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हिंदी में अच्छा लेख कैसे लिखें?

हिंदी में लेख लिखना एक कला है जिसे समय लगाकर और अभ्यास के साथ सीखा जा सकता है। कहावत है-- "करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान / रसरी आवत-जात ते सिल पर पड़त निशान।” नये प्रशिक्षु लेखकों को इस सामग्री को ध्यान से पढ़ना चाहिए और इस पर अमल करना चाहिए।

1. जरूरी उपकरण: एक अच्छा लेख लिखने के लिए आपको कुछ बुनियादी उपकरणों की जरूरत होती है, जैसे कि मोबाइल या लैपटॉप, एक अच्छा कीबोर्ड और कॉपी-कलम। सबसे जरुरी चीज है-- रचनात्मक दिमाग का होना और पर्याप्त समय।

2. सामग्री खोजना: आपको इंटरनेट, अखबार और पत्रिकाओं की मदद से अपने विषय से सम्बन्धित सामग्री जुटानी चाहिए। अगर आप कठिन श्रम करके सामग्री नहीं जुटाते तो आपका लेख उथला रहेगा और उसमें दम नहीं होगा तथा वह वस्तुगत सच को पूरी तरह प्रतिबिम्बित नहीं करेगा। सामग्री प्रमाणित स्रोतों से ही जुटायें ताकि लेख में विश्वसनीयता और गहराई बनी रह सके।

3. शीर्षक और प्रारंभ: लेख लिखने से पहले एक सही शीर्षक का चयन करें जो लेख के मुख्य विषय को दर्शाता हो। लेख का शीर्षक न देना, मतलब सिर के बिना शरीर का होना है! ऐसी गलती नवसिखुए लेखक अक्सर करते हैं। कई बार वे लेख के विषय से सम्बन्धित शीर्षक नहीं दे पातें। सही शीर्षक देने के लिए भी आपको अभ्यास करना चाहिए।

4. पहला पैरा: लेख का पहला वाक्य सुन्दर-सजीले प्रवेश द्वार की तरह होना चाहिए जो पाठकों को लेख पढने के लिए प्रेरित करे। उसे सामान्य निष्कर्ष से नहीं शुरू करना चाहिए। अगर आप निष्कर्ष को शुरू में दे देंगे तो पाठक पूरा लेख क्यों पढ़ेगा? कविता की दो लाइन, महत्वपूर्ण उद्धरण, किसी घटना या किसी कहावत से लेख की शुरुआत कर सकते हैं।

5. भाषा और शैली: लेख में सरल और स्पष्ट भाषा का प्रयोग करें ताकि पाठक आसानी से समझ सके। किसी विषय से सम्बन्धित कोई कठिन शब्दावली (टर्मिनोलॉजी) आये तो उसे परिभाषित कर दें। अपने विषय से सम्बन्धित शैली का चुनाव करें। विषय की प्रस्तुति रोचक होनी चाहिए।

6. विचारों को क्रमबद्ध रूप से स्पष्ट करें और विचारों की पुनरावृत्ति से बचें। लेख की शैली के अनुसार कई तार्किक क्रम (लोजिकल सीक्वेंस) हो सकते हैं। सबसे आसान और प्रचलित क्रम है-- समस्या, कारण और समाधान। दूसरा क्रम है-- रहस्यात्मक शुरुआत, रहस्य का अनावरण और रहस्य की व्याख्या। लेख को मुख्य रूप से चार भागों में भी विभाजित कर सकते हैं- शीर्षक, परिचय, स्पष्टीकरण और निष्कर्ष। लेख की संरचना को समझें और उसके अनुसार विवरण का उल्लेख करें।

7. मुहावरा या लोकोक्ति: लेख लिखने के सिलसिले में एक साथी से मेरी बात हो रही थी कि मुहावरा देने से लेख रोचक हो जाता है। उसने अपने लेख के अंतिम पैरा में 8-10 मुहावरे लिख दिये। कमाल ही कर दिया! सही स्थान पर सटीक मुहावरा न देना गलत है। यदि कोई उपयुक्त कथन या मुहावरा याद हो तो उसे यथास्थान पर ही जोड़ें। अगर सटीक मुहावरा सही स्थान पर दे दिया जाए तो वह लेख में चार चाँद लगा देता है।

8. संपादन और सुधार: लिखने के बाद लेख को अच्छी तरह से पढ़ें और आवश्यक सुधार करें। यह प्रक्रिया कई बार दुहराई जाती है। आलसी लेखक यह काम छोड़ देता है। आलसी कुतो विद्या (यानी आलसी के पास विद्या कहां है)। हमें आलस त्यागकर लेख को कई बार पढ़ना चाहिए, अनावश्यक शब्द, वाक्य या विचार को काट देना चाहिए। जहां वाक्य स्पष्ट न हो रहे हैं उसमें सुधार करके कुछ जोड़ देना चाहिए।  

9. भाषा संबंधी त्रुटियों को दूर करें और यदि समय हो तो उसे दोबारा सुंदर अक्षरों में लिखें। उपशीर्षकों को रेखांकित करना न भूलें।

10. शुद्धता और व्याकरण: लेखन में शाब्दिक अशुद्धि, वाक्य रचना अशुद्धि, और विराम चिह्न विषयक अशुद्धियों से बचें। क्रियारूपों का सही निर्धारण करें और विसर्ग का प्रयोग सही ढंग से करें।

इन बिंदुओं का पालन करके, आप हिंदी में एक अच्छा और प्रभावी लेख लिख सकते हैं। नये लेखकों के लिए ये बातें जरूरी हैं, लेकिन इन्हें जान लेना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन्हें मजे हुए और बेहतरीन हिन्दी लेखकों के गद्य का अध्ययन करना चाहिए और उससे सीखना चाहिए कि अपनी लेखन शैली में सुधार कैसे करें।

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