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कनाडा: कोविड टीका की अनिवार्यता के खिलाफ ट्रक ड्राइवरों का प्रदर्शन, राजधानी ओटावा को घेरा

फ्रीडम कॉन्वॉयआंदोलन में हजारों कनाडाई नागरिक भी शामिल हैं,घबड़ाई सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर दी है तो कोर्ट ने 10 दिनों के लिए निषेधाज्ञा लागू कर दी है।

मांग पूरी होने तक वापस न लौटने पर अडिग हैं आंदोलनकारी

कोविड प्रतिबंधों और ड्राइवरों को अनिवार्य तौर पर कोविड टीका लगाने के फरमान के खिलाफ कनाडा के ट्रक ड्राइवरों का अमेरिकी सीमा से लगी राजधानी ओटावा में प्रदर्शन लगातार जारी है। आंदोलन को तमाम देशों के लोगों का समर्थन मिल रहा है।

इससे घबड़ाई कनाडा की सरकार ने रविवार को राजधानी में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। जबकि सोमवार को कनाडा की एक अदालत ने ओटावा शहर में वाहनों के हार्न के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए 10 दिनों के लिए अस्थायी रूप से निषेधाज्ञा लागू कर दी है। 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शनकारी कनाडा संसद के बाहर जमे हुए हैं। हाथों में काले झंडे लिए आजादी के नारे लगा रहे हैं। बढ़ते प्रदर्शन के चलते प्रधानमंत्री ट्रूडो और उनके परिवार को गुप्त स्थान पर छिपने के लिए भागना पड़ा था। कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से अभी भी वह किसी सीक्रेट जगह पर हैं और किसी से मिल नहीं रहे हैं।

कोविड टीका की बाध्यता के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन बना व्यापक

यूएस-कनाडाई सीमा पार करते समय टीके की अनिवार्यता से नाराज ट्रक ड्राइवरों का विरोध प्रदर्शन 29 जनवरी से शुरू हुआ था। यह विरोध धीरे-धीरे कोविड-19 स्वास्थ्य प्रतिबंधों और ट्रूडो की सरकार के खिलाफ एक व्यापक विरोध में बदल गया। प्रदर्शकारी ट्रक ड्राइवरों का करीब 70 किलोमीटर लंबा काफिला है। हजारों ट्रकों की कतार लगी हुई है। इसको फ्रीडम कान्वॉय नाम दिया गया है।

कनाडा में 15 जनवरी से ट्रक ड्राइवरों को सीमा पार करने के लिए टीकाकरण का सबूत दिखाना जरूरी हो गया है, जिससे बिना वैक्सीन वाले ट्रक ड्राइवरों को अमेरिका से लौटने पर आइसोलेट होने और कोविड-19 की जांच की बाध्यता बन गई। ट्रक ड्राइवरों के लिए ठीक इसी तरह का नियम 22 जनवरी से अमेरिका में भी लागू हुआ था।

प्रदर्शनकारी ड्राइवर पहली बार 29 जनवरी को राजधानी पहुंचे और शहर की सड़कों पर अपने बड़े रिग खड़े कर दिए तथा टैंट लगाकर अस्थायी झोंपड़ियां बना लीं। प्रदर्शनकारियों को सरकार द्वारा बहलाने की कोशिश की गई, लेकिन वे अपनी मांग पूरी होने तक वापस न लौटने पर अडिग हैं।

प्रदर्शनकारी सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन वो कोरोना महामारी से संबंधित प्रतिबंधों में ढील दिए जाने की मांग कर रहे हैं।

“फ्रीडम कॉन्वॉय” विरोध-प्रदर्शन की शुरुआत तब हुई, जब सरकार ने फैसला लिया कि ट्रक ड्राइवरों को अनिवार्य तौर पर कोविड टीका लगाया जाए। यूएस-कनाडाई सीमा पार करते समय टीके की अनिवार्यता से नाराज ट्रक ड्राइवरों का विरोध धीरे-धीरे कोविड-19 स्वास्थ्य प्रतिबंधों और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शनों में बदल गया।

एक ट्रक ड्राइवर ने कहा, “मैं बॉर्डर क्रॉस करने की वजह से काम नहीं कर पा रहा हूं। मैं वैक्सीन को नकारता हूं।वहीं, एक दूसरे शख्स ब्रेंडन ने कहा, “मैं और मुझ जैसे कई लोग यहां इसलिए हैं क्योंकि हम वैक्सीन मैनडेट और लॉकडाउन से त्रस्त हो चुके हैं।

बन रहा है जनआन्दोलन

इस आंदोलन में हजारों कनाडाई नागरिक शामिल हो रहे हैं, हाइवे पर वह उनके लिए चीयर्स कर रहे हैं। लोग आंदोलनकारियों के लिए लंगर व खाने की व्यवस्था कर रहे हैं। प्रदर्शन करने वालों में बच्चे, महिलाएँ और कुछ दिव्यांग भी शामिल हैं। ये सभी कनाडा में नई गाइडलाइन का विरोध कर रहे हैं।

इस आंदोलन को 65 से अधिक देशों के लोगों का समर्थन प्राप्त है। निदरलैंड के डचों ने कनाडा के ट्रक ड्राइवरों के प्रति अपनी एकजुटता प्रदर्शित की है। अमेरिका से भी हजारों लोग इनके समर्थन में आगे आए है। दमन के बावजूद यह जनआन्दोलन बन रहा है।

प्रदर्शन से सरकार में घबडाहट तेज

कनाडा के अधिकारियों ने ट्रक चालकों के विरोध से निपटने के लिए सोमवार को काफी संघर्ष किया। राष्ट्रीय राजधानी में स्थिति बिगड़ने के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए इससे पार पाने की बड़ी चुनौती है। ओटावा के मेयर जिम वॉटसन ने फेडरल सरकार से प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने के लिए एक मध्यस्थ नियुक्त करने और प्रदर्शन को शांत करने का एक तरीका निकालने का आग्रह किया।

वहीं इस बीच ओटावा पुलिस ने रविवार को रैलियों में लोगों को ईंधन और अन्य सामानों की आपूर्ति किए जाने पर प्रतिबंध लगाकर विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए नए उपायों की घोषणा की है। प्रदर्शनकारियों को सामग्री समर्थन देने का प्रयास करने वाले लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है, कई गाड़ियों को जब्त किया गया है।

कोविड टीका लगाने की बाध्यता क्यों?

टीकाकरण अनिवार्य करने की वैश्विक राजनीति और पैदा आंदोलन पर वरिष्ठ समीक्षक गिरीश मालवीय की फ़ेसबुक की यह पोस्ट बेहद अहम है….

कनाडा में सत्तर किलोमीटर का ट्रको का जुलूस फ्रीडम कॉनवॉय के रूप मे निकल रहा है, वहा इक्कीसवीं सदी की स्वतंत्रता की महान लड़ाई लड़ी जा रही है, और यहां हम भारत में बैठे हुए इस बात पर आश्चर्यचकित हो रहे हैं कि जब कनाडा में नब्बे प्रतिशत जनता को टीके की दोनो डोज लग चुकी है और वहां के 95 प्रतिशत ट्रक ड्राईवर वैक्सीन ले चुके है तो वो विरोध क्यो कर रहें है।

दरअसल वहाँ के लोग समझ गए हैं कि टीकाकरण अनिवार्य करना स्वास्थ्य से संबंधित नहीं है बल्कि यह सरकार द्वारा ”चीजों को नियंत्रित” करने का एक पैंतरा है। ….लेकिन यहां हम इस बात को समझ ही नहीं पाए है कि कनाडा के लोग बिल्कुल सही कह रहे हैं

आज इंदौर के लोकल अखबार में छपी आपको एक खबर सुना देता हू शायद उसके बाद आपकी आंखे खुल जाए! …इंदौर कलेक्टर कह रहे हैं कि जिन हेल्थ वर्कर और कर्मचारियों ने एलिजिबल होने के बावजूद बूस्टर डोज नहीं ली है उनके वेतन रोक दिए जाए।

इंदौर में चार स्कूलों पर शिक्षा विभाग कार्यवाही कर रहा है क्यों कि उन स्कूलों ने अपने यहां पढ़ने वाले अधिकतर बच्चों को वैक्सीन नही लगवाई।

सरकार कहती है कि वेक्सिनेशन अनिवार्य नहीं है उसके बावजूद यह कार्यवाही की जा रही है। …..और भारत के लिब्रल बुद्धिजीवी मुंह पर टेप लगाकर बैठे हैं, कनाडा में इसी तरह के अनिवार्य वेक्सिनेशन के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर रहे हैं तो हमे आश्चर्य हो रहा है।

बिग फार्मा के हाथो में बिका हुआ मुख्यधारा के मीडिया इस आंदोलन की उल्टी रिपोर्टिंग कर रहा है। प्रदर्शनकारी कोविड प्रतिबंधों की तुलना फासीवाद से कर रहे हैं और इसीलिए और कनाडा के झंडे के साथ नाजी प्रतीक प्रदर्शित कर रहे हैं, लेकिन यहां खबर दिखाई जा रही है कि प्रदर्शनकारी ही नाजी है।

ऐसी ही एक तरफा रिपोर्टिंग टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच के खिलाफ़ की गई कि उनका पैसा तो वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में लगा है, वो कैसे वेक्सिन लेने से मना कर रहे हैं। मीडिया पूरी तरह से बिग फार्मा के हितों की रक्षा कर रहा है और एक नए न्यू वर्ल्ड ऑर्डर को बनाने में विश्व सरकारों का सहयोगी बन रहा है।

अनिवार्य वेक्सिनेशन के खिलाफ एक जन आंदोलन पूरे कनाडा में फैल रहा है। हजारों कनाडाई नागरिक इसमें शामिल हो रहे हैं, जो इस विरोध का भारी समर्थन करते हैं, हाइवे पर वह उनके लिए चीयर्स कर रहे हैं इस आंदोलन को 65 से अधिक देशों के लोगों का समर्थन प्राप्त है।

निदरलैंड के डचों ने कनाडा के ट्रक ड्राइवरों के प्रति अपनी एकजुटता दिखाना शुरू कर दिया है, जो कोविड को लेकर बनाई गई दमनकारी की नीतियों और वैक्सीन के मेंडेटरी आदेश का विरोध कर रहे हैं। अमेरिका से भी हजारों लोग इनके समर्थन में आगे आए है।

इससे पहले भी विश्व के कई देशों में ऐसे आंदोलन कोरोना फासीवाद के विरुद्ध हुए हैं, लेकिन मीडिया उसकी गलत तरह की छवि बना रहा है।

(साभार mehnatkash.in)

 

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