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96 प्रतिशत प्रवासी श्रमिकों को सरकार से राशन नहीं मिला, 90 प्रतिशत को लॉकडाउन के दौरान मजदूरी नहीं मिली: एक सर्वेक्षण

विभिन्न राज्यों में फंसे 11,159 प्रवासी श्रमिकों के सर्वेक्षण में पाया गया कि 8 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच, 90 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों को सरकार से कोई राशन नहीं मिला। इनमें से लगभग 90 प्रतिशत को उनके नियोक्ताओं ने कोई भुगतान नहीं किया है। 27 मार्च से 13 अप्रैल के बीच हुए सर्वेक्षण में शामिल 70 प्रतिशत श्रमिकों के पास 200 से भी कम रूपये बचे थे।

भोजन और धन में गिरावट

चार्ट में उन प्रवासी श्रमिकों का प्रतिशत दिखाया गया है, जिन्हें सरकार या अन्य स्रोतों से, राशन या पका हुआ भोजन नहीं मिला और जिन्हें 8 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच नियोक्ताओं ने कोई भुगतान नहीं किया। जबकि इस दौरान जिन श्रमिकों को सरकार या अन्य स्रोतों से पका हुआ भोजन मिला उनके प्रतिशत में मामूली सुधार हुआ, इनमें से अधिकांश को सरकार से राशन या अपने नियोक्ताओं से मजदूरी नहीं मिली।

क्या फंसे हुए श्रमिकों को जरूरी चीजें हासिल हुईं ?

चुकते भंडार

यह चार्ट उन प्रवासी श्रमिकों का प्रतिशत दिखाता है जिनके पास एक दिन से भी कम का राशन बचा था।

तेजी से खत्म होता राशन

प्रवासी श्रमिकों के बड़े हिस्से को सरकार या गैर सरकारी संगठनों से न तो राशन मिला और न ही पका हुआ खाना और उन्हें उनकी मजदूरी का भी भुगतान नहीं किया गया, ऐसे श्रमिकों की संख्या लगातार बढ़ती गयी जिनके पास एक दिन से भी कम राशन बचा था।

सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्य

निम्नलिखित बिंदु ऐसे प्रवासी श्रमिकों का प्रतिशत दिखाते हैं जिन्हे राशन और पका हुआ भोजन जैसी जरूरी चीजें नहीं मिली तथा जिनके पास 27 मार्च से 13 अप्रैल के बीच जीवन गुजारने के लिए 200 रूपये से भी कम बचे थे। उत्तर प्रदेश में फंसे श्रमिकों की हालत सबसे खराब थी।

राशन के बिना छोड़ दिये गये लोग

पूरे भारत में सर्वेक्षण में शामिल श्रमिकों में से 96 प्रतिशत श्रमिकों ने बताया कि उन्हें सरकार से राशन नहीं मिला है।

•  उत्तर प्रदेश में 100 प्रतिशत प्रवासी श्रमिकों को राशन नहीं मिला।

•  महाराष्ट्र में 99 प्रतिशत को राशन नहीं मिला।

•  कर्नाटक में उनमें से 93 प्रतिशत को राशन नहीं मिला।

जिन्हें पका हुआ भोजन नहीं मिला

सर्वेक्षण में शामिल 70 प्रतिशत श्रमिकों ने कहा कि उन्हें सरकार या स्थानीय संगठनों से खाना नहीं मिला है।

• उत्तर प्रदेश में 64 प्रतिशत प्रवासी श्रमिकों को पका हुआ भोजन नहीं मिला।

•  कर्नाटक में 80 प्रतिशत को पका हुआ भोजन नहीं मिला।

•  महाराष्ट्र में 58 प्रतिशत को पका हुआ भोजन नहीं मिला।

•  दिल्ली और हरियाणा में 66 प्रतिशत को पका हुआ भोजन नहीं मिला।

राशन की मौजूदा स्थिति

सर्वेक्षण में शामिल 70 प्रतिशत श्रमिकों ने कहा कि उनके पास केवल दो दिनों का ही राशन है।

• उत्तर प्रदेश में 100 प्रतिशत प्रवासी श्रमिकों ने कहा कि उनका राशन केवल 2 दिनों तक चलेगा।

• महाराष्ट्र में 90 प्रतिशत ने ऐसा ही कहा।

• दिल्ली और हरियाणा में 82 प्रतिशत ने यही कहा।

वित्त की स्थिति

सर्वेक्षण में शामिल 70 प्रतिशत श्रमिकों ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जीवित रहने के लिए उनके पास 200 रूपये से भी कम हैं।

• उत्तर प्रदेश में 87 प्रतिशत प्रवासी श्रमिकों के पास 200 रूपये से कम थे।

• हरियाणा में 76 प्रतिशत श्रमिकों के पास 300 रूपये से कम थे।     

                                                                                                                                                                                              

अनुवाद-- प्रवीण 

(‘द हिन्दू’ से साभार)

 

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