बाबाओं की सबसे ज्यादा शक्तियाँ और चमत्कार भारत में ही पाये जाते हैं। लेकिन मजेदार बात यह है कि इनकी इतनी शक्तियों और चमत्कारों के बावजूद भारत, विश्व में सैकड़ों सालों से गुलाम रहे देशों में तीसरी दुनिया का देश कहलाता है। गरीबी, गन्दगी, अनुशासनहीनता, लालच, भ्रष्टाचार, अंधभक्ति जैसी समस्याओं से जूझ रहा है किन्तु ये बाबा आज तक देश का कल्याण नहीं कर पाये। इस देश में पाखण्डी व ढोंगी बाबाओं का ऐसा जमावड़ा हो गया है कि जिधर देखो उधर ये पाखण्डी डेरा जमाये हुए हैं। कोई सेक्सी फिल्में बना रहा है तो कोई पूरा सेक्स रेकेट ही चला रहा है। कहीं ये देखने को आ रहा है कि अपनी उम्र से आधी से भी कम उम्र की लड़कियों को बाबा अपने प्रेमजाल में फँसा रहे हैं। बलात्कार कर रहे हैं। आप अज्ञानता, बेबसी एवं भय के कारण ही तो बाबाओं, ज्योतिषियों, तांत्रिकों या अन्य पाखण्डी गुरूओं के पीछे भागते हैं, फिर चाहे आपका विश्वास कमजोर रहा हो या दृढ़। वैज्ञानिक विश्लेषण और तर्क के सम्पर्क में आ सकते तो आपकी आँखें हमेशा के लिए खुल जातीं। ये फालतू, बेवजह की भागदौड़ हमेशा के लिए बन्द हो जाती।

आज माहौल ही लोगों ने कुछ ऐसा बना दिया है कि बाबाओं का सारा दोष छुप जा रहा है। बाबा के आसपास दस–बीस चेला–चेली दौड़ रहे हैं, राजनेता इनके आसपास घूम रहे हैं। जहाँ ये प्रवचन झाड़ रहे हैं वहाँ फूलों से भव्य सजावट की गयी है। शहंशाही आसन पर बाबा विराजमान है। ‘प्रवचन’ वाले सेट पर पाँच सितारा सुविधाएँ हैं। जनता मदहोश है, भक्ति रस में डूबी है। उन्हें लगता है कि ऐसा करके वे बड़ा पुण्य कमा रहे हैं। बाबाओं का ज्ञान देखिये एक बाबा प्रवचन देता है, कहता है मैंने एक स्वप्न देखा, सपना, ड्रीम, नाइटमेयर। भैया नाइटमेअर मतलब तो दुस्वप्न होता है। लेकिन पब्लिक की आँखें बन्द हैं। हर परेशानी और कष्ट का इलाज बाबा बता रहा है, अमुक दिन पास के किसी मन्दिर चले जाइए, फलाँ रंग का कपड़ा पहन लीजिए, फलाँ अनाज खा लीजिए, चढ़ावा चढ़ा दीजिये, सारे कष्ट दूर हो जायेंगे। बुद्धि विवेक पर ताला डाल कर भक्त पूरी श्रद्धा से प्रवचन आत्मसात कर रहे हैं। सिंहासन पर बैठा बाबा मजे से कमाई कर रहा है।

नये जमाने के इस बाबा के क्या कहने। इसे बैठने के लिए भव्य सिंहासन चाहिए। घूमने के लिए लम्बी गाड़ी और ए–ग्रेड बाबा है तो हेलिकॉप्टर से कम में काम नहीं चलता। इसका ईश्वर से सीधा कनेक्शन है फिर भी इसे जेड प्लस सेक्युरिटी चाहिए। आश्रम तो ऐसे बनवा रखे हैं कि शहंशाह भी शर्म के मारे जमीन में गड़ जायें। एक दौर था कि साधु–सन्त मायावी प्रलोभनों से दूर रहकर समाज को संस्कारित और धार्मिक बनाने में अपनी महती भूमिका निभाते थे। स्वयं सात्विक–सरल जीवन जीते थे। आज जिन साधु–सन्तों को हम देख रहे हैं, इनकी लीला अपरम्पार है, यह बताना मुश्किल है। इन कथित साधु सन्तों का न तो कोई चरित्र होता है न ही इनमें कोई त्याग, बाद में आये दिन इनकी काली करतूतें उजागर होती रहती हैं। इसके बावजूद पहले की तरह ही आज भी साधु–सन्तों के प्रति जनता पागल है, आश्चर्य यह कि पढ़े लिखे लोग भी इनकी चालबाजियों के चंगुल में फँस जाते हैं।

बलात्कार के मामले में सीबीआई कोर्ट से 10 साल की सजा पाने वाले गुरमीत राम रहीम सिंह पैरोल पर हैं। सरकार की मेहरबानी है। 25 अगस्त 2017 को गुरमीत राम रहीम को विशेष अदालत ने 2002 के एक मामले में दो महिलाओं के साथ बलात्कार का दोषी माना। 28 अगस्त को सजा सुना दी गयी। इस मामले में राम रहीम को 20 साल के सश्रम कारावास व 65 लाख रुपये जुर्माने की सजा हुई। और राम रहीम को पत्रकार राम चन्द्र छत्रपति हत्या काँड में 11 जनवरी 2019 को दोषी करार दिया गया व दिनांक 17 जनवरी 2019 को सीबीआई की विशेष आदालत ने उम्र कैद की सजा सुनायी।

दोषी मानने का फैसला आने के बाद राम रहीम के समर्थकों ने पूरे राज्य में हिंसक प्रदर्शन किया। इस दौरान कम से कम 38 लोगों की मौत हो गयी जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए। करोड़ों रुपये की सम्पत्ति का भी नुकसान हुआ। इसके बाद कोर्ट से फटकार मिलने पर सरकार हरकत में आयी और राम रहीम के डेरे को सेना ने अपने घेरे में ले लिया। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह को बलात्कार के आरोप में सजा मिलने के बाद डेरों की गतिविधियों पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है। पंजाब और हरियाणा में करोड़ों भक्तों की श्रद्धा के केन्द्र और डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम इंसा को बलात्कार के आरोप में दोषी पाये जाने के बाद दस साल की सपरिश्रम कैद की सजा होने से इस काण्ड के पहले अंक पर तो पर्दा गिर गया है, लेकिन अभी यह प्रकरण समाप्त नहीं हुआ है। अपने को भगवान मानने और भक्तों से मनवाने वाले इस व्यक्ति पर अभी हत्या का एक और मुकदमा चल रहा है जिसमें अगले माह फैसला सुनाये जाने की उम्मीद की जा रही है। इसी के साथ भक्ति, अध्यात्म और समाजसेवा के नाम पर चल रहे इन डेरों के बारे में सार्वजनिक विमर्श भी तेज हो चला है और धर्म, राजनीति और अपराध के बीच के गहरे रिश्ते भी चर्चा के केन्द्र में आ गये हैं। 25 अगस्त लेकर से अब तक जो हुआ है, उसे देखकर हर नागरिक के मन में एक ही सवाल है, और वह यह कि वे कौन से कारण हैं जो एक अपराधी को करोड़ों लोगों की श्रद्धा का केन्द्र, अकूत धन–सम्पत्ति का स्वामी और राजनीतिक रूप से अत्यधिक प्रभावशाली बना देते हैं ? पिछले वर्ष ही हरियाणा के एक मंत्री ने सरकारी कोष यानी जनता के पैसे से ग्यारह लाख रुपये डेरा सच्चा सौदा को दिये थे। गुरमीत सिंह राम रहीम को सरकार की ओर से जेड प्लस सुरक्षा भी मिली हुई थी जो किसी भी नागरिक को दी जाने वाली सर्वाेच्च सुरक्षा है। 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान स्वयं नरेन्द्र मोदी ने डेरे के मुख्यालय जाकर उसकी भूरि–भूरि प्रशंसा की थी, उसके सामने नमन किया था और डेरे की ओर से भारतीय जनता पार्टी को पूरा समर्थन मिला था। कांग्रेस भी डेरे का समर्थन लेती रही है। जाहिर है कि उसका समर्थन लेकर सत्ता में आने वाली पार्टी उसके प्रति कृतज्ञ ही रहेगी और डेरे के प्रमुख को सरकार और प्रशासन की ओर से केवल संरक्षण ही मिलेगा। पिछले कई दशकों से यही होता भी रहा है। पिछले दिनों डेरा सच्चा सौदा की तलाशी के दौरान कई एके–47 राइफलें, पेट्रोल बम, गोला–बारूद और अन्य कई किस्म के हथियार बरामद हुए हैं। डेरे की अपनी एक निजी सेना है जो अत्याधुनिक हथियारों से लैस है। सवाल है कि पुलिस–प्रशासन के होते हुए यह सब कैसे संभव हो पाया ? हरयाणा में ऐसा ही एक अय्यास और पाखण्डी बाबा रामपाल है। वह भी जेल में है।

नवम्बर 2014 में स्वयंभू सन्त रामपाल के सतलोक आश्रम से नकदी, हथियार, बुलेट प्रूफ जैकेट और कमाण्डो परिधान बरामद किए गये। आश्रम के बीच में स्वचालित तरीके से ऊपर नीचे होने वाली एक व्यवस्था थी, जिसमें रामपाल की कुर्सी मिली। तलाशी के दौरान एक निजी स्वीमिंग पूल, आधुनिक स्वचालित सीढ़ियाँ तथा 24 वातानुकूलित कमरे मिले, जिनमें एक कमरे में मसाज बेड भी मिला। हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जेई के पद पर रहे रामपाल ने सन्त बनकर लोगों की आँखों पर झूठ का ऐसा पर्दा डाला कि लोग उसे भगवान का अवतार मानने लगे। आश्रम में लगी हाइड्रोलिक लिफ्ट के जरिये रामपाल एक जगह से दूसरी जगह निकल आता था। इसी अंधविश्वास के कारण लोग उसे अवतार समझने लगे तथा भीड़ बढ़ती गयी।

मुम्बई में आलीशान आश्रम में रहने वाली राधे माँ के आगे बॉलीवुड के स्टार्स से लेकर समाज के धनकुबेरों का ताँता लगा रहता है। लेकिन आस्था के इस आडम्बर के पीछे का सच क्या है ये कोई नहीं जानता। तमाम सवालों के बाद भी राधे माँ का दरबार सजने का सिलसिला नहीं थमा। उनकी भक्ति में गाने गाये जाते हैं। वह झूमझूम कर नाचने लगती हैं, तो ऐसा लगता है पूरे माहौल में एक अजब सा जादू हो गया है। उनके तमाम भक्तों की मानो सोचने–समझने की शक्ति भी छीन ली हो। किसी भक्त पर माँ जब बहुत खुश हो जाती हैं तो वो झूमते–झूमते उसकी गोद में कूद जाती हैं। माना जाता है कि जिस भक्त की गोद में माँ ने छलांग लगायी है वो बहुत भाग्यशाली है और उसकी सभी मन्नतें तत्काल पूरी हो जाएँगी। राधे माँ जब गोद में आ जाती हैं तो भक्त दोगुनी खुशी से माँ को लेकर नाचता है। पंजाब की रहने वाली राधे माँ पर अगस्त 2015 में मुम्बई में केस दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी हुई। मुम्बई की एक महिला ने उन पर आरोप लगाया कि राधे माँ ने उसे दहेज के लिए मानसिक–शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। उनके अनुयायियों ने उसके साथ मारपीट की। उनके कहने पर ही उसके ससुरालवालों ने उसे घर से निकाल दिया। पीड़िता के मुताबिक, 2012 में उसकी शादी मुम्बई में हुई थी। उसके ससुराल के लोग राधे माँ के अंधभक्त हैं। उनके कहने पर ही उसके ससुरालवालों ने उससे शादी की थी। शादी से पहले ही राधे माँ और ससुरालवालों ने अपनी माँग रखनी शुरू कर दी थी।

आसाराम बापू के कारनामों से तो सब वाकिफ हैं ही। इन्होंने अपने गुरुकुल में पढ़ने वाली एक किशोरी का सुनियोजित तरीके से रेप किया। अब जोधपुर में जेल में हैं। हिन्दुस्तान भर में इनके अनेकों आश्रम हैं, अहमदाबाद, सूरत, इन्दौर और जोधपुर का तो किस्सा ही है यह। इनका दिल्ली के बीचोबीच रिज फॉरेस्ट में एक आश्रम है। जंगल में मंगल। ईश्वर की मर्जी ? खबरें आती रही हैं फलाँ बाबा के लोगों ने यहाँ जमीन पर कब्जा कर लिया, वहाँ अवैध रूप से आश्रम बना डाला। लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं देता। न जनता, न सरकार। भाई, ये बाबा हैं या भूमाफिया ? बंगलौर के परमहंस नित्यानन्द के कथित सेक्स विडियो ने 2010 में सनसनी फैला दी थी। इसके बाद नित्यानन्द सुर्खियों में आ गये। वे दुनिया के कई देशों में नित्यानन्द ध्यानपीठ चलाते हैं।

दक्षिण भारत के एक टेलीविजन चैनल ने इस वीडियो का प्रसारण किया था जिसमें एक साधु जैसे दिखने वाले व्यक्ति को दो महिलाओं के साथ अश्लील अवस्था में दिखाया गया था। इसके बाद स्थानीय लोगों ने नित्यानन्द ध्यानपीठ पर हमला कर दिया और तोड़फोड़ की। कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को नवम्बर 2004 में एक हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। पर आठ साल बाद भी ये मामला पुडुचेरी की एक अदालत में घिसट रहा है। केरल के अमृत चैतन्य उर्फ सन्तोष माधवन को नाबालिग लड़कियों के साथ यौन दुर्व्यवहार करने के लिए एक अदालत ने 2009 में 16 साल की सजा सुनाई थी। कश्मीर में श्रीनगर से 42 वर्षीय गुलजार बट को पुलिस ने बलात्कार के आरोप में मई 2013 में गिरफ्तार किया। उन पर आरोप था कि उन्होंने बडगाम के अपने मजहबी ठिकाने खानसाहेब में कई लड़कियों का यौन शोषण किया। पुलिस ने बताया कि सैयद गुलजार के स्कूल में 500 छात्राएँ पढ़ती हैं और वो स्कूल में काम करने वाली महिलाओं के जरिये लड़कियों को बहला–फुसला कर उनसे यौन सम्बन्ध बनाते थे।

उत्तर प्रदेश में पाखण्डी साधुओं की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। राज्य में कई साधु–सन्त अपनी विवादित भाषा शैली और आचरण के कारण चर्चा में रहे, भक्त बनकर मन्दिर स्थापित करने और लोगों को प्रवचन देने वाले चित्रकूट के बाबा, इच्छाधारी सन्त स्वामी भीमानन्द महाराज उर्फ शिवमूरत द्विवेदी के काले कारनामों का चिट्ठा जब उजागर हुआ तो ऐसे साधु सन्तों को लेकर कुछ बहस छिड़ी। एक बार प्रतापगढ़ में कृपालु महाराज के आश्रम में भगदड़ मची। आश्रम के लोग बोले कि यह जो इतने लोग मरे इसमें हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं, ईश्वर की मर्जी है। अरे भाई, बाबा जी तो ईश्वर के एकदम करीब हैं। दिन–रात ईश्वर से साक्षात्कार करते हैं, साक्षात प्रभु के दर्शन करते हैं। तो फिर ईश्वर ने उन्हें क्यों नहीं बताया कि बाबा, कल तुम्हारे आश्रम में भगदड़ मचेगी, लोग मरेंगे ? मत करो श्राद्ध, या करो भी तो चुपचाप, अकेले। अपने करीबियों को याद करने के लिए मजमा लगाने की क्या जरूरत ? स्वयं अपने आप को ईश्वर बताने वाला यह कैसा बाबा है जिसे यह नहीं पता कि थोड़ी देर में यहाँ 64 महिलाएँ और बच्चे कुचल कर मरने वाले हैं ? ईश्वर के करीब हो तो ईश्वर की मर्जी भी पता होगी! बल्कि आप तो कहते हैं कि आप स्वयं ईश्वर हैं तो फिर इन लोगों की मौत की जिम्मेदारी लीजिए।

राजधानी लखनऊ के बाबा भूतनाथ को मरे कई साल हो गये हैं, लेकिन आज भी उनके द्वारा हथियाई गयी जमीन पर बनी भव्य भूतनाथ मार्केट उनके नाम को जीवित रखे हुए है। लखनऊ के इंदिरागनर में जहाँ पर भूतनाथ मार्केट बनी है इस जमीन की कीमत करोड़ों रुपये है। बाबा भूतनाथ करिश्माई तांत्रिक के रूप में अपनी छाप बनाये हुए थे, वे तरह–तरह के केमिकल के प्रयोग से लोगों को बेवकूफ बनाने में सिद्धहस्त थे। उनके गुरुभाई रहे बाबा भैरोनाथ को उनकी करतूतों पर काफी नाराजगी रहती थी। सन्त ज्ञानेश्वर के तो नाम के आगे ही सन्त लगा था और पीछे ज्ञानेश्वर। लेकिन उनके शौक निराले थे, भूमाफिया के रूप में सन्त ज्ञानेश्वर का नाम पुलिस रिकॉर्ड में भले ही नहीं था, लेकिन दूसरों की जमीन हथियाने की आदत ने उन्हें मौत की गोद में सुला दिया। ख़ूबसूरत महिला कमाण्डो के संरक्षण में चलने वाले सन्त ज्ञानेश्वर ने बाराबंकी से लेकर इलाहाबाद तक में अपना साम्राज्य फैला रखा था। उनके आश्रम में कई वीआईपी लोगों का आना–जाना था। सन्त ज्ञानेश्वर पर आरोप था कि वह अपने आश्रम में आने वाले अतिथियों को आश्रम में रहने वाली लड़कियाँ पेश करते थे। जब छापा मारा गया तो उनके आश्रम से कई आधुनिक हथियार भी पुलिस ने बरामद किए। भाजपा के टिकट से दो बार सांसद रह चुके सच्चिदानन्द हरि उर्फ साक्षी महाराज पर जमीन हथियाने और यौन उत्पीड़न के आरोप समय–समय पर लगते रहे। 27 मार्च 2009 को साक्षी महाराज के आश्रम से एक 24 वर्षीय युवती लक्ष्मी का शव बरामद हुआ तो हड़कम्प मच गया। लेकिन आज भी वह भाजपा के सांसद हैं। आश्रम के रूप में साक्षी महाराज के पास अच्छी खासी सम्पदा एकत्र है।

बाबा को भगवान बना देने में लोगों की अंधभक्ति ही काम करती है। जो बाबा स्वयं अपनी ही भलाई में लगा हुआ है वह किसी और का भला कैसे कर सकता है ? जो खुद लालच से उबर नहीं सकता वह औरों को क्या शिक्षा दे सकता है ? जो आम आदमी और खास आदमी में फर्क करता है, वह क्या भेद मिटाएगा ? यह समझने की जरूरत है। समाज में ऐसे ढोंगियों की संख्या हजारों में है जिनकी काली करतूतें यदा–कदा जाहिर होती ही रहती हैं लेकिन तब भी लोगों का उनसे मोहभंग नहीं होता। वे उनके चंगुल में फँसते ही रहते हैं। इसका फायदा उठाकर बड़ी संख्या में छद्म वेशधारी, साधु–बाबाओं की जमात में शामिल हो लिए हैं। मजे की बात यह कि लोग अब ईश्वर की जय नहीं बोलते बल्कि बाबा की जय बोलते हैं। लगता है ईश्वर की शक्ति अब क्षीण हो गयी है। अब उन्हें ईश्वर की जरूरत नहीं रही। उन्हें तो बस बाबा की ‘कृपा’ चाहिए क्योंकि बाबा स्वयं ईश्वर है या फिर ईश्वर का असली दलाल। वह सिफारिश कर देगा तो परमात्मा आँख बन्द कर उसकी बात मान आपका काम कर देगा। जब ऐसे बाबा पैदा हो गये हैं तो धर्मप्राण व्यक्तियों को ईश्वर की कोई जरूरत ही नहीं है। आखिर जो आपको भ्रमित कर दे, वही आपका भगवान है फिर वह बाबा हो या नेता।

तर्कशीलता के अभाव में हमारा अवचेतन मन हमारे विश्वास पर कार्य करता है, तर्क पर नहीं। इसलिए आप किसी भी बाबा, पाखण्डी गुरू या साधक के पास चले जायें, किसी भी मन्दिर, गुरूद्वारे, मजार पर चले जायें, यह निश्चित मान लीजिये आपका इनके पास जाना ही आपके अवचेतन मन को प्रभावित करता है। कबीर के शब्दों में––

“बहुत मिले मोहि नेमी, धरमी, प्रात करें असनाना।

आतम–छाँड़ि पषानै पूजै, तिनका थोथा ज्ञाना।

साँची कही तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना,

साधो, देखा जग बौराना।”