इन दिनों अमेजन वर्षावन धूँ–धूँ कर जल रहा है, यह आग बीते 15 अगस्त से ब्राजील के 9500 से अधिक नये जंगलों को राख में तब्दील करती जा रही है। हालत भयावह है और अमेजन घाटी से सटे हुए जंगल बहुत तेजी से आग के हवाले हो रहे हैं। जिसने बहुत ही कम समय में लाखों पेड़ों को जलाकर राख कर दिया है, इस आग ने अमेजन घाटी में रहने वाले लाखों वन्यजीव और मानव जीवन को भी खतरे में डाल दिया है।
इस साल अब तक, वैज्ञानिकों ने ब्राजील में 74,000 से अधिक आग लगने की घटना दर्ज की हैं। पिछले साल ब्राजील में 40,000 के लगभग आग लगने की घटनाएँ दर्ज की गयी थीं, लेकिन इस वर्ष लगभग दोगुनी हो गयी है। ब्राजील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च ने 2018 की इसी अवधि में जंगल की आग में 83 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। 2013 से शोधकर्ताओं ने ब्राजील में आग लगने की घटना पर नजर रखनी शुरू की है। इस वर्ष के खत्म होने में अभी कुछ महीने बाकी हैं, लेकिन पिछले वर्ष के मुकाबले 2019 में एक वर्ष में आग लगने की सबसे अधिक संख्या की गणना की गयी है। 
अमेजन 5–5 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला दुनिया का सबसे बड़ा वर्षावन है, जिसका 60 फीसदी हिस्सा ब्राजील में स्थित है। अमेजन हमारे ग्रह के कार्बन डाई ऑक्साइड के स्तर को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पेड़–पौधे कार्बन–डाईऑक्साइड सोख लेते हैं और प्रकाश संश्लेषण की अपनी प्रक्रिया में हवा में वापस ऑक्सीजन छोड़ते हैं। अमेजन क्षेत्र में पिछले 12 महीने में 5879 वर्ग किलोमीटर का जंगल नष्ट हो गया।
अमेजन सैकड़ों मूलनिवासी लोगों, जानवरों और पौधों की हजारों प्रजातियों का केवल घर नहीं है, बल्कि जलवायु और वर्षा को संचालित करने की मुख्य चाभी है। वर्षावन जलवायु परिवर्तन को न्यूनतम करने का कार्य भी करता है, क्योंकि यह लाखों टन कार्बन डाईऑक्साइड सोखता और इकट्ठा करता है। 
ब्राजील की दक्षिणपंथी सरकार ने शुरू में आग की घटनाओं से इनकार किया और पर्यावरण कार्यकर्ताओं पर सवाल किया कि वे सरकार को बदनाम कर रहे हैं और उनको दुनिया के सबसे बड़े जंगल का विनाशक कह रहे हैं। ब्राजील के साथ कृषि व्यापार करने वाले यूरोप के नेताओं ने वनों की कटाई को तुरन्त बंद करने के लिए धमकी दी। फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रोन ने कहा, “यह बहुत दुख की बात है, उनके लिए भी और ब्राजील वासियों के लिए भी।
ब्राजील की वायुसेना हफ्तों तक रोण्डानिया स्टेट के अमेजन के आग पर पानी बरसाती रही है और कुछ सैनिकों को आग क्षेत्र में तैनात किया। लेकिन फिर से बहुत से ब्राजील निवासी रियो दि जनेरियो और अन्य शहरों में प्रशासन से और अधिक कार्यवाई करने की माँग को लेकर सड़कों पर उतर गये। जी–सात देशों के नेताओं ने 20 लाख डॉलर फण्ड अमेजन देशों में जंगल को आग से बचाने के लिए देने पर सहमति जाहिर की और साथ ही वर्षावन को बचाने के लिए एक ग्लोबल पहल भी की। 
विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर आग किसानों और लकड़हारों के द्वारा वन भूमि को खेती में बदलने के लिए लगायी गयी, लेकिन इन वर्षावनों की कटाई में तेजी से वृद्धि हुई। ब्राजील में सूखे के दिनों में जंगल में आग लगना सामान्य बात है, लेकिन इस वर्ष खतरनाक आग की घटनाएँ दर्ज हुर्इं। देश की राष्ट्रीय अनुसंधान संस्था जो कि वनोन्मूलन को संचालित करती है, उसने कहा, “हजारों तरीके की पौधों की प्रजातियाँ और जानवर मर गये, उनमें से बहुतों के बारे में हम नहीं जानते। शहरों के पास की आबादी भयावह नुकसान से गुजर रही है। उन्हें साँस लेने में तकलीफ होती है और वनोन्मूलन के बढ़ने के कारण इस क्षेत्र यहाँ तक की दक्षिण अमेरिका में वर्षा चक्र पूरी तरह से बदल गया और खेती उजड़ गयी।
ब्राजील की संघीय पुलिस संस्था ने रविवार को घोषणा की कि जाँच–पड़ताल रिपोर्ट में पारा स्टेट के किसान सबसे ज्यादा आग से प्रभावित हुए। बोल्सनारों का विदेशी सरकारों के साथ तनाव पूर्ण रिश्ता है–– जिसने जर्मनी और गैर सरकारी समूह पर आरोप लगाया कि उनके देश में अमेजन के संचालन में दखलंदाजी कर रहे हैं। 
अगस्त के अन्त में सैटेलाइट से दक्षिण अमेरिका का एक आकाशीय तस्वीर लिया गया जंगल की आग, देशों की सीमाओं की अनदेखी करता हुआ, महाद्वीप के हृदय को निगलता हुआ चारों दिशाओं में फैल रहा है। ब्राजील के अमेजन में आग पिछले आठ वर्षों में बढ़ी है। सेराडों सवाना में आग की ज्वाला बढ़ रही है। पेरु के वर्षावन क्षेत्र के शहर में धुएँ के कारण साँस अवरुद्ध हो रही है। जहाँ पर आगजनी 2018 के स्तर से दुगुनी हो गयी। सावो पॉलो 4000 किलोमीटर के काले बादलों में डूब गया। आग बोलिविया, ब्राजील और पेरुग्वे के 40,000 हेक्टयर वनस्पति क्षेत्र में फैला है। ब्राजील, पेरुग्वे और पेरू में भंगुर वनस्पति की क्षति और लुप्तप्राय जंगली जीवों का विनाश बयान से परे है, स्थानीय पर्यावरणविद ने रेपोर्टिंग किया कि प्रभावित क्षेत्र की पुनर्वापसी में सैकड़ों वर्ष लग जाएँगे। 
एक खुले खत में, एक समूह ने बोल्सनारों और ईवो मोरालिस जो क्रमश: ब्राजील और बोलिविया के राष्ट्रपति हैं उन पर “अमेजन को गायब करने शारीरिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक नरसंहार का आरोप लगाया, जो अपने कार्य और निष्क्रियता से हर दिन अमेजन को खराब कर रहें हैं।”
विश्व के ऑक्सीजन का 20 प्रतिशत हिस्सा अमेजन के जंगलों से आता है। यह जैव विविधता का अनोखा विशाल भण्डार है, वैश्विक जलवायु का एक संचालक भी है। जी–7 के देशों ने 20 लाख डॉलर का अनुदान दिया। इसके अलावा, अमेजन फण्ड प्रोग्राम के तहत एक अरब डॉलर दिया जा रहा है। फ्रांस और आयरलैण्ड ने संकेत किया है कि ब्राजील ने पर्यावरण के सम्बन्ध में जो समझौता किया वह सही दिशा में नहीं जा रहा है। इसी तरह फिनलैण्ड ने ब्राजील में बीफ निर्यात पर प्रतिबंध का सुझाव दिया है। 
जो भी हो दक्षिण अमेरिका के जंगलों को बचाने का कोई भी प्रयास वहाँ रहने वाले लोगों के बारे में जाने बिना नहीं हो सकता है। पिछली सदी में यूरोपीय बीमारियों और हमलों ने अमेजन की देशज सभ्यता को तबाह कर दिया। आज सैकड़ों वर्षों के बंदोबस्त और राज्य प्रायोजित औपनिवेशीकरण के बावजूद अमेजन घाटी में 30 लाख लोगों के घर हैं जो कुछ शहरों और सैकड़ों छोटे कस्बों, गाँवों में फैले हुए हैं। यहाँ मुख्य रूप से गरीब, एफ्रो–वंशज और मिश्रित नस्ल की आबादी रहती है। किस तरह उनकी भौतिक आवश्यकताओं को दरकिनार करके सरकार के द्वारा राजनीतिक और आर्थिक फायदे के लिए वर्षावन को उजाड़ने का काम शुरू हुआ। इसे अमेजन को बचाने की आवश्यकताओं के साथ जोड़कर समझना जरूरी है।
12 जून 1992 के रियो दि जनेरियों में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन में फिदेल कास्त्रो ने पर्यावरण और विकास पर एक संक्षिप्त ऐतिहासिक भाषण दिया था। जलवायु परिवर्तन का जिक्र करते हुए उन्होंने चेतावनी दी, “एक महत्त्वपूर्ण जैविक प्रजाति–– मानवजाति–– के सामने अपने प्राकृतिक वास–स्थान के तीव्र और क्रमश: बढ़ते विनाश के कारण विलुप्त होने का खतरा है।” आज जब ग्रह का सबसे बड़ा फेफड़ा अमेजन अनियंत्रित रूप से जल रहा है, निश्चित रूप से बहुत से लोग फिदेल के शब्दों को याद कर रहे हैं।
वैज्ञानिक खोज दिखाते हैं कि अमेजन वर्षावन में वनोन्मूलन ने क्षेत्रीय वर्षा को घटा दिया। जंगल सूखने के कारण ज्यादा आग फैल रही है। यह पूर्ण रूप से गैर जिम्मेदाराना है कि जिससे पूरी मानवता प्रभावित होती है, उसको बचाने के लिए, पहले 20 दिनों में आग से लड़ने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। यह इतिहास की सबसे विनाशकारी पारिस्थितिकी आपदा है। फिदेल ने पृथ्वी सम्मेलन में कहा था, “पर्यावरण के नृशंस विनाश के लिए उपभोक्तावादी समाज ही मुख्यत: जिम्मेदार है।” उन्होंने आगे कहा, “जंगल गायब हो रहे हैं, रेगिस्तान का विस्तार हो रहा है, अरबों टन उपजाऊ मिट्टी हर वर्ष समुद्र में बह जाती है। बहुत सारी प्रजातियाँ विलुप्त होती जा रही हैं। आबादी का दबाव और गरीबी में भी जीवित रहने की विवशता आदमी को निराशोन्मत प्रयासों की ओर धकेलती है, यहाँ तक कि प्रकृति के विनाश की कीमत पर भी। तीसरी दुनिया के देशों यानी कल के उपनिवेश और आज के देश जो एक अन्यायपूर्ण आर्थिक विश्वव्यवस्था में शोषण और लूट के शिकार हैं, को इस सबके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।”