कम्पनी के डूबने या किसी घोटाले की खबर न हो। यह अद्भुत समय है कि विकास गाथा का बखाान हो रहा है और विनाश लीला… आगे पढ़ें