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रैमजे क्लार्क का निधन: एक महान्यायवादी जो साम्राज्यवाद के खिलाफ खड़े थे

अमरीका के पूर्व अटॉर्नी जनरल और प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता रैमजे क्लार्क, जो दुनिया भर में अमरीकी सैन्य आक्रमण के खिलाफ खड़े थे, 9 अप्रैल को न्यूयॉर्क शहर में अपने घर पर शांतिपूर्वक अनंत में खो गये. 93 वर्ष के रैमजे अपने करीबी परिवार से घिरे हुए थे।

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https://mronline.org/2021/04/15/ramsey-clark-dies-an-attorney-general-who-turned-against-imperialism/

मैं निश्चित रूप से अल्बुकर्क में बड़े होने वाले इस किशोर को नाम से जानती हूँ। उस समय मैं कल्पना नहीं कर सकती थी कि हम दोस्त बन जाएंगे, कि मुझे उनके साथ काम करने और एक महान मानवतावादी रैमजे क्लार्क के बारे में जानने का सम्मान मिलेगा।

पहले सहायक और बाद में अमरीकी अटॉर्नी जनरल के रूप में, रैमजे क्लार्क ने 1964 और 1968 के दो ऐतिहासिक मसौदे-- अमरीकी नागरिक अधिकार अधिनियम तथा 1965 के मतदान अधिकार अधिनियम को पारित कराने में मदद की, और वे संघीय विधि आदेश के प्रमुख प्रवर्तक थे। अलबामा से मिसिसिपी तक नस्लवादी आतंक के चेहरे के खिलाफ मार्टिन लूथर किंग जूनियर और जेम्स मेरेडिथ के साथ रैमजे व्यक्तिगत रूप से खड़े थे। न्याय विभाग में, कांग्रेस से एफबीआई और जे एडगर हूवर तक वह हर जगह अक्सर सरकार के भीतर दमनकारी नीतियों का विरोध करते थे।

एक बार सरकार से बाहर होने के बाद, रैमजे ने अमरीकी विदेश नीति को आड़े हाथ लिया, युद्ध और प्रतिबंधों का शिकार हुए लोगों से मिलने के लिए दर्जनों देशों की यात्रा की। चाहे 1972 में उत्तरी वियतनाम में अमरीकी बमों को धता बताने का मामला रहा हो या पनामा मुर्दाघरों में शवों की गिनती का रहा हो और चाहे 1989 के अमरीकी हमले में हताहतों की संख्या का वास्तविक रूप से पता लगाने के लिए एल चोरोरिलो के बमबारी वाले पड़ोस का मामला रहा हो, हर बार अमरीकी आक्रामकता का सच सामने लाने के लिए रैमजे ने कई बार जान जोखिम में डाली।

1991 के अमरीकी खाड़ी युद्ध के दौरान तीव्र बमबारी के बीच उन्होंने इराक से होते हुए 2,000 मील की लम्बी यात्रा की। और 2003 के अमरीकी युद्ध और कब्जे तक 12 वर्षों के दौरान, किसी बमबारी हमले की तुलना में अधिक घातक अमरीका द्वारा इराक पर लगाए गये प्रतिबंधों के खिलाफ रैमजे ने एक अंतरराष्ट्रीय अभियान का नेतृत्व किया।

प्रत्येक महाद्वीप में, रैमजे क्लार्क ने जनता की और देशों की अन्याय और गरीबी से रक्षा की। उन्होंने अमरीकी युद्ध और प्रतिबंधों को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया।

उन्होंने अमरीकी सरकार और उसकी प्रणाली को एक "धनिकतंत्र" के रूप में वर्णित किया और संयुक्त राज्य में बढ़ते अन्याय और दमन की निंदा की। 1960 के दशक में, रैमजे ने प्रसिद्ध रूप से "अमरीकी जेल प्रणाली को जिस रूप में हम जानते हैं, उसके उन्मूलन का आह्वान किया," उसके वर्षों बाद यह आज के आंदोलन में एक रैली का नारा बन गया। वह मृत्युदंड के घोर विरोधी थे।

रैमजे क्लार्क की वकालत की पहचान उनका यह अटल विश्वास था कि मानव अधिकारों का मतलब शांति, समानता और सामाजिक और आर्थिक न्याय का अधिकार है। उन्होंने कथनी से अधिक काम किया, उन्होंने अपने विश्वासों के लिए काम किया।

रैमजे क्लार्क को मार्च 1967 में उनके पिता, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति टॉम सी. क्लार्क द्वारा राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन (बाएं) और उपराष्ट्रपति ह्यूबर्ट हम्फ्री (दाएं) के साथ अमेरिकी अटॉर्नी जनरल के रूप में शपथ दिलाई गई।

 

18 दिसंबर 1927 को विलियम रैमजे क्लार्क का जन्म हुआ था, उनके पिता टॉम सी क्लार्क 1945 से 1949 तक अमरीका के अटॉर्नी जनरल थे और 1949 से 1967 तक सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश थे। उनकी मां ने मैरी रैमजे, टॉम जूनियर और बहन मिमी का शुरू में पालन-पोषण किया था। । जब रैमजे चार साल के थे तब उसके भाई की निमोनिया से मृत्यु हो गई। रैमजे ने अपना बचपन डलास में तब तक बिताया, जब तक उनके पिता ने 1937 में वाशिंगटन, डीसी में न्याय विभाग में नौकरी नहीं कर ली। हालाँकि उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 13 साल की उम्र में नौसेना में शामिल होने की कोशिश की थी, लेकिन आखिरकार उन्हें 17 साल की उम्र में ले लिया गया।

एक निजी वकील के रूप में काम शुरू करते हुए, उन्होंने जल्द ही न्याय विभाग में अपना कैरियर शुरू किया, जो 1961 से 1969 तक चला।

नस्लवाद विरोध और नागरिक अधिकार के एक सशक्त प्रवक्ता

1961 में, कैनेडी प्रशासन के समय रैमजे क्लार्क न्याय विभाग के भूमि प्रभाग में सहायक अटॉर्नी जनरल बने। फिर भी उनके प्राथमिक कार्य का क्षेत्र-- दक्षिण में जिम क्रो रंगभेद के खिलाफ नागरिक अधिकारों की रक्षा करना और नस्लवादी भीड़ और सरकारों द्वारा हिंसा के खिलाफ था। वह 1954 के जॉर्जिया, दक्षिण कैरोलिना और अलबामा के राज्यों के खिलाफ ब्राउन बनाम बोर्ड ऑफ एजुकेशन के मामले में अमरीकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जमीन पर लागू करानेवालों में प्रमुख थे। वे कोर्ट के आदेश के आठ साल बाद तक पब्लिक स्कूलों को बंद करने से इनकार करते रहे थे। 1962 और 1963 में रैमजे ने सत्ता के कार्यों को पूरा करने के लिए सीधे वहां काम किया।

1965 में, राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने रैमजे को उप अटार्नी जनरल नियुक्त किया। जब वोट देने के अधिकार के लिए, काले लोगों ने सेल्मा से मोंटगोमरी, अला तक मार्च करने का फैसला किया, तो उन्हें 7 मार्च और 9 मार्च को राज्य के सैनिकों द्वारा बेरहमी से पीटा गया और उन्हें केआरके और व्हाइट सिटीज़न्स के आतंक का सामना करना पड़ा। जब 21 मार्च से शुरू हुई तीसरी शांतिपूर्ण कार्रवाई के लिए हजारों लोग एकत्र हुए थे, तब गणतन्त्र के द्वारा अलबामा नेशनल गार्ड की उपस्थिति के साथ, रैमजे को प्रदर्शनकारियों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए भेजा गया था।

जून 1964 को, फिलाडेल्फिया में तीन नागरिक अधिकार कार्यकर्ता-- 20 वर्षीय काले मिसिसिपियन जेम्स चन्नी, और व्हाइट युवकों-- एंड्रयू गुडमैन और माइकल श्वार्नर को डिप्टी शेरिफ सेकेन प्राइस द्वारा गिरफ्तार किया गया था, जो केकेके (कू क्लक्स क्लान) के व्हाइट नाइट्स का एक सदस्य था। उसने क्लान के अधिकांश सदस्यों के कहने पर तीनों युवकों को रिहा कर दिया, क्लान के सदस्यों ने तीनों युवकों को एक साथ यातना दी और उनकी हत्या कर दी। अगस्त में उनके शव मिले थे। चौंकाने वाला यह प्रकरण राष्ट्रीय विद्रोह का कारण बना और इसने नागरिक अधिकारों की कार्रवाई के लिए उत्प्रेरक का काम किया।

रैमजे क्लार्क चन्नी के परिवार को देखने उनके घर पर गए थे, और जेम्स, एंड्रयू और माइकल के शव मिलने के बारे में उन्हें बताया। युवा बेन केवल 12 साल का था, जब उसने सुना कि उसका भाई मर गया है, तो उसने रैमजे से कहा, "मुझे लगता है कि मैं यह सब बदलने के लिए तैयार हूँ, बेहतर है कि राष्ट्रपति बन जाऊं।" बेन और उसका परिवार मौत की धमकियों से बचने के लिए न्यूयॉर्क शहर चले गये। एक ब्लैक लिबरेशन एक्टिविस्ट के रूप में केवल 17 साल की उम्र में, बेन चन्नी को फ्लोरिडा में तीन बार उम्र कैद की सजा काटने के लिए जेल में डाल दिया गया था, इस अपराध में शामिल नहीं होने के बावजूद उसे दोषी ठहराया गया था। रैमजे कभी भी बेन और अपने भाई को खोने के बेन के आघात को न भुला सके। उन्होंने बेन की रिहाई के लिए फ्लोरिडा पैरोल बोर्ड को सफलतापूर्वक याचिका दी और 13 साल बाद उसे मुक्त करा लिया। बाद में उसने रैमजे के कानून कार्यालय में एक क्लर्क के रूप में वर्षों तक काम किया।

रैमजे क्लार्क सिद्धांतनिष्ठ व्यक्ति थे, वे अपने इन विचारों पर कायम रहे कि युद्ध-विरोधी या नस्ल-विरोधी कार्यकर्ताओं को अधिक से अधिक खतरा नहीं होता है, बल्कि वे जिस अन्याय का विरोध कर रहे हैं, उसे खतरा है। उन्होंने जे एडगर हूवर और उपराष्ट्रपति ह्यूबर्ट हम्फ्री के बार-बार आग्रह के बावजूद ब्लैक लिबरेशन लीडर स्टॉकेली कारमाइकल (बाद में क्वामे टूर) के फोन की रिकॉर्डिंग (वायरटैपिंग) की अनुमति देने से इनकार कर दिया। रैमजे ने "युद्ध के दौरान डीडीए पर सहायता और ड्राफ्ट चोरी करने" के आरोप के लिए स्टॉकेली कारमाइकल के खिलाफ मुकदमा चलाने की राजनेताओं की मांगों से इनकार किया।

रिचर्ड निक्सन के चुनाव के साथ रैमजे को अटॉर्नी जनरल के पद से हटा दिया गया, उसके बाद, उन्होंने अपराध, गरीबी और नस्लीय असमानता के वास्तविक कारण पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक मौलिक पुस्तक, "अमरीका में अपराध: इसकी प्रकृति, अवलोकन, रोकथाम और नियंत्रण पर टिप्पणियां" (क्राइम इन अमरीका : ऑब्जरवेशन ऑफ इट्स नेचर, काजेज, प्रिवेंशन एंड कण्ट्रोल) लिखी। उन्होंने पुस्तक में कट्टर-नस्लवादी एफबीआई निदेशक की खुले तौर पर आलोचना की-- “"श्री हूवर ने बार-बार डॉ. किंग के एफबीआई वायरटैप को अधिकृत करने का मुझसे अनुरोध किया, जिनमें से कोई भी प्रदान नहीं किया गया था, जब मैं अटार्नी जनरल था, तो डॉ किंग की हत्या से दो दिन पहले मेरे पास उनका अंतिम अनुरोध आया था।"

जे एडगर हूवर की ब्लैकमेल रणनीति के बारे में एक राष्ट्रीय टीवी कार्यक्रम में, अपने विरोधियों को डराने के लिए, सीबीएस समाचार के प्रमुख, माइक वालेस ने टिप्पणी की, "हूवर के खिलाफ खड़े होने से केवल एक आदमी डरने वाला नहीं है-- रैमजे क्लार्क।"

एक प्रतिबद्ध अंतर्राष्ट्रीयवादी

1969 में निजी प्रैक्टिस में अपनी वापसी के साथ, रैमजे अमरीकी विदेश नीति की मार से पीड़ित लोगों के एक प्रमुख रक्षक बन गए। उन्होने फिलिस्तीन से लेकर भारत और दक्षिण अफ्रीका तक उत्पीड़ित लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए 120 से अधिक देशों की यात्रा की। वे सभी अमरीकी बम विस्फोटों, प्रतिबंधों और कब्जे के विरोधी थे, और संयुक्त राज्य अमरीका और दुनिया भर के लोगों को एकजुट करने की मांग करते रहे।

अपने साहसी शुरुआती रिपोर्टिंग से उन्होंने युद्ध अपराधों को उजागर किया, इसने उनको बड़े पैमाने पर अमरीका के उस युद्ध प्रचार के झूठ का मुकाबला करने के लिए अक्सर सत्य का एकमात्र स्रोत बना दिया, जिसे अमरीका बम गिराने से पहले प्रचारित करता था। उदारवादी और नवसाम्राज्यवादी दोनों प्रतिष्ठान-- अक्सर एक सुर में नए अमरीकी सैन्य साहसिक कार्य के साथ कदम मिलाते हैं-- अक्सर रैमजे को "पेंटागन आशुलिपिकों के समूह" के द्वारा व्यंग्यात्मक बदनामी अभियानों का विषय बनाया जाता है।

लेकिन राजनीतिक दबावों की परवाह किए बिना, मीडिया और सरकार के आलोचकों से भयभीत होने वाले कभी भी रैमजे क्लार्क न तो हतोत्साहित थे और न ही भयभीत। यह तब भी सच था जब उन्होंने 1972 में उत्तरी वियतनाम का दौरा किया था।

1972 में वियतनाम में, एक खोजी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के लिए, हिन्द-चीन में अमरीकी युद्ध अपराधों की जांच के लिए, अंतर्राष्ट्रीय आयोग का निमंत्रण रैमजे ने स्वीकार किया था। उन्होंने अमरीकी सैनिकों, जो युद्ध के कैदी थे, उनके पास और उत्तर में भारी बमबारी की जा रही डाइक्स और स्लूस गेटों का दौरा किया। अमरीका बी-52 बमों को गिरा रहा था और नागरिकों की हत्या कर रहा था, वह मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आजीविका के साधनों को नष्ट करने के लिए उनके जल स्रोतों को खत्म कर रहा था।

जब वे सैन फ्रांसिस्को लौट आए और 14 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, तो रैमजे क्लार्क ने कहा कि वियतनाम में अमरीकी कैदियों के साथ अच्छा व्यवहार किया गया। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, उन्होंने कहा "मैंने अपने जीवन में बहुत सारी जेलें देखी हैं।" “इन 10 पुरुषों के साथ निर्विवाद रूप से मानवीय व्यवहार किया गया, उनका अच्छी तरह से इलाज किया गया। उनके व्यक्तिगत कमरे उन सभी जेलों के कमरों से बेहतर और बड़े थे, जो मुझे कहीं भी और कभी भी देखने को मिले थे।”

पोर्ट-ऑ-प्रिंस में हॉलिडे इन में 11 अक्टूबर, 2005 प्रेस कॉन्फ्रेंस में हैती में आखिरी बार बोलते हुए रैमजे क्लार्क। पृष्ठभूमि में, पत्रकार किम इवेस ने अपनी टिप्पणी का क्रेयल में अनुवाद किया।

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने सोचा है कि अमरीका द्वारा नागरिक लक्ष्यों पर बमबारी जानबूझकर की गई है, तो उन्होंने जवाब दिया, ''हम उस गरीब जमीन पर बम गिराकर उसे नरक बना रहे हैं। हम अस्पतालों को निशाना बना रहे हैं। मैं आपको यह नहीं बता सकता कि क्या यह जानबूझकर किया गया है? लेकिन जो लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं, उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।" 30 लाख से अधिक वियतनामी लोग और 57,000 अमरीकी सैनिक युद्ध के दौरान मारे गए।

घातक प्रतिबंधों का विरोध करना

जब 1975 में वियतनाम के एकीकरण और उसकी जीत के साथ युद्ध समाप्त हो गया था, तो क्लार्क ने वह किया जो युद्ध के खिलाफ किसी दूसरे मुख्य स्वर ने नहीं किया। उनके लिए, वियतनाम के खिलाफ युद्ध खत्म नहीं हुआ था क्योंकि अमरीकी आर्थिक प्रतिबंध जानबूझकर वियतनाम को सजा दे रहे थे और तबाही से उबरने की उसकी क्षमता को खत्म कर रहे थे, जिससे हजारों लोगों की मौत हो गई। प्रतिबंधों को आखिरकार 19 साल बाद 1994 में समाप्त कर दिया गया।

अगस्त 1990 में, जब इराक ने कुवैत पर आक्रमण कर दिया, उसके कुछ दिनों के भीतर ही संयुक्त राज्य अमरीका ने उस पर "प्रतिबंध" लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की अगुआई की। अमरीकी शांति आंदोलन से जुड़े कई लोगों ने अपरिहार्य नजर आ रहे युद्ध के पहले चरण का परिचय देते हुए नारा लगाया, "प्रतिबंध, युद्ध नहीं"। रैमजे और साम्राज्यवाद-विरोधी गठबंधन ने युद्ध के साधन के रूप में प्रतिबंधों की निंदा की, यह जानते हुए कि ईराक की अमरीकी नौसैनिक नाकेबंदी लोगों को भूखा मारने के लिए की गई थी, और लोग अगर भूख से नहीं मरते थे तो यह काम बम के जिम्मे था।

मध्य पूर्व में अमरीकी गठबंधन को रोकने वाला राष्ट्रीय गठबंधन रैमजे और युद्ध-विरोधी आयोजकों के नेतृत्व में कायम था। 16 जनवरी, 1991 को शुरू हुई बमबारी के कुछ ही हफ्तों के भीतर, रैमजे क्लार्क ने एक अनुवादक, एक ड्राइवर और फिल्म निर्माता जॉन अल्परट की एक टीम का नेतृत्व किया। देश में बिजली या गैसोलीन नहीं होने पर भी और दिन-रात बम गिराए जाने के बावजूद, उन्होंने इराक की पूरी लंबाई में 2,000 मील की यात्रा की।

अटॉर्नी जनरल रैमजे क्लार्क बने सद्दाम हुसैन के वकील

रैमजे यह दिखाने के लिए दृढ़ थे कि पेंटागन का "आनुषंगिक क्षति" (कोलैटरल डैमेज, अमरीका इस तर्क में सैन्य अभियानों के कारण हताहत सामान्य नागरिकों को शामिल नहीं करता, क्योंकि अमरीकी सैनिकों का उद्देश्य दुश्मन नागरिकों को आतंकित करना या मारना होता है, जिससे युद्ध को खत्म किया जा सके-- अनुवादक) का मिथक, जिन्दगी के न्यूनतम नुकसान, आबादी में युद्ध-विरोधी भावना को कमजोर करने के लिए बोला गया एक निरपेक्ष झूठ था। जॉन अल्परट की फिल्म, "नोवेयर टू हाईड", 43 दिनों की बमबारी की एकमात्र बिना सेंसर वाली फुटेज है।

फरवरी 1991 की शुरुआत में इराक से लौटने के तुरंत बाद जब रैमजे सैन फ्रांसिस्को आए, तो उन्होंने अश्वेत समाज के केंद्र में 1,200 लोगों से भरे थर्ड बैप्टिस्ट चर्च में दर्शकों से बात की। "नोवेयर टू हाईड" एक चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन था क्योंकि वीडियो में रैमजे ने बम गिराए गये गांवों और अस्पतालों का दौरा किया था। बेबी फार्मूले वाले एकमात्र पाउडर-मिल्क प्लांट को अमरीकी बमों द्वारा नष्ट कर दिया गया था। इराक के पूरे बुनियादी ढांचे--जल उपचार और सीवेज प्लांट, इलेक्ट्रिकल ग्रिड, मुर्गीपालन और पशुधन-- सब कुछ कारपेट बमबारी के 24 घंटों के भीतर नष्ट हो गया था।

जब तक यह फिल्म संयुक्त राज्य अमरीका और दुनिया भर में दिखाई गई, तब तक हर प्रमुख मीडिया आउटलेट ने पेंटागन के झूठ को "कोलैटरल डैमेज" के रूप में दोहराया, जैसे नागरिकों की मौत महज दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना हो।

कोलैटरल डैमेज वह मनगढ़ंत झूठ है जिसे जनता के सामने हर अमरीकी युद्ध और नाकेबंदी के बाद बोला गया, क्योंकि वाशिंगटन द्वारा नाकाबंदी किये गए देशों में लाखों लोगों को भारी कठिनाई और अकाल का सामना करना पड़ता है। मैंने अक्सर इन पिछले कुछ वर्षों में लोगों को बताया, अगर रैमजे शारीरिक रूप से सक्षम होते, तो वह यमन के लोगों के साथ होते, पूरी तरह से अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा समर्थित सऊदी अरब द्वारा किए गए नरसंहार पर अपनी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति का उपयोग करके उस पर कुछ प्रकाश डालते।

खाड़ी युद्ध के बारे में रैमजे की पुस्तक, "द फायर दिस टाइम," इराक के असैनिक बुनियादी ढांचे के विनाश, बम से 2,50,000 लोगों की मौत का विवरण देती है।

जब अमरीकी सैनिक घर आए, तो कुल 12 साल की अमरीकी नाकेबंदी जारी रखी गयी-- जिसकी कुछ उदारवादियों ने मंगलमय "प्रतिबंध" कहकर सराहना की। 2003 के आक्रमण और कब्जे तक, नाकेबंदी ने 15 लाख से अधिक इराकी लोगों को मार डाला।

रैमजे क्लार्क नंदीग्राम, भारत का दौरा, नवंबर 2007

रैमजे ने संयुक्त राष्ट्र में उन जानलेवा प्रतिबंधों के प्रभावों पर अपना वार्षिक निष्कर्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने बार-बार इराक की यात्रा की। मुझे उनके साथ और मई 1998 में 84 अन्य आयोजकों, वकीलों, डॉक्टरों और ट्रेड यूनियन के एक प्रतिनिधिमंडल का सम्मान मिला। हम अस्पताल दर अस्पताल गुजरे जहां दवा या काम करने का कोई उपकरण मौजूद नहीं था क्योंकि अमरीका / संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के जरिये एस्पिरिन को भी अन्दर जाने से रोक दिया गया था। स्थिति भयावह थी-- उपचार योग्य संक्रमणों से मरने वाले बच्चे, बुजुर्ग और युवा अमरीकी बमों के ऊपर लगे यूरेनियम परत के संपर्क में आने से मर रहे थे।मेरी फिल्म, "प्रतिबंध के जरिये नरसंहार: इराक का मामला" (जेनोसाइड बाई सैंक्शन : द केस ऑफ इराक) में रैमजे की 1997 की यात्रा का दस्तावेजीकरण किया गया है, इसमें अमरीकी झूठ "प्रतिबंध, युद्ध नहीं" को उजागर किया गया है।

रैमजे फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के एक प्रबल समर्थक थे और वे पूरे अरब जगत के एक प्रिय व्यक्ति थे। वे संयुक्त राज्य में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन के प्रवक्ता थे और कई अंतरराष्ट्रीय कानूनी संघर्ष में, जब संयुक्त राज्य अमरीका में उनके जैसा लगभग कोई नहीं था, वे फिलीस्तीनी और अरब लोगों के लिए न्यायपूर्ण उद्देश के साथ खड़े होने के लिए तैयार थे। दशकों के दौरान रैमजे ने फिलिस्तीनी और अरब लोगों के साथ इस एकजुटता को अंजाम दिया, जब इजरायल की सरकार और दक्षिणपंथी जोर-जोर से कह रहे थे कि ऐसा करना यहूदी विरोधी है और उनकी बातें अधिक प्रभावी थीं। पश्चिम में वे ईरान में शाह के अमरीकी कठपुतली शासन के सबसे प्रमुख आलोचकों में से एक थे।

रैमजे क्लार्क के लिए क्यूबा का बहुत महत्व था और उन्होंने कई बार इस द्वीप की यात्रा की। उन्होंने क्यूबा की सामाजिक उपलब्धियों की सराहना की, और 1993 में क्यूबा जाते समय मेक्सिको को पार करते हुए “फ्रेंडशिपमेंट कारवाँ” शांति के पादरी को अपना सक्रिय समर्थन दिया। उन्होंने छह वर्षीय एलियन गोंजालेज की तत्काल घर वापसी का आह्वान किया। उन्होंने संयुक्त राज्य अमरीका में पांच क्यूबावासियों के गलत कारावास के बारे में कहा कि अगर वे अटॉर्नी जनरल होते तो उनके आरोपों को खारिज कर देते। क्यूबा को वर्षों समर्थन देने के लिए और अमरीकी नरसंहार करनेवाले प्रतिबंधों के विरोध के लिए, उन्हें 2012 में क्यूबन फाइव की माताओं के साथ सॉलिडैरिटी मेडल से सम्मानित किया गया था।

रैमजे क्लार्क 20 मार्च, 2010 को वाशिंगटन, डी.सी. में युद्ध-विरोधी प्रदर्शन में बोलते हैं।

रैमजे ने डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया या उत्तर कोरिया के साथ-साथ दक्षिण कोरिया की कई यात्राएं कीं। 2001 में वे कोरियाई युद्ध में अमरीका के युद्ध अपराधों पर गठित अंतर्राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल में मुख्य वक्ता और प्रमुख न्यायविद थे। ट्रिब्यूनल ने विशेषज्ञों की गवाही पेश की और इसमें दुनिया भर के लोगों ने भागीदारी की। जुलाई 2013 में रैमजे ने उत्तर कोरिया की अंतिम यात्रा की, उन्होंने यह यात्रा कोरिया में सैन्य शत्रुता को समाप्त करने वाले 1953 के युद्धविराम समझौते की 60 वीं वर्षगांठ के अवसर की थी। प्योंगयांग और उसके बाद सियोल तथा टोक्यो की यात्राओं में, रैमजे ने उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों को समाप्त करने की आवश्यकता के बारे में स्पष्ट रूप से बात की और मांग की कि संयुक्त राज्य अमरीका हमेशा के लिए और सभी के लिए कोरियाई युद्ध को समाप्त करने के लिए उत्तर कोरिया के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर करे।

सामाजिक न्याय के लिए ऐसा कोई संघर्ष या लक्ष्य नहीं था जिसके लिए रैमजे ने समर्थन न किया हो।

जिस किसी को उनके साथ कुछ घंटे बिताने का अवसर मिला, उनके अनुभवों से उसे एक यादगार ऐतिहासिक सबक मिला होगा। मैं एक बार उन्हें कैलिफ़ोर्निया के एक विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में गाडी से तीन घंटे में ले आयी और ले गयी। रैमजे ने मुझे रुशेल मैगी के जीवन की पूरी कहानी बताई, जिसे उन्होंने न्यायिक अपील के जरिये मुक्त कराने की कोशिश की, और उस परम क्रूरता के बारे में भी बताया, जिसे "न्याय" प्रणाली ने मैगी पर थोप रखा था।उन्हें मूल निवासियों के संप्रभु अधिकारों पर दृढ़ विश्वास था और वे 50 वर्षों से अनसुलझे प्रमुख भूमि विवादों को निपटाने में सहायक थे।

1 जनवरी, 1994 को, जब मैक्सिको के चियापास में ज़ापतिस्ता विद्रोही उठ खड़े हुए, रैमजे जानते थे कि जाँच करने और अपना समर्थन देने के लिए उन्हें वहाँ रहना होगा। विद्रोह के एक सप्ताह के भीतर मुझे उस छोटी सी टीम में ब्रायन बेकर और अन्य लोगों के साथ शामिल होने का सौभाग्य मिला। नाफ्टा मुक्त व्यापार समझौते ने मूलनिवासी माया लोगों को वीरतापूर्ण कार्रवाई के लिए मजबूर किया था, जिस पर राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और कार्लोस सालिनास ने हस्ताक्षर किए थे। ज़ापतिस्ता विद्रोहियों को पता था कि मैक्सिको में नाफ्टा समझौता मकई जैसे अमरीकी उत्पादों की बाढ़ लाकर उनकी आजीविका को नष्ट कर देगा।

मैक्सिको की सेना द्वारा विद्रोहियों के दमन का डर था। मैक्सिकी और अंतरराष्ट्रीय प्रेस, और उदारवादी लोग मूलनिवासियों की दुर्दशा के प्रति सहानुभूति रखते थे, फिर भी सशस्त्र संघर्ष को समर्थन देने के लिए अनिच्छुक थे। हमारी यात्रा के समापन पर, रैमजे ने सैन क्रिस्टोबाल डी लास कैस में एक होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सैकड़ों पत्रकारों को बताया कि उनका सशस्त्र संघर्ष-- "दुनिया भर में जिसकी धमक सुनाई दे रही थी" वह पूरी तरह से न्यायपूर्ण था।

रैमजे मूलनिवासी राजनीतिक कैदी लियोनार्ड पेल्टियर के लिए अपील करनेवाले वकील थे, जो आज भी एफबीआई द्वारा जबरदस्ती भेजे जाने के 45 साल बाद भी अमरीकी संघीय जेल में कैद है। 16 नवंबर 1997 को सैन फ्रांसिस्को में लियोनार्ड के लिए निकाली गयी लगभग 1,000 लोगों की एक सामूहिक इनडोर रैली में, रैमजे ने बेहद उत्साही भीड़ से कहा, "हर कोई जानता है, और सभी अभियोजक और एफबीआई के अधिकांश लोग भी जानते हैं कि लियोनार्ड पेल्टियर उस अपराध के मामले में निर्दोष है, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया है। ... यह आवश्यक है कि हम लियोनार्ड पेल्टियर को मुक्त कर दें और ऐसा करके मूलनिवासी लोगों को बराबरी का मौक़ा दें। जब तक लियोनार्ड मुक्त नहीं हो जाते, हम सभी खतरे में हैं। वह इस बात का प्रतिनिधित्व करता है कि क्या अमरीकी लोगों के पास मीडिया और सैन्य-औद्योगिक परिसर को नियंत्रित करने वाले शक्तिशाली आर्थिक हितों के खिलाफ अंततः खड़े होने की इच्छाशक्ति है, जो पूरे ग्रह में गरीब लोगों को तबाह कर रहे हैं। क्या हमारे अन्दर बहुत देर किये बिना अमरीकी सरकार के रास्ते को रोकने की इच्छाशक्ति है।”

रैमजे क्लार्क ने क्यूबा का एकजुटता पदक प्राप्त किया। उनके साथ, क्यूबन फाइव की माताएँ, मिर्ता रोड्रिग्ज़, इरमा सेहवर्ट, मगली लॉर्ट आदि खड़ी हैं। साभार: ग्लोरिया ला रीवा

अगली सुबह रैमजे ने सैन फ्रांसिस्को से यूगोस्लाविया के लिए उड़ान भरी, जो उस घिरे हुए देश को समर्थन देने के लिए था। यूगोस्लाविया में उस समय यूरोप की एकमात्र समाजवादी सरकार थी, जो 1988 से 1991 तक इस क्षेत्र में फ़ैल रही पूंजीवादी प्रतिक्रान्ति के जरिये पलटी न जा सकी थी। लेकिन संयुक्त राज्य अमरीका उस सरकार को नष्ट करने के लिए दृढ़ था और दो साल बाद उसने ऐसा ही किया। मार्च 1999 में, कोसोवो के सर्बियाई प्रांत में मुस्लिम अल्पसंख्यक लोगों का बचाव करने के बहाने यू.एस. और नाटो ने 73-दिवसीय बमबारी अभियान की शुरूआत की।

अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा कॉरपोरेट मीडिया में यूगोस्लाविया के नेता मिलोसेविक को राक्षस के रूप में दिखाए जाने से अमरीका के कई पारंपरिक शांति संगठन उदासीन हो गए। लेकिन अमरीका के युद्ध-विरोधी आंदोलन के हजारों लोगों ने सड़कों पर मार्च किया। जल्द ही यूगोस्लाविया की सारी जनता नाटो के निशाने पर आ गयी। पेंटागन और क्लिंटन प्रशासन के नेतृत्व में नाटो ने मध्य यूरोप के इस छोटे से देश पर 28,000 बम और मिसाइलें गिराईं। कई उदारवादी, यहां तक ​​कि कुछ जाने-माने प्रगतिशील कार्यकर्ताओं ने भी, रैमजे द्वारा यूगोस्लाविया की सक्रिय रक्षा पर विलाप किया। उन्होंने केवल सीएनएन, एनबीसी और द न्यू यॉर्क टाइम्स चैनलों के उन कार्यक्रमों को देखा, जो वे दिखाना चाहते थे- उनमें मिलोसेविच को यूगोस्लाविया का एकमात्र आक्रान्ता के रूप में दिखाया गया।

लेकिन अपने नैतिक कम्पास द्वारा निर्देशित रैमजे ने पेंटागन प्रचार मशीन के आर-पार देखा। 24 मार्च, 1999 को जैसे ही बम गिरना शुरू हुआ, मुझे एक बार फिर उनके साथ इस बार हंगरी के लिए उड़ान भरने का सौभाग्य मिला। नागरिक आबादी पर विनाशकारी प्रभावों का दस्तावेजीकरण करने के लिए युद्ध के पांचवें दिन हम यूगोस्लाविया के बेलग्रेड के लिए रवाना हुए।

यह मेरा वृत्तचित्र बन गया, "नाटो टारगेट्स यूगोस्लाविया।" युद्ध के हर दिन, सीएनएन रिपोर्ट करता है कि कल की बमबारी "नाटो बलों द्वारा सबसे भारी बमबारी" थी। रैमजे ने युद्ध के 55 वें दिन वहां के लिए उड़ान भरी। मैंने फिर से उनका साथ दिया।

लेखिका ग्लोरिया ला रीवा और  रैमजे क्लार्क

रैमजे के साथ विशेष रूप से नाटकीय घटना तब हुई, जब जून 2001 के अंत में युगोस्लाविया में प्रतिक्रान्ति हुई थी। मिलोसेविक को सीआईए द्वारा रचे गये षड्यंत्र "रंग क्रांति" के जरिये उखाड़ फेंका गया था। नई तख्तापलट सरकार ने जल्दी से यूगोस्लावी समाजवादियों और अन्य देशभक्तों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया, जिन्होंने 1999 नाटो बमबारी के प्रतिरोध का नेतृत्व किया था।

रैमजे ने फैसला किया कि वह तुरंत वहां के लिए उड़ जाना चाहते हैं। तब तक वाशिंगटन, डी.सी. में यूगोस्लाव दूतावास ने दक्षिणपंथियों से हाथ मिला लिया था और उन्हें वीजा देने से मना कर दिया था। रैमजे यही नहीं रुके। उन्होंने मुझे सैन फ्रांसिस्को में बुलाया और कहा, "अगले विमान को जेएफके पर ले जाओ। मैं आपसे हवाई अड्डे पर मिलता हूं। ” जब मैं वहाँ पहुँची तो हम टर्मिनल से उतनी ही तेजी से भागे जितना हम कर सकते थे। उड़ान भरने के लिए तैयार विमान का गेट बंद हो रहा था।

जब हम अंततः बेलग्रेड पहुंचे, हम आव्रजन लाइन में खड़े हो गए और जैसे ही हम खिड़की के पास पहुंचे, कर्मचारियों ने इसे बंद कर दिया। अधिकारी हमारे पास आए और कहा, "आपको देश छोड़ना होगा, आप यहाँ नहीं रुक सकते। अब विमान पर वापस जाओ। रैमजे ने कहा, "मैं रैमजे क्लार्क और ..." जिस पर उन्होंने उत्तर दिया, "हम जानते हैं कि आप कौन हैं, विमान पर चढ़ें।" हमने कहा, "नहीं, हमें बाहर इंतजार कर रहे हमारे मेजबानों को फोन करने की जरूरत है।" सोशलिस्ट पार्टी के हमारे दोस्त हमें लेने के लिए इंतजार कर रहे थे।

16 दिसंबर, 2011 को न्यूयॉर्क शहर में वेनेजुएला के वाणिज्य दूतावास में हैती लिबर्टे अखबार के लिए एक चन्दा जुटाने वाले कार्यक्रम में बोलते हुए रैमजे क्लार्क।

उस विमान ने उड़ान भरी। एक और विमान ने पेरिस लौटते हुए डामर पर उड़ान भरी। फिर से, अधिकारियों ने जोर देकर कहा, "इस विमान पर चढ़ो, अब!" हमने मना कर दिया। फिर उस एक विमान को भी रवाना कर दिया गया। हम ऐसा कब तक जारी रख सकते थे हमें नहीं पता था।

फिर दो पुलिस वाले, एक महिला और एक आदमी, हमारे पास आए। महिला ने कहा, "कृपया मुझे अपने पासपोर्ट दे दो।" उस आदमी ने मुझसे कहा, "मेरे पीछे आओ।" और वह मुझे हवाई अड्डे के टर्मिनल तक ले गया, मुझे एक कियोस्क पर ले गया और कहा, "आप अपना फोन कॉल कर सकती हैं।" जब मैं और रैमजे लौटे, तो पुलिसवाले ने हमें वीजा के साथ हमारा पासपोर्ट दे दिया। उस लेडी पुलिस ने रैमजे से भावनात्मक रूप से कहा-- “आपने युद्ध के दौरान हमारा समर्थन किया, हम कभी नहीं भूलेंगे कि आपने हमारे लोगों के लिए क्या किया। मेरा भाई सेना में था और वह लड़ते हुए घायल हो गया था।”

वह रुकी और चहकते हुए बोली, "मैं आज रात आपको रैली में देखूंगी!"

जब हम मिलसोविक की अवैध गिरफ्तारी और साम्राज्यवादी अदालत द्वारा झूठे आरोपों में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग के अपहरण के विरोध में जन रैली में पहुंचे, तो भीड़ ने रैमजे की जय-जयकार की। उन्होंने उसे एक सच्चे दोस्त के रूप में देखा। यह काफी साहसिक था, यह ऐसा था जो केवल एक फिल्म में हो सकता था।

एक मानतावादी जिसे दुनिया भर में प्यार मिला

जनवरी 2004 में, रैमजे क्लार्क और मैं मुंबई, भारत में विश्व सामाजिक मंच (वर्ल्ड सोशल फोरम) पर मौजूद थे। मैं क्यूबन फाइव* के स्वतंत्रता संघर्ष के लिए वहाँ गयी थी। बेशक, रैमजे ने अपनी ओर से अन्य विषयों पर भी बात की। वे अपनी प्रस्तुतियों में से एक के अंत में विनी मंडेला के पास चले गए थे। मैं इस क्रांतिकारी महिला नेता की उपस्थिति पर स्तब्ध थी। रैमजे को गले लगाने के लिए वह जोर से बोली, "जब मैंने सुना कि रैमजे क्लार्क यहां आये हैं, तो मैं उन्हें देखने चली आई।" वह बेहद गर्मजोशी और खुशी से मिली।

रैमजे क्लार्क ने डॉ आफिया के लिए न्याय सुनिश्चित करने के प्रयासों का आग्रह किया

बाद में उस दिन, उन्होंने मुझसे कहा कि, “आप इस बारे में सोचती हैं, उस महिला को नेल्सन मंडेला की तरह ही बहुत कष्ट सहना पड़ा। उन्हें कारावास, पुलिस दुर्व्यवहार, निर्वासन, अपने बच्चों और पति से अलगाव का सामना करना पड़ा।" उन्होंने मुझे बताया कि वह एक बार उससे मिलने दक्षिण अफ्रीका गये थे। उसे देश निकाला दिया गया था, वह उन्हें अंदर आने देने के लिए दरवाजा भी नहीं खोल सकी और वह अपना घर भी नहीं छोड़ सकती थी। और सिर्फ इसीलिए रैमजे ने अपने हाथ को दरवाजे की स्क्रीन पर "हाथ मिलाने" के अंदाज में रखा, जिससे वे स्क्रीन के माध्यम से उसके हाथ को छू लें, उस महिला को देश निकाला देकर अलगाव में रहने के लिए मजबूर किया गया था।

रैमजे को दुनिया भर में उन लाखों लोगों ने जाना और पसंद किया, जिनका उन्होंने बचाव किया।

रैमजे के अंतर्राष्ट्रीयतावादी मिशनों के लिए बहुत लोगों ने उन्हें प्रशंसा और प्यार दिया, जिसके कई प्रमाण जो मैंने देखें, यहाँ दिए हैं। रैमजे क्लार्क के कानूनी और राजनीतिक जीवन में किताबें और पुस्तकालय अभिलेखागार की भरमार है। उसके बारे में बहुत अधिक कहा जा सकता है।

उनके जीवन का एक विशेष इतिहास प्रसिद्ध फिल्म निर्माता जोये स्टिलमैन द्वारा निर्मित पुरस्कार विजेता वृत्तचित्र "सिटीजन क्लार्क: ए लाइफ ऑफ प्रिंसिपल" में बताया गया है। जोये कहते हैं, “जब मैंने उनके जीवन का विवरण जाना, तो मुझे पता चला कि मुझे उनकी कहानी लोगों को सुनानी होगी। मेरे पास एक विकल्प था, या तो मैं खुद एक घर खरीदूं या रैमजे के बारे में एक फिल्म में अपना पैसा लगाऊं। मुझे खुशी है कि मैंने उनके जीवन का दस्तावेज बनाया। मैं इस काम को फिर से एक सांस में कर दिखाऊंगा।"

मार्च 1999 में रैमजे की यूगोस्लाविया की पहली युद्धकालीन यात्रा में, मैं उन्हें फिल्मा रही थी क्योंकि उन्होंने शिक्षाविदों, न्यायविदों और वकीलों के एक भीड़भरे दर्शकों से बात की थी। उन्होंने उल्लेख किया है कि यह उनकी पत्नी जॉर्जिया की शादी की 50 वीं वर्षगांठ थी, और उन्होंने उसके बारे में बहुत प्यार और स्नेह के साथ बात की। उन्होंने कहा कि उनकी सालगिरह के दौरान उनकी अनुपस्थिति का समर्थन उनकी पत्नी ने किया, जिन्हें बचाव की आवश्यकता थी, उनके लिए यह जरुरी था। पत्नी जॉर्जिया ने सामाजिक न्याय में अपने विश्वास को साझा किया और उन्होंने अपने कानूनी कार्यालयों में वर्षों तक काम किया, जबकि उन्होंने दो बच्चों, टॉम और रोंडा की परवरिश भी की। उन्होंने एक परिवार के रूप में भी अक्सर साथ-साथ यात्रायें की।

अफसोस की बात है कि 2010 में पत्नी जॉर्जिया की मृत्यु हो गई। न्याय विभाग में पर्यावरण वकील बेटे टॉम की 2013 में 59 साल की उम्र में कैंसर से मृत्यु हो गई। बेटी रोंडा बहरी और अपाहिज हैं और जीवन भर घर पर ही हैं। वह रैमजे के गुजरने के अनुमान में न्यूयॉर्क शहर के एक विशेष स्कूल में भेज दी गयीं। जॉर्जिया के मरने के बाद रैमजे क्लार्क ने उसे अकेले ही पाला। उन्होंने रोंडा को प्यार किया और कहा, "वह घर की बॉस है।" उनके करीबी परिवार के सदस्यों में बहन मिमी क्लार्क ग्रोनलंड, भाभी चेरिल केसलर क्लार्क, तीन पोतियां व्हिटनी, टेलर और पैगी क्लार्क और एक बड़ा परिवार है।

रैमजे क्लार्क एक ऐसे दुर्लभ व्यक्ति थे, जो सच्चे मानवाधिकारों की रक्षा और उन मान्यताओं की रक्षा करने का साहस रखते थे। वे दुनिया भर में बड़ी शिद्दत से याद किये जायेंगे।

(मूल रूप से लिबरेशन न्यूज़ डॉट ऑर्ग, 10 अप्रैल, 2021 और एमऑर ऑनलाइन

पर प्रकाशित, बाय ग्लोरिया ला रीवा से साभार)

अनुवाद—विक्रम प्रताप

*क्यूबन फाइव-- जेरार्डो हर्नांडेज़, एंटोनियो ग्युरेरो, रेमन लाबानिनो, फर्नांडो गोंजालेज और रेने गोंजालेज, ये क्यूबा के पांच खुफिया अधिकारी हैं जिन्हें सितंबर 1998 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में मियामी में साजिश के लिए दोषी ठहराया गया था। जासूसी, हत्या करने की साजिश, एक विदेशी सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करने, और संयुक्त राज्य अमरीका में अन्य अवैध गतिविधियों को करने का इन पर आरोप लगे थे।

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