वेनेजुएला दोहरे संकट से गुजर रहा है। पहला, देश के भीतर खाने के सामान और दवाओं का अभाव है। दूसरा, खुआन गोइदो के नेतृत्व में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। खुआन गोइदो को अमरीका ने अन्तरिम राष्ट्रपति के तौर पर स्वीकार कर लिया है। अमरीका के सुर में सुर मिलाते हुए तमाम यूरोपीय देश भी खुआन गोइदो के साथ हैं, लेकिन निर्वाचित राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने इसे अमरीका की तख्तापलट की साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि अमरीका वेनेजुएला में वही सब करना चाहता है, जो उसने वियतनाम और इराक में किया। मादुरो ने हाल ही में अमरीकी जनता के नाम एक खुला पत्र लिखा कि उनके वाशिंगटन में बैठे प्रतिनिधि लोकतंत्र और मानवाधिकारों के नाम पर वेनेजुएला के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी लिखा कि भले ही हमारी और आपकी विचारधारा अलग हो, पर हम भी आप जैसे ही लोग हैं।

वेनेजुएला के बारे में अमरीकी रणनीति उसे तीन तरीकों से घेरने पर टिकी है। पहला तरीका है विपक्ष के नेता गोइदो को राजनीतिक और आर्थिक समर्थन देकर। हाल ही में खुलासा हुआ है कि खुआन गोइदो को विदेशों से खूब आर्थिक सहयोग मिल रहा है। आर्थिक सहयोग देने वाले संगठन कोई और नहीं, बल्कि साम्राज्यवादी देशों को व्यापार के अवसर मुहैया कराने वाले अन्तरराष्ट्रीय संस्थान हैं, जो गिद्ध की तरह दुनियाभर के देशों में आर्थिक और राजनीतिक संकट को तलाशते रहते हैं और अपनी नीतियाँ और फण्ड लेकर पहुँच जाते हैं।

अमरीका का वेनेजुएला को घेरने का दूसरा तरीका है, आर्थिक नाकाबन्दी। वेनेजुएला की सरकारी तेल कम्पनी पैट्रोलेओस डे वेनेजुएला एसए (पीडीवीएसए) की परिसम्पत्तियों को अमरीका ने ब्लॉक कर दिया है। पीडीवीएसए की अमरीका में वितरण कम्पनी है सीटगो। अमरीका ने सीटगो के सारे खाते सील कर दिये हैं। वेनेजुएला की निर्यात से होने वाली आय का 98 फीसदी तेल की बिक्री से आता है। वह अपने कुल तेल का 41 फीसदी अमरीका को निर्यात करता है। अमरीका ने डॉलर देने से इनकार नहीं किया है, पर खाते सील करके वेनेजुएला की जनतांत्रिक सरकार के हाथ बाँध दिये हैं। वेनेजुएला पर रूस का करीब दो अरब डॉलर का कर्ज है, जिसकी किस्त अप्रैल 2019 में भेजी जानी है। किस्त समय से नहीं चुकायी गयी तो समझौते के हिसाब से वेनेजुएला के हाथ से सीटगो के पचास फीसदी शेयर रूस के पास चले जायेंगे।

वेनेजुएला के तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीददार देश भारत है। अमरीका ने वेनेजुएला से तेल न खरीदने का भारत पर भी दबाव बनाया है। अमरीका ने पर्दे के पीछे रहकर वेनेजुएला को आर्थिक रूप से तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। किसी देश की सम्प्रभुता के साथ ऐसा करना बिल्कुल लोकतांत्रिक नहीं हैय लेकिन अमरीका अपने आर्थिक हितों के लिए मानवाधिकारों को अपने पैरों से रौंदता रहा है।

अमरीका द्वारा वेनेजुएला को घेरने का तीसरा तरीका है, सैन्य हस्तक्षेप। कुछ दिनों पहले वेनेजुएला की सीमा के भीतर कई अमरीकी लड़ाकू विमान नजर आये थे, जिन्हें देखकर क्यूबा ने भी अमरीकी सैन्य हस्तक्षेप की कड़े शब्दों में निन्दा की और इस घटना को पूरे दक्षिणी अमरीका के लिए विनाशकारी बताया।

अमरीका और यूरोपीय देश मादुरो के ऊपर चुनाव में धाँधली करने का आरोप लगाते हैं और फिर से चुनाव कराने की धमकी देते हैं। वे धमकी की वजह बताते हैं–– लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा। पर हम देखते हैं कि होण्डुरस में खुद राष्ट्रपति खुआन आरलेण्डो हरनोडेज ने चुनाव में खुलेआम धाँधलेबाजी की। वह तमाम भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं। ड्रग की तस्करी करते हुए उनका भाई नवम्बर में अमरीका में गिरफ्तार हुआ। वे लोग, जो मानवाधिकारों के रक्षक मादुरो के पीछे पड़े हैं, उन्होंने कभी होण्डुरस में फिर से चुनाव की बात नहीं की। इससे अमरीका और यूरोप की लोकतंत्र के प्रति ढकोसलेबाजी का अन्दाजा लगाया जा सकता है। सच्चाई यह है कि वेनेजुएला केे प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने के लिए यह सब खेल हो रहा है।

वेनेजुएला में तीन कम्पनियाँ तेल का उत्पादन करती हैं। सबसे बड़ी कम्पनी का संचालन सरकार करती है। यह कम्पनी है पीडीवीएसए। यह दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी तेल निर्यातक कम्पनी है। 2004 से 2010 के बीच पीडीवीएसए ने 61.4 अरब डॉलर सरकार के सामूहिक विकास कार्यों के लिए दिये।

1998 की बोलिवारियन क्रान्ति के बाद से ही ह्यूगो शावेज की नीतियों ने विदेशी व्यापार पर लगातार जोर दिया। वर्ष 1995 में वेनेजुएला सरकार को 2.54 अरब डॉलर का फायदा हुआ था, वहीं वर्ष 2017 में यह बढ़कर 18.7 अरब डॉलर हो गया। अमरीका ने जनवरी 1993 में 4.33 करोड़ बैरल तेल आयात किया था, जबकि 2017 में केवल 2.32 करोड़ बैरल ही आयात किया। अमरीका ने आयात कम करके वेनेजुएला को आर्थिक नुकसान पहुँचाने की पूरी कोशिश की है। अमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भारत सहित कई देशों को वेनेजुएला से तेल न खरीदने के लिए दबाव बनाया। 2017 से वेनेजुएला में कच्चे तेल का उत्पादन हर तिमाही में दस फीसदी कम हो रहा है। 2017 के अन्त तक यह पाँच लाख बैरल प्रतिदिन तक कम हो गया। इसका सीधा असर वेनेजुएला के विकास कार्यों पर पड़ रहा है।

वेनेजुएला की दूसरी तेल कम्पनी है–– लैगो पैट्रोलियम कॉरपोरेशन। यह एक निजी कम्पनी है। यह करीब तीस हजार बैरल तेल प्रतिदिन निकालती है। यह कम्पनी चीनी, वेस्ट इंडीजवासी और वेनेजुएला वासियों में जो सबसे सस्ता मजदूर मिलता है, उसे मजदूरी पर रखती है। ज्यादातर स्थानीय लोग इस कम्पनी में दिहाड़ी मजदूरी करने आते हैं। इसके हित मादुरो सरकार द्वारा बनायी गयी नीतियों से टकराते हैं। वेनेजुएला की तीसरी तेल और गैस कम्पनी है–– कॉरपोरेशन टेªबोल गैस सीए। यह भी वेनेजुएला की एक निजी कम्पनी है। इसके पास 280 गैस स्टेशन हैं। हर राज्य में इसके स्टेशन हैं। वेनेजुएला के बाजार में इसकी 16 फीसदी हिस्सेदारी है।

अमरीका की भरपूर कोशिश है कि वह वेनेजुएला की सरकारी तेल कम्पनी को बर्बाद करके निजी कम्पनियों से तेल का आयात बढ़ाये। जब पीडीवीएसए तबाह होगी, तो वेनेजुएला में सामाजिक काम भी ठप पड़ जायेंगे। फिर शिक्षा और स्वास्थ्य, घरों के निर्माण और औद्योगिक विकास पर सरकार खर्च नहीं कर पायेगी। सैन्य हस्तक्षेप का डर बना रहेगा, तो वेनेजुएला को सबसे पहले अपनी जनता के लिए भोजन और आवास के बजाय सुरक्षा की गारंटी करनी होगी।

वेनेजुएला के गर्भ में 300 अरब बैरल कच्चा तेल छुपा है। लोहा और अभ्रक जैसे खनिज भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं। लेकिन तकनीकी विकास और औद्योगिक पिछडे़पन के चलते इन अमूल्य प्राकृतिक संसाधनों का असली फायदा अमरीका जैसे साम्राज्यवादी देश उठाते हैं, जो तकनीकी और औद्योगिक विकास में दुनिया में सबसे आगे है।

खुआन गोइदो बढ़–चढ़कर साम्राज्यवादी देशों की साजिश में हिस्सेदारी कर रहा है। इस साजिश के तहत वे वेनेजुएला के बार्डर पर मदद के साथ खड़े साम्राज्यवादी देशों को बड़े जोशो–खरोश से स्वागत–सत्कार कर रहा है। वह वेनेजुएला की सेना को बार–बार आदेश दे रहा है कि वह मदद सामग्री को जरूरतमन्दों में बाँटने का काम करे और मादुरो की सेवा करना बन्द करे। दूसरी ओर सेना लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित राष्ट्रपति मादुरो के पक्ष में है, जिन्होंने कहा है कि हमें किसी साम्राज्यवादी देश की मदद नहीं चाहिए। हम खुद जरूरी सामानों का उत्पादन और वितरण करेंगे।

इस तरह वेनेजुएला के संकट को खुआन गोइदो बढ़ाने में पूरी तरह जुटा हुआ है। पीडीवीएसए पर लगे प्रतिबन्धों को हटाने के बाद ही वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था में गति आयेगी। इस संकट का समाधान विदेशी धरती पर नहीं, वेनेजुएला की जमीन पर होगा। बोलिवारियन क्रान्ति के बाद से ही वेनेजुएला के हालात लगातार बेहतर हुए हैं, जबकि अमरीकी प्रतिबन्ध और कड़े हुए हैं। साक्षरता लगभग सौ फीसदी है। पूरी आबादी के आवास की व्यवस्था है। लेकिन खाने–पीने और दवाओं के लिए विदेशों पर निर्भरता बनी हुई है, जिसका फायदा साम्राज्यवादी देश उठाते हैं, ताकि उसे झुकाया जा सके और उस पर अपनी मनचाही शर्तें थोपी जा सकें। वे वेनेजुएला को भूखों मारने की रणनीति पर कायम हैं।

वेनेजुएला के विदेश मामलों के मंत्री जॉर्ज अर्रेजा ने कहा है, “हमें सिर्फ वेनेजुएला के लोगों द्वारा मान्यता चाहिए। साम्राज्यवादी देश तो बस कोई गलती ढूँढने का माहौल बना रहे हैं।” वे कोई ऐसी घटना चाहते हैं जिससे युद्ध थोपा जा सके। उन्होंने कहा, “वेनेजुएला की सरकार बातचीत और शान्ति चाहती है। उरूग्वेवासी और मैक्सिकोवासी बातचीत को सम्भव बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। मादुरो ने भी कहा है कि वह किसी भी बातचीत के लिए तैयार हैं। गोइदो इस चीज के लिए तैयार नहीं है क्योंकि अमरीकी सेना उसके पीछे है। वह अमरीकी लड़ाकू विमान के पंख पर बैठकर सत्ता पाना चाहता है।” मादुरो और अर्रेजा ने संकेत दिये हैं कि ऐसा होना वास्तव में अमरीका के वियतनाम पर थोपे गये युद्ध की यादों को ताजा कर देगा। पर वेनेजुएला मानता है कि युद्ध में कोई समझदारी नहीं है। वह तो केवल हमेशा चलने वाली इस तख्तापलट की साजिश का अन्त चाहता है।