अनियतकालीन बुलेटिन

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अंक 32, जुलाई 2019

संपादकीय

स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, बेमौत मरते बच्चे: दोषी कौन?

बिहार में चमकी बुखार यानी एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से लगभग 175 बच्चों की मौत हो गयी, जिनमें सिर्फ मुजफ्फरपुर में ही 132 बच्चे अकाल मौत के शिकार हुए। इससे पहले भी वहाँ 2014 में 139 और 2012 में 178 बच्चों की मौत हुई थी। लगभग हर साल अप्रैल से लेकर जून के बीच वहाँ...

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देश विदेश के इस अंक में

सामाजिक-सांस्कृतिक

मुजफ्फरपुर में मासूम बच्चों की मौत

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अन्त:करण और स्वास्थ्य के बुनियादी ढाँचे का आभाव भारत के गरीबों के लिए मौत का नुस्खा है। भारत ऐसी घटनाओं से भरपूर है जो पहले भी हुई हों लेकिन हर बार नयी लगती हैं और जितनी ही चीजें बदलती हैं, उतनी ही पहले जैसी बनी रहती हैं। 2017 में ही गोरखपुर में 175 बच्चे इन्सेफेलाइटिस से मरे… आगे पढ़ें

सफाईकर्मियों की मौत : जिम्मेदार कौन?

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–– 15 जून, गुजरात में वडोदरा के निकट एक गाँव में होटल के सीवर की सफाई के लिए मैन होल में उतरे 7 लोगों की जहरीली गैस से दम घुटने के कारण मौत हो गयी। मैन होल में सबसे पहले घुसे महेश के बाहर न निकलने पर उसको देखने के लिए मैन होल में एक–एक कर उतरे सभी सात लोगों… आगे पढ़ें

राजनीतिक अर्थशास्त्र

जेट एयरवेज तबाह क्यों हुई ?

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17 अप्रैल 2019 को 26 साल पुरानी निजी विमानन कम्पनी जेट एयरवेज अस्थायी रूप से बन्द कर दी गयी, जिसके लगभग बीस हजार कर्मचारी बेरोजगार हो गये। इससे पहले ही आर्थिक रूप से जेट एयरवेज तबाही के कगार पर पहुँच गयी थी। यह सवाल लोगों के बीच उठना लाजमी था कि यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ने… आगे पढ़ें

निजीकरण, इतना लुभावना शब्द और इतना घातक!

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पिछले दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के कारण मरने वाले बच्चों की संख्या डेढ़ सौ पार पहुँची, कारण जागरूकता की कमी, सही चिकित्सा न मिलना, चिकित्सा सुविधाओं में कमी, गरीबी, कुपोषण आदि। जिस अस्पताल की दुर्व्यवस्था की चर्चा रही उसी अस्पताल का दौरा स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर… आगे पढ़ें

विश्वव्यापी आर्थिक संकट का कोढ़ भारत में फूटने के कगार पर

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बाढ़ की सम्भावनाएँ सामने हैं, और नदियों के किनारे घर बने हैं। चीड़–वन में आँधियों की बात मत कर, इन दरख्तों के बहुत नाजुक तने हैं। –– दुष्यंत कुमार भारत की अर्थव्यवस्था आज इतनी खोखली हो गयी है कि किसी भी दिन इसमें भूचाल आ सकता है। बैंकों की बदहाली, बहुत भारी व्यापार… आगे पढ़ें

संकट की गिरफ्त में भारतीय अर्थव्यवस्था

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मई के अन्त तक सरकार को आखिरकार स्वीकार करना पड़ा कि जीडीपी पिछले 5 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गयी है। कॉर्पाेरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने भी कहा कि “देश का समूचा गैर–वित्तीय कम्पनी क्षेत्र संकट के मुहाने पर खड़ा है।” उद्योग–धंधों में छाई… आगे पढ़ें

साहित्य

निशरीन जाफरी हुसैन का श्वेता भट्ट को एक पत्र

2002 के गुजरात दंगे में मारे गये पूर्व सांसद एहसान जाफरी की बेटी निशरीन जाफरी हुसैन ने पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने मौजूदा भारत और उसके लोगों की स्थितियों की नंगी सच्चाई का बयान किया है। अंग्रेजी में लिखे गये पत्र का अनुवाद… आगे पढ़ें

फैज : अँधेरे के विरुद्ध उजाले की कविता

विद्रोह फैज का सहज स्वभाव है। उनकी जिन्दगी और शायरी इसका प्रमाण है। जब उन्होंने अंग्रेज लड़की एलिस से मुहब्बत और शादी की तो रूढ़िवादी विचारों के खिलाफ लम्बी लड़ाई लड़ी। शायरी में भी फैज ने बने बनाये नुक्तों को तोड़ा और नयी जमीन तैयार की। शायरी की रवायत से उन्होंने हुस्नो–इश्क… आगे पढ़ें

बाँध भँगे दाओ

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(हिन्दी के जाने–माने साहित्यकार रांगेय राघव 1943 में बंगाल के अकाल की रिपोर्टिंग और राहत कार्य के लिए अपने अन्य युवा साथियों के साथ वहाँ गये थे! प्रस्तुत है उस यात्रा के बारे में उनका उत्कृष्ठ रिपोर्ताज जो एक ऐतिहासिक दस्तावेज के समान है।) रेल रुक गयी। हम लोग बेहद फुर्ती… आगे पढ़ें

श्रद्धांजलि

रंगमच की आखिरी रोशनी

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एक बार कलकत्ता में एक नाटक देखते हुए मोहन राकेश और गिरीश कार्नाड खूब हँसते रहे। नाटक खत्म होने पर राकेश ने कार्नाड से कहा, “जानते हैं, हम क्यों इतना हंस रहे थे?  इसलिए कि हमें पता चल गया था कि भारतीय नाटक का भविष्य हम पर ही निर्भर है।” यह बात सच थी। ‘आषाढ़… आगे पढ़ें

व्यंग्य

नुसरत जहाँ : फिर तेरी कहानी याद आयी

नुसरत जहाँ आजकल खबरों में हैं। कभी माँग में सिंदूर सिर पर पल्लू के साथ खींचा भगवान जगन्नाथ का रथ तो कभी शपथ की शुरुआत ईश्वर के नाम पर और अन्त वंदेमातरम के साथ। नुसरत जहाँ बंगाली अभिनेत्री रही हैं और फिलहाल तृणमूल कांग्रेस की सांसद हैं। उन्होंने हाल ही में निखिल जैन से अन्तरधार्मिक… आगे पढ़ें

साक्षात्कार

भारत के एक बड़े हिस्से में मर्दवादी विचार हावी

(एजाज अशरफ द्वारा आशीष नन्दी का साक्षात्कार) एजाज अशरफ : आप एक राजनीतिक मनोविश्लेषक हैं। इस लिहाज से 2019 के चुनावों में बीजेपी की बड़ी जीत को आप कैसे समझते हैं? आशीष नन्दी : जिस तरह का काम इन लोगों ने 5 सालों में किया था उससे मुझे उम्मीद नहीं थी कि बीजेपी को इतनी बड़ी जीत हासिल… आगे पढ़ें

पर्यावरण

जलवायु संकट के लिए अमीर दोषी क्यों?

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(स्वीडेन की ग्रेटा थनबर्ग अभी 16 साल की स्कूली छात्रा हैं। वह पर्यावरण की एक जुझारू कार्यकर्ता हैं। उन्होंने स्वीडेन की संसद के सामने पर्यावरण के लिए हड़ताल करके आन्दोलन की शुरुआत की थी। यह आन्दोलन अब तक 125 देशों में फैल चुका है। 24 मई 2019 की हड़ताल में 1600 शहरों से स्कूली… आगे पढ़ें

पर्यावरण का विनाश करने वाली वोक्सवैगन माफी के लायक नहीं

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भारत ने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने के लिए बदनाम वोक्सवैगन कम्पनी पर आर्थिक दण्ड के रूप में कानूनी कार्रवाई की थी और इस पर 500 करोड़ का जुर्माना लगाया था। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का हैरान करने वाला फैसला आया। कोर्ट ने 500 करोड़ रुपये के आर्थिक दण्ड पर रोक लगा दी। क्या यह… आगे पढ़ें

मीडिया

पत्रकारिता की दशा और दिशा

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कुछ साल पहले एक बड़े पत्रकार साहब ने एक बार करीब चार सौ पेज की डिमाई आकार की अपनी एक किताब हमें सहर्ष भेंट की। हमने भी खुशी–खुशी स्वीकार कर ली। उसे घर लाए। कुछ दिनों में उसमें से जो–जो हमारे लिए जानकारीपरक हो सकता था–– पढ़ा। अगली मुलाकात में हमने उनसे कहा… आगे पढ़ें

अन्तरराष्ट्रीय

अमरीका–ईरान टकराव की दिशा

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सीरिया में युद्ध अभी पूरी तरह खत्म भी नहीं हुआ और एक नये युद्ध की तलाश में अमरीकी जंगी बेड़ा फारस की खाड़ी में लंगर डाल चुका है। इस बार निशाने पर ईरान है। वेनेजुएला में तख्तापलट और बर्बादी की पटकथा लिखकर अमरीका एक नये युद्ध के हालात तैयार करके ईरान के दरवाजे पर पहुँच तो गया है… आगे पढ़ें

यमन का गृहयुद्ध और साम्राज्यवादी गिरोह का हमला

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यमन में 2015 से हुति विद्रोहियों और सऊदी अरब समर्थित सरकार के बीच गृह–युद्ध चल रहा है जिसमे अब तक 10 हजार से अधिक लोग मारे गये हैं और 15 हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं। हुति सिया मुसलमान हैं जिन्हे ईरान का समर्थन हासिल है जो की एक सिया देश है जबकि यमन सरकार को सऊदी अरब… आगे पढ़ें

शासन के खूनी तांडव के बीच सूडान में विरोध प्रदर्शन

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सूडानी डॉक्टरों ने जून के पहले सप्ताह में यह कहकर दुनिया में खलबली मचा दी कि पिछली सोमवार को सूडान के अर्ध सैनिक बलों ने राजधानी खार्तूम में विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर खूनी तांडव किया। सैनिकों ने 70 से अधिक महिलाओं के साथ बलात्कार किया। सरकारी दमन के चलते 100 लोग मारे गये… आगे पढ़ें

हथियारों की बढ़ती होड़ विश्व शान्ति के लिए खतरा

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स्टॉकहोम इण्टरनेशनल पीस रिसर्च इन्स्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया का कुल सैन्य खर्च 2017 के मुकाबले 2.6 फीसदी बढ़कर 2018 में 1822 अरब डॉलर हो गया था जो दुनिया के कुल जीडीपी का 2.1 फीसदी है। हर साल सैन्य खर्च के साथ–साथ हथियारों का कारोबार भी तेजी से फल–फूल… आगे पढ़ें

फिल्म समीक्षा

बजबजाता समाज और सिनेमा की खिड़की ‘आर्टिकल 15’

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ट्रेलर रिलीज के साथ ही रा–1, तुम–बिन, गुलाबी गैंग और मुल्क जैसी सफल फिल्मों के डाइरेक्टर अनुभव सिन्हा की फिल्म आर्टिकल 15 पर जो बहसबाजी शुरू हो गयी थी वह अब रिलीज के बाद कहीं समर्थन और कहीं फिल्म के उग्र विरोध में विकसित हो चुकी है। फिल्म को बदायूं में दो नाबालिग… आगे पढ़ें

समाज की परतें उघाड़ने वाली फिल्म ‘आर्टिकल 15’

‘आर्टिकल 15’ फिल्म देखने जा रहे हैं तो उसके संवादों को ध्यान से सुनियेगा। “मैं राइटर बनना चाहता था और साइंटिस्ट भी–– फिर सोचा कि शायद साइंस का राइटर बन जाऊँगा। कुछ भी न हुआ साला! क्योंकि पैदा जहाँ हुआ वहाँ पैदा होना ही एक भयानक एक्सीडेंट जैसा था।”… आगे पढ़ें

समाचार-विचार

अब भूल जाइये रेलवे की नौकरियों को!

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अब भूल जाइये रेलवे की नौकरियों को! रेलवे में केन्द्र सरकार की अब कोई नयी नियुक्ति नहीं निकलने वाली! रेलवे की नौकरियों में आरक्षण का प्रश्न भी एक झटके में साफ हो जाएगा क्योंकि न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी। मोदी सरकार भारतीय रेलवे को निगमीकरण की पटरियों पर दौड़ाने वाली है… आगे पढ़ें

आईआईटी हैदराबाद के छात्र मार्क एंड्रयू चार्ल्स की आत्महत्या

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दो जुलाई को आईआईटी हैदराबाद में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एम टेक) के छात्र मार्क एंड्रयू चार्ल्स ने आत्महत्या कर ली। चार्ल्स का परिवार उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के नरिया लंका इलाके में रहता है। चार्ल्स इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा हो गया है। अपने पीछे वह एक पत्र छोड़कर गया है… आगे पढ़ें

छल से वन अधिकारों का दमन

भारतीय वन कानून, 2019 का मसौदा बुनियादी संवैधानिक अधिकारों और सिद्धान्तों का माखौल उड़ाने वाला है। वन अधिकार कानून, 2019 के मसौदे में वन क्षेत्र में काम कर रही नौकरशाही को शासन करने का अधिकार देने का प्रस्ताव है। देश के 7,08,273 वर्ग किलोमीटर के वन क्षेत्र पर शासन का दायित्व… आगे पढ़ें

प्रधानमंत्री के लिए हर मौत के मायने अलग हैं।

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प्रधानमंत्री के ट्विटर एकाउंट पर एक नजर डालिए। उससे साफ पता चलता है कि साहब के पास सूचनाओं की कमी नहीं है। देश–दुनिया की हर महत्त्वपूर्ण घटना की सूचना इनके पास पहुँचती है। राजस्थान के बाड़मेर में पंडाल गिरने से हुई मौत पर माननीय प्रधानमंत्री मौन नहीं रहे, उन्होंने चुप्पी… आगे पढ़ें

बुद्धिजीवियों से नफरत क्यों करते हैं दक्षिणपंथी?

एक दक्षिणपंथी कभी बुद्धिजीवी क्यों नहीं हो सकता? या फिर अधिकतर दक्षिणपंथी बुद्धिजीवियों से नफरत क्यों करते हैं? ये दोनों बातें एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। अक्सर दक्षिणपंथी पांडित्य को बौद्धिकता मान लेते हैं और बताते हैं कि फलां साइंटिस्ट और फलां आईआईटियन हमें सपोर्ट करते हैं… आगे पढ़ें

बैंक कर्मियों की आत्महत्या : जिम्मेदार कौन?

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बैंक कर्मियों का आरोप है कि काम के बढ़ते दबाव के कारण वे मानसिक दबाव महसूस कर रहे हैं जिससे वे अपनी निजि जिन्दगी में न खुश रह पा रहे हैं न अपने लोगों से ठीक से बात ही कर पा रहे हैं। उन पर लोन की रिकवरी को लेकर लगातार दबाव बनाया जाता है और एक लक्ष्य दिया जाता है जिसके अन्तर्गत… आगे पढ़ें

महाराष्ट्र में चार सालों में 12 हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की

महाराष्ट्र के सहकारिता एवं पुनर्वास मंत्री ने विधानसभा में बताया कि साल 2015 से 2018 के दौरान 12,021 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें से 6,888 किसान सरकारी मदद पाने के योग्य थे। अब तक 6,845 किसानों के परिवारों को एक–एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गयी। मंत्री ने कहा, “सरकार… आगे पढ़ें

येदियुरप्पा की डायरी : भ्रष्टाचार का काला चिट्ठा

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लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कोर कमेटी के सदस्य सुरजेवाला ने कर्नाटक के भाजपा प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर भाजपा के केन्द्रीय कमेटी, राष्ट्रीय और केन्द्रीय नेताओं, जजों और वकीलों को 1800 करोड़ रुपये रिश्वत देने का आरोप लगाया। येदियुरप्पा… आगे पढ़ें

सत्ता–सुख भोगने की कला

तेलगु देशम पार्टी के चार सांसद वीईएस चैधरी, सीएम रमेश, जी मोहन राव, और टीजी वेंकटेश भाजपा में शामिल हो गये। अब इसे आप अवसरवाद कहिए या सीबीआई का डर या सत्ता सुख भोगने की कला। कल तक जिन्हें आंध्रा का माल्या कहा जाता था अब वे देशभक्त हैं! बहुत पुरानी नहीं, केवल एक साल पहले की बात… आगे पढ़ें

अवर्गीकृत

क्लीन द नेशन, यानी जोर्ज ऑरवेल की किताब उन्नीस सौ चैरासी की थॉट पुलिस

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नाजी दौर के इतिहास को पलटिये आपको एक शब्द मिलेगा क्लींजिंग, जिसे यहूदियों के सफाये के सन्दर्भ में इस्तेमाल किया जाता था। उनकी बस्तियों की क्लींजिंग से लेकर नस्ल की क्लींजिंग तक का सन्दर्भ आपको जगह–जगह मिलेगा। आबादी के एक हिस्से को मिटा देने को क्लींजिंग कहते हैं। जार्ज… आगे पढ़ें