अनियतकालीन बुलेटिन

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छोटे दुकानदार का कारोबार छीन लेगी रिलायंस की जिओ–मार्ट

रिलायंस इण्डस्ट्रीज एक और क्षेत्र में उतरने जा रही है, जहाँ वह ऑनलाइन के खुदरा बाजार में अमेजन, फ्लिपकार्ट, वी–मार्ट आदि कम्पनियों के साथ प्रतियोगिता करेगी । रिलायंस इण्डस्ट्रीज की यह पेशकश रिलायंस रिटेल और रिलायंस जिओ मिलकर चलायेंगी । रिलायंस जिओ अपने ग्राहकों से बिना पूछे उन्हें सीधा रिटेल से जोड़़़ देगी । यह अपने प्रतियोगियों से अलग व्यवस्था करने जा रही है । खुदरा सामानों की डिलीवरी के लिए ग्राहकों को एक एप के जरिए लोकल स्टोर से जोड़ा जायेगा । रिलायंस अपने हाई स्पीड फोर–जी नेटवर्क के जरिए ग्राहक को तत्काल सेवा प्रदान करेगी । मोबाइल एप से ऑर्डर करने पर घर बैठे सामान को स्टोर से ग्राहकों तक पहुँचा दिया जायेगा, मतलब जिओ–मार्ट बिचैलिए का काम करेगी । फिलहाल देश में 15000 स्टोर डिजिटलाइज हुई है ।
दुकानदारों को ऑफर देगी कि हम आपके धन्धे में निवेश करेंगे और मुनाफे को 20 या 30 प्रतिशत लेंगे, आप ऐसे ही दुकान चलाते रहिए । हमारे एप पर जो आर्डर आये, उसे भेजते रहिये । यह सब ऐसे ही चलता रहा तो बाद में दुकानदार अपनी दुकान के मालिक के बजाय मैनेजर और फिर कर्मचारी बनकर रह जायेंगे । जब किसी दुकान की सारी बिक्री जिओ के एप से होगी, और बाहर के ग्राहक टूट जायेंगे तो दुकानदार जिओ कम्पनी की हर बात मानने को मजबूर होंगे । ऐसे उदाहरण अर्थव्यवस्था के दूसरे क्षेत्रों में देखने को मिले हैं ।
पूँजीवाद में बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती है । बड़े फर्म अकसर कुछ वर्षों तक नुकसान उठाने की योजना लेकर काम करते हैं । छोटे खिलाड़ी कम पूँजी के चलते प्रतियोगिता में टिक नहीं पाते । इसके चलते छोटे दुकानदार खत्म हो जाते हैं और बड़े स्टोरों का अधिपत्य हो जाता है । इससे छोटे खुदरा व्यापार का बर्बाद होना तय है । पहले ही अमेजन जैसी कम्पनियों ने दूसरे देशों का सामान हमारे यहाँ लाकर पटक दिया है और देश को डंपिंग ग्राउण्ड बना रखा है । व्यापार के समान अवसर न होने के चलते खुदरा व्यापार क्षेत्र उनका मुकाबला नहीं कर पा रहा है और उनका कारोबार ठप्प होने के कगार पर है ।
एक तरफ जहाँ रिलायंस कम्पनी पर 4,5000 करोड़ रुपये का कर्ज डिफॉल्ट खाते में डाल दिया गया है । वहीं दूसरी ओर इतना बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए पैसे की पूर्ति के लिए नया कर्ज मुहैया कराया जायेगा । सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र से प्रतिस्पर्धा करने वाली निजी कम्पनियों और निजीकरण की नीतियों को बढ़ावा दे रही है । बीएसएनयेल के खिलाफ जाकर जिओ को फायदा पहुँचाया गया । यह सब पूरी तरह खुलेआम हुआ । जब जिओ के प्रचार–प्रसार का एम्बेसडर प्रधानमंत्री मोदी को ही बना दिया गया । दूसरी तरफ, सरकार ने बीएसएनयेल के कर्मचारियों को वेतन तक देने की व्यवस्था नहीं की । जिस समूह के पास इतना बड़ा नेटवर्क है, वह अपने हिसाब से नियम कानूनों में भी हेरफेर कर सकते हैं । हमने देखा कि पूरी टेलीकॉम इण्डस्ट्री रोती रह गयी लेकिन ट्राई ने उनकी चिन्ताओं को सुनने से इनकार कर दिया । 
रिलायंस इण्डस्ट्रीज छोटे दुकानदारों को निगलने के लिए तत्पर है, सवाल यह है कि सरकार किसके लिए काम कर रही है ? चन्द मुठ्ठी भर पूँजीपतियों के लिए ही सरकार हर फैसला लेती दिख रही है । जिओ–मार्ट सीधा असर 5 करोड़ छोटे दुकानदारों का हित खतरे में पड़ता नजर आ रहा हैं । दुकानदारों पर अपने परिवार के 15–20 करोड़़ लोगों के जीवन निर्वाह का भार भी है, अगर उनकी दुकानों पर ताला लग जायेगा तो वह अपने परिवार का पालन–पोषण कहाँ से करेंगे । वहीं दूसरी ओर देश में बेरोजगारी की समस्या पहले से ही बनी हुई है । एक ग्राहक जब कोई सामान खरीदने बाजार जाता है, तो केवल वस्तु को ही नहीं खरीदता, बल्कि घर से बाजार तक यातायात के साधन का उपयोग भी करता है । जिससे ऑटो–बस और छोटे–छोटे ठेले–पटरी वालों की दुकानदारी भी चलती है । लोगों का जुड़़ाव इन सबसे बनता है और समाज में भाईचारा बढ़ता है । 
किसी जमाने में ईस्ट इण्डिया कम्पनी व्यापार करने भारत आयी, जिसने भारत को दो सौ सालों तक गुलाम बनाकर यहाँ की जनता का जमकर शोषण किया । वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीति के तहत देशी–विदेशी कम्पनियाँ उससे भी बड़ी लूट मचा रखी है । विदेशी कम्पनियाँ हमारे पैसे को विदेश ले जा रही हैं और धीरे–धीरे हम साम्राज्यवादी लूट और शोषण के शिकार होते चले जा रहे हैं । 
वैश्विक संवाद सम्मेलन में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि “अमेजन एक अरब डॉलर का निवेश कर सकती है, इसलिए ऐसा नहीं है कि वह का निवेश कर भारत पर कोई एहसान कर रहे हैं ।” देशी और विदेशी पूँजीपति मिलकर भारत की अर्थव्यवस्था चला रहे हैं । इसलिए अब चाहे अमेजन हो या रिलायंस दोनों में जो भी निवेश करें छोटे दुकानदार या व्यापारियों को तो तबाही का मुँह देखना ही पड़ेगा ।
 

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