अनियतकालीन बुलेटिन

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अंक 38, जून 2021

संपादकीय

सरकार की बेपरवाही ने लाखों लोगों की जान ले ली

कोरोना महामारी की दूसरी लहर देशभर में कहर ढा रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म–– फेसबुक, वाट्सएप, ट्वीटर, हर रोज किसी करीबी रिश्तेदार, किसी दोस्त, किसी साहित्यकार, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, यहाँ तक कि पार्टियों के बड़े नेताओं के मरने की हृदय–विदारक सूचनाओं से भरे हुए हैं। सरकार की लापरवाही और इलाज की बदइन्तजामी को लेकर लोगों...

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देश विदेश के इस अंक में

सामाजिक-सांस्कृतिक

किसान आन्दोलन के आह्वान पर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा

किसान आन्दोलन ने जनता के विभिन्न तबकों की चेतना उन्नत करने और आन्दोलन में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए नए–नए सृजनशील तौर तरीके विकसित किये हैं। संघर्ष के उन्हीं रूपों में एक है–– मिट्टी सत्याग्रह यात्रा, जो नमक कानून के विरोध में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा… आगे पढ़ें

राजनीतिक अर्थशास्त्र

खेती–किसानी पर साम्राज्यवादी वर्चस्व

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खेती के आधुनिकीकरण करने के नाम पर फार्म मशीनीकरण, उर्वरकों–कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग, सिंचाई तकनीकों में सुधार, जेनेटिक मोडीफाइड बीज, गरीब और मध्यम किसानों की तबाही और ऋण की आसान उपलब्धता जैसी चीजें साम्राज्यवादी ढंग की खेती की शुरुआत की महज भूमिका भर हैं। साम्राज्यवादी… आगे पढ़ें

गहरे संकट में फँसी भारतीय अर्थव्यवस्था  सुधार की कोई उम्मीद नहीं

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हाल ही में देश कोरोना की दूसरी लहर का गवाह बना जिसमें सरकार की लापरवाही और अव्यवस्था ने लाखों लोगों की जिन्दगी छीन ली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर तो अब घटती नजर आ रही है लेकिन एक दूसरा बड़ा संकट देश के करोड़ों मेहनतकश लोगों के सामने आ खड़ा हुआ है। पिछले साल कोरोना महामारी के समय… आगे पढ़ें

भारत के मौजूदा कृषि संकट की अन्तरवस्तु

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दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों में किसान आन्दोलन निरन्तर जारी है। यह आन्दोलन सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है और सरकार की लोकप्रियता को लगातार कम करता जा रहा है। ऐसे माहौल में देश के कृषि संकट पर बहसें तेज हो गयी हैं। पहले से कहीं अधिक संख्या में लोग इसे समझने की कोशिश में लगे… आगे पढ़ें

राजनीति

हरियाणा किसान आन्दोलन की समीक्षा

-– उदय चे ऐतिहासिक किसान आन्दोलन पिछले छह महीने से दिल्ली की सरहदों पर चल रहा है। छह महीने पहले जब आन्दोलन शुरू हुआ था, उस समय 26 नवम्बर को जब किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे थे, मीडिया ने सवाल पूछा था कि कब तक के लिए आये हो, किसानों ने जवाब दिया था कि छह महीने का राशन… आगे पढ़ें

साहित्य

किसान आन्दोलन : समसामयिक परिदृश्य

(समय इस तरह का आ गया है) –– सुरजीत पातर पद्मश्री सम्मान वापिस करते समय मन में कई तरह की उधेड़बुन होती है। सम्मान प्राप्त करते समय के पूर्व–दृश्य मन में चलते हैं। मन में दुख और रोष होता है। जिसे सम्मान वापिस कर रहे होते हैं उसे हम अपने दुख और रोष का एहसास करवा… आगे पढ़ें

जोश मलीहाबादी : अंधेरे में उजाला, उजाले में अंधेरा

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शब्बीर हसन खाँ के जोश मलीहाबादी बनने की कहानी एक भरे–पूरे, आसमान छूते पहाड़ के टूटने और बिखरने की कहानी है। जिन्दगी के आखिरी दिनों के असह्य दु:ख, उपेक्षा और जानलेवा एकान्त के बीच जब जोश अतीत के सुख भरे पलों को याद करते हैं तो मानो आह भरते हैं, अपने कभी के रंगमहल में जो… आगे पढ़ें

विश्व साहित्य में महामारी का चित्रण

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पिछले एक वर्ष से अधिक समय से कोविड–19 महामारी ने जीवन, समाज, साहित्य दर्शन और व्यापार सभी पर असर डाला है। बहुत सी चीजें, परिस्थितियाँ और मुद्दे पूरी तरह से बदल चुके हैं। व्यापारी अपने धंधे और मुनाफे के लिए परेशान है। कर्मचारी नौकरी के लिए, मजदूर दिहाड़ी के लिए, बीमार दवा… आगे पढ़ें

विचार-विमर्श

कोरोना महामारी : सच्चाई बनाम मिथक

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मौजूदा महामारी के चलते बहुत से पूँजीवादी मिथकों की सच्चाई आज हम सबके सामने उजागर हुई है। यह वही झूठ का गुब्बारा है जिसे पूँजीवादी व्यवस्था रोज हवा देकर फुलाती है। इसका मकसद होता है जनता की दुर्दशा को बनाये रखना और इसमें सरकारों के निकम्मेपन और वर्गीय स्वार्थ को पूरा करते रहना।… आगे पढ़ें

कोरोना महामारी और जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था

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डॉक्टरों के सामने अपने मरते पिता के लिए एक महिला बेड की गुहार लगाती रही लेकिन कहीं भी उसके पिता को बेड नहीं मिला। कुछ ही देर में ऑक्सीजन की कमी से उसके पिता ने दम तोड़ दिया। उत्तर प्रदेश के अस्पताल में रोते हुए एक आदमी ने बताया कि कैसे इलाज न मिलने के कारण तड़प–तड़पकर उसकी… आगे पढ़ें

कोविड संकट : जनता पर चैतरफा कहर

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कोविड–19 की दूसरी लहर भारत की जनता पर कहर बनकर टूटी है। इस वक्त देश में चारों ओर जो नजारे दिखायी दे रहे हैं, वे दिल दहलाने वाले हैं। ऑक्सीजन की कमी से जान गँवाते मरीज, अस्पतालों के बाहर स्टेªचर पर, एम्बुलेंस में, निजी गाड़ियों में या सड़कों पर ही बिना इलाज के दम तोड़ते… आगे पढ़ें

निजीकरण ने ऑक्सीजन की कमी से जनता को बेमौत मारा

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ताजा सूरत–ए–हाल कोरोना की दूसरी लहर के आगे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था ताश के पत्तों की तरह ढह गयी। डॉक्टरों और अस्पतालों की तो बात ही क्या, दवाईयों, ऑक्सीजन और शवों के अन्तिम संस्कार तक के लिए जानता मारी–मारी फिर रही है। कोरोना की पहली लहर के समय भी अस्पतालों… आगे पढ़ें

अन्तरराष्ट्रीय

गाजा पर इजरायल का हमला : दक्षिणपंथी सरकारों का आजमाया हुआ पैंतरा

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गाजा पट्टी की फिलिस्तीनी जनता के उपर 11 दिनों तक मिसाइलों, बमवर्षकों, तोपों से गोले दागने के बाद 21 मई को इजराइल युद्ध विराम के लिए राजी हुआ। इस युद्ध में एक तरफ अमरीका से मिली जेडीएएम (ज्वांइट डायरेक्ट अटैक म्यूनेशन) तकनीकी सहायता, 3.8 बिलियन डॉलर (26,600 करोड़ रुपये) प्रति… आगे पढ़ें

बर्मा में सत्ता संघर्ष और अन्तरराष्ट्रीय खेमेबन्दी

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एक फरवरी को बर्मा में सेना ने फिर से सत्ता पर जबरन कब्जा जमा लिया। उसने बन्दूक की नोक पर नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की सरकार को उसकी बची–खुची आंशिक सत्ता से भी बेदखल कर दिया। हालाँकि, सत्ता पूरी तरह एनएलडी के पास नहीं थी, सेना के साथ उसकी साझा सत्ता थी। फिर भी इसे… आगे पढ़ें

महामारी के बावजूद 2020 में वैश्विक सामरिक खर्च में भारी उछाल

1988 को आधार वर्ष माने तो कोविड–19 महामारी के बावजूद दुनियाभर के देशों ने 2020 में सर्वाधिक सैन्य खर्च किया है। हमेशा की तरह ही इनमें अमरीका पहले स्थान पर है। यह तथ्य स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (एसआईपीआरआई) की हालिया रिपोर्ट, ट्रेंड्स इन वर्ल्ड मिलिटरी एक्सपेंडीचर,… आगे पढ़ें

समाचार-विचार

अभिव्यक्ति की आजादी का झूठा भ्रम खड़ा करने की कोशिश

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“अभिव्यक्ति की आजादी” और “असहमति की आजादी” लोकतंत्र के सबसे बुनियादी मूल्य हैं। आधुनिक समाज में अपने विचारों को जाहिर करने का सबसे बड़ा, आसान और प्रभावी माध्यम पत्रकारिता और सोशल मीडिया है। भारत भले ही दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हो लेकिन यहाँ पत्रकारिता… आगे पढ़ें

अमरीकी घुसपैठ के आगे नतमस्तक राष्ट्रवादी सरकार

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7 अप्रैल को अमरीका का सबसे बड़ा योद्धपोत–– जॉन पॉल जोन्स–– जबरन भारत की जल सीमा में घुस गया। जिस क्षेत्र में अमरीकी युद्धपोत घुसा वह समुद्री प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न भारत का विशिष्ठ आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) है। यह जगह अरब सागर में केरल और लक्षद्वीप… आगे पढ़ें

कश्मीर : यहाँ लाशों की तस्वीर लेना मना है

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7 अप्रैल को जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक निर्देश जारी कर पत्रकारों पर सेना की मुठभेड़ वाली जगह के नजदीक आने और उसका प्रसारण करने पर रोक लगा दी। कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार ने कहा है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि हिंसा को फैलने से रोका जा सके क्योंकि ऐसी रिपोर्टिंग से देश विरोधी भावना… आगे पढ़ें

कोरोना और कुम्भ मेला

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हाल ही में मध्यप्रदेश के विदिशा में हरिद्वार कुम्भ से लौटे 83 लोगों में से 60 कोरोना संक्रमित पाये गये। जबकि इनमें से 5 गम्भीर से रूप से संक्रमित हो गये। इनके अतिरिक्त 22 लोगों की अभी कोई जानकारी नहीं मिली है जो कुम्भ में शामिल हुए थे। देशभर से कुम्भ में शामिल हुए लोगों ने कुम्भ… आगे पढ़ें

कोरोना ने सबको रुलाया

(शरण आलम–ए–इनसानियत में ही मयस्सर है इनसाँ को चैन–ओ–सुकून) देश–भर में कोरोना महामारी को लेकर खौफ का माहौल है। आवाम कोरोना की बढ़ती महामारी को देखकर आलम–ए–हिरमाँ (निराशा की स्थिति) में है। हर रोज लगभग तीन लाख से अधिक नये मामले सामने आ… आगे पढ़ें

मुस्लिम होने का डर

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शहजाद का परिवार लोनी में रहता है। वहाँ उसका अपना मकान है, पर उसे काम के लिए देहरादून आना पड़ता है। वह देहरादून और आस–पास के बाजारों में लोवर–टी शर्ट थोक में बेचने का काम करता है। यहाँ उसके बँधे ग्राहक हैं जो उससे माल मँगाते हैं। शहजाद ने देहरादून में एक दुकान किराये… आगे पढ़ें

लाशें ढोते भारत में सेन्ट्रल विस्टा!

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सेन्ट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना की घोषणा मोदी सरकार ने सितम्बर 2019 में की थी। इस परियोजना में नया संसद भवन, एकीकृत केन्द्रीय मंत्रालय, प्रधानमंत्री आवास, उपराष्ट्रपति आवास बनने हैं और राष्ट्रपति भवन से इण्डिया गेट तक के तीन कीलोमीटर लम्बें राजपथ की सटावट की जानी है। शान्ति… आगे पढ़ें

सरकार द्वारा लक्ष्यद्वीप की जनता की संस्कृति पर हमला और दमन

लक्ष्यद्वीप में प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को नया प्रशासक बनाकर सरकार ने वहाँ की जनता पर कई जनविरोधी कानून थोप दिये हैं। स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों से उनके अधिकार और ताकत छीनकर अपने हाथ में ले लिया, जिनमें शिक्षा–स्वास्थ्य, खेती–पशुपालन और मछुआरों के मामले आते हैं। पंचायत… आगे पढ़ें