क्रिप्टो करेंसी छद्म, आभासी और डिजिटल मुद्रा है। यह कानूनी रूप से स्वीकार्य (लीगल टेंडर) नहीं है। हाल ही में, पहली क्रिप्टो करेंसी बिटक्वाइन जो 2009 में आयी थी, उसका मूल्य 51 लाख रुपये तक पहुँच गया है, जो इस छद्म मुद्रा के अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते कारोबार और लेन–देन की तरफ इशारा करता है। यह इस बात को ताकत देता है कि “क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने का मतलब कम समय में ज्यादा पैसे कमाना है।’’ इसके फलस्वरूप नौजवानों में लालच बढ़ रहा है, खासकर भारत में जहाँ लोग कम्प्यूटर की कुछ जानकारी रखते हैं। इसका नतीजा है कि क्रिप्टो करेंसी की माँग और इससे सम्बन्धित लेन–देन में बेतहाशा बढोतरी हुई है। इस पूरी प्रक्रिया में ज्यादातर लोग कर्ज के दुश्चक्र में फँस जाएँगे। तेलंगाना के एक निजी स्कूल के अध्यापक खम्मम का आत्महत्या को मजबूर होना क्रिप्टो करेंसी के ऊँचे स्तर की जुएबाजी का एक नमूना है। इसने मुख्यधारा के मीडिया को इस पहलू पर चर्चा के लिए मजबूर कर दिया और एक राष्ट्रीय चैनल प्रतिदिन सुझाव देते हुए स्पॉटलाइट कार्यक्रम में प्रसारित कर रहा है कि क्रिप्टो करेंसी में निवेश कैसे करें।

जुएबाजी की लत के साथ अपने गहरे सम्बन्ध के चलते यह अर्थव्यवस्था के साथ–साथ लोगों के लिए भी हानिकारक है। हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी की बेहद अस्थिर कीमतों को देखते हुए इस पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए जो इसमें निवेश करने वाले बहुसंख्यकों के जीवन को खतरे में डालती है। इसके विपरीत, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सम्बधित स्वेदेशी जागरण मंच, जो आर्थिक मुद्दों पर अपनी राय रखता है, उसने क्रिप्टो करेंसी पर लगे प्रतिबन्ध का कड़ा विरोध किया, बल्कि उसके अनुसार सरकार को क्रिप्टो करेंसी को मान्यता देनी चाहिए क्योंकि बहुत से लोगों ने इसमें निवेश किया है। संसद के शीतकालीन सत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा क्रिप्टो करेंसी के लिए विधेयक पेश करनेवाले बयान से सरकार की इस छद्म मुद्रा को बढ़ावा देने की मंशा जाहिर होती है। दिसम्बर 2021 में ‘नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च’ द्वारा आयोजित सम्मेलन में अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि किसी भी देश के लिए क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबन्ध लगाना एक गम्भीर चुनौती है। इसलिए विभिन्न देशों के आपसी सहयोग से क्रिप्टो करेंसी पर एक अन्तरराष्ट्रीय नीति तैयार करना बेहद जरूरी है। यह स्पष्ट रूप से इस तथ्य को दिखाता है कि वैश्विक स्तर पर छद्म मुद्रा के तेज, त्वरित और व्यापक विस्तार के पीछे साम्राज्यवादी ताकतों का फायदा है। इसके अलावा क्रिप्टो बाजार में कदम रखने के लिए कम्पूटर की जानकारी होना एक जरूरी शर्त है। यही फायदा मौजूदा सरकार के ‘सभी के लिए डिजिटल साक्षरता’ प्राप्त करने के उत्साह के पीछे हो सकता है, जिसमें ‘सभी की साक्षरता’ का लक्ष्य पीछे छूट गया।

क्रिप्टो करेंसी

कानूनी रूप से स्वीकार्य (लीगल टेंडर) न होने के चलते इसका अस्तित्व सरकार या केन्द्रीय बैंकों से बिलकुल भी जुड़ा हुआ नहीं है। क्रिप्टो करेंसी डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी के एक रूप का उपयोग करती है जिसे ब्लॉक चेन–– क्रिप्टो ग्राफिक मैकेनिज्म कहा जाता है जो भुगतान के लेनदेन को मान्य बनाने के लिए एक साथ चेन वाले ब्लॉकों में जानकारी संग्रहीत करती है। चूँकि यह बहुत सारे कम्प्यूटर में बिखरी हुई होती है इसलिए सरकारी नियंत्रण के दायरे से बाहर है। इसका दोहरा उपयोग सम्भव नहीं है। इसलिए नकली नहीं बनाया जा सकता। मतलब छद्म मुद्रा के लिए छद्म मुद्रा बनाना सम्भव नहीं। वाह! दाँव खेलने के लिए ढेर सारे वैकल्पिक क्वाइन (सिक्के) जैसे लाइट क्वाइन, डौगी क्वाइन, पीर क्वाइन, एथेरियम जैसी 6000 मुद्राएँ अभी पैदा हुई और प्रचलन में हैं। 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया बिटक्वाइन एक अज्ञात व्यक्तिगत समूह सतोशी नाकामोतो द्वारा बनायी गयी पहली मुद्रा थी। 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के पैदा होने के पीछे यह तर्क खूब प्रचारित–प्रसारित किया गया कि इसकी मुख्य वजह थी मुद्रा की आपूर्ति, जिसका नियंत्रण राष्ट्रीय सरकारों के पास है। इसलिए बिटक्वाइन का एक अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर पैदा होना समस्या का समाधान है। इस तरह सरकार/केन्द्रीय बैंक और रिजर्व बैंक से मुद्रा का नाता तोड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई। अगस्त 2021 तक 1–88 करोड़ बिटक्वाइन प्रचलन में आ गयी, जिनका बाजार मूल्य 65,000 अरब रुपये है। बिटक्वाइन, जिसे वैकल्पिक वैश्विक मुद्रा के तौर पर लोकप्रिय बनाया गया है, इसे अमरीकी डॉलर के रूप में व्यक्त किया जाता है, यह एक गम्भीर अन्तर्विरोध है।

 कुल 2.1 करोड़ बिटक्वाइन बनाये गये हैं, एक बार जब वे उन्हें खनन के साथ बाहर निकालते हैं, तो उनकी संख्या नहीं बढ़ायी जा सकती। हालाँकि, बहुत सारे वैकल्पिक क्वाइन्स पहले ही बना लिए गये हैं। अगस्त 2021 तक उनका कुल मूल्य 1,52,000 अरब रुपये से भी ज्यादा था। जिसमें बिटक्वाइन की हिस्सेदारी 40.5 प्रतिशत है।

क्रिप्टो करेंसी के समर्थन में दिये गये तर्क क्या संकेत देते हैं ?

क्रिप्टो करेंसी एक छद्म मुद्रा है जिसे वास्तविक वैश्विक मुद्रा के तौर पर लोकप्रिय बनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य सरकार या केन्द्रीय बैंक के मुद्रा की आपूर्ति के एकाधिकार को तोडना है। इस प्रकार इसका उद्देश्य मुद्रा की आपूर्ति को निजी करना है। क्रिप्टो करेंसी पूरी दुनिया की पहुँच में होगी। यानी इस छद्म मुद्रा का चरित्र वैश्विक है। यह मुद्रा की आपूर्ति के निजीकरण और वैश्वीकरण को मजबूत करता है।

मुद्रा की आपूर्ति के बढ़ने से महँगाई की समस्या को बिटक्वाइन की निश्चित आपूर्ति से पूरा किया जाएगा। लेकिन हजारों दूसरे उभरते वैकल्पिक क्वाइन का क्या ?

वास्तव में क्रिप्टो करेंसी से होने वाला लाभ हास्यास्पद है। कम लागत, आसान स्थानान्तरण और सरकार के दखल न होने को एक कुशलता के रूप में बताया जा रहा है। साथ ही साथ कानूनी मान्यता प्राप्त टेंडर के प्रसार के लिए एक विशाल बैंकिंग नेटवर्क की जरूरत पड़ती है, जो काफी महँगा पड़ता है लेकिन क्रिप्टो करेंसी के हस्तान्तरण के लिए ऐसा कुछ जरूरी नहीं। क्रिप्टो करेंसी की आपूर्ति बाजार की ताकत द्वारा निर्धारित है जो उनके लिए सार्थक है।

अपने आरम्भ से ही क्रिप्टो करेंसी का इतिहास करोड़ों रुपये की हैकिंग और चोरी को दर्शाता है। इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हवाला कारोबार और आपराधिक मामलों में हुआ है। हैकिंग और चोरी के चलते क्रिप्टो एक्सचेंज द्वारा अचानक दिवालियेपन की घोषणा से उन आम लोगों को नुकसान होता है जिन्होंने क्रिप्टो सम्पत्ति में निवेश कर रखा हो।

दुनिया के सबसे बड़े बिटक्वाइन एक्सचेंज एमटी गोक्स ने 2014 में चोरी के कारण 47.30 करोड़ डॉलर की कीमत के 8 लाख 50 हजार बिटक्वाइन खोये, जिसके बाद इन्होंने खुद को दिवालिया घोषित किया जिसका सबसे बड़ा नुकसान आम लोगों को हुआ। होमेरो जोश गरजा जिसने स्टार्टअप की शुरुआत की थी उसपर धोखाधड़ी करने के कारण 9.1 अरब डॉलर का जुर्माना लगा। इसी तरह नवम्बर 2017 में टेथर एक्सचेंज, 2018 में बिटक्वाइन गोल्ड, जून 2018 में कोरियन एक्सचेंज लाखों डॉलर की क्रिप्टो करेंसी की चोरी का शिकार हुए। छद्म मुद्रा के लिए छद्म वेबसाइट आम बात है। यह ध्यान देने वाली बात है कि इतने अधिक नुकसानदेह परिणामों के बावजूद अन्तरराष्ट्रीय संस्थाएँ और प्रभावशाली देश क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगाने और इसके खिलाफ कारवाई से कतरा रहे हैं।

कई देशों ने क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबन्ध लगाया

एमटी गोक्स द्वारा अचानक दिवालिया होने की घोषणा की प्रतिक्रिया में यूनाइटेड किंगडम, अमरीका और यूरोपीय संघ ने क्रिप्टो करेंसी को नियंत्रित करने के लिए जाँच पड़ताल शुरू की है। हालाँकि इन्होंने इस पर प्रतिबन्ध लगाने का कोई फैसला नहीं लिया। इस दौरान ‘जागरूकता’ अभियान, मंच, एक्सचेंज, लोगों को आकर्षित करने के लिए विज्ञापन, क्रिप्टो करेंसी से सम्बन्धित नेटवर्क वैश्विक स्तर पर मजबूत हुए हैं। मार्च 2018 में क्रिप्टो करेंसी ने मरीयम वेबस्टर डिक्शनरी और उसके बाद ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में जगह बनायी। यूरोपीय संघ की संसद ने क्रिप्टो करेंसी को परिभाषित किया। इस प्रकार इन सबने इसे स्वीकार करने के लिए एक रास्ता तैयार किया।

पॉल क्रुगमैन जिन्हें 2008 में अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार मिला था, उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करेंसी ने दुनिया भर में काले धन को सफेद करने के कारोबार (मनी लौन्डरिंग) को आगे बढ़ाया है और यह एक बुलबुला है जो खत्म नहीं होगा। जबकि अमरीका के बड़े व्यवसायी वारेन बफेट ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी काले धन के कारोबार का सूचक है जिसका अन्त बुरा होगा। 2021 में ही सभी सरकारों ने क्रिप्टो करेंसी के नियंत्रण की जरूरत पर बात करनी शुरू की।

भारत समेत 38 देशों की सदरस्यता वाले “वित्तीय कार्रवाई कार्य बल” ने जोर देकर कहा कि हवाला कारोबार पर क्रिप्टो करेंसी के प्रभाव को देखते हुए इसे नियंत्रित किया जाना चाहिए और साथ ही जून 2020 में ट्रेवल रूल में सुधार कर इसके लेन–देन का मानकीकरण तैयार किया।

सितम्बर 2020 में यूरोपीय आयोग ने डिजिटल फाइनेंस पर अपनी रणनीति प्रकाशित की, जबकि ‘अमरीकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग’ ने इसका परीक्षण शुरू किया, वहीं यूके ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी से सम्बन्धित सभी फर्म को ‘फाइनेंसियल कंडक्ट अथॉरिटी’ में पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा।

जी–10 देशों के समूह के केन्द्रीय बैंक गवर्नरों द्वारा निर्देशित बैंकिंग देखरेख की ‘बासल कमिटी’ ने प्रस्तावित किया कि यदि कोई बैंक क्रिप्टो सम्पत्ति को लेता है तो उसे पहले से ही अनुमानित घाटे के बराबर रकम को अलग रखना होगा। मई 2021 में चीन ने क्रिप्टो करेंसी से सम्बन्धित सभी लेन–देन पर रोक लगा दी। दक्षिण अफ्रीका ने कई घोटालों का सामना किया जिसमें सबसे महत्त्वपूर्ण राएस कैगी और अमीर कैगी का गायब होना है जो ‘अफ्रीक्रिप्ट एक्सचेंज’ के संस्थापक हैं, जिनके पास अप्रैल 2021 में 3.8 अरब डॉलर के बिटक्वाइन थे। इसी तरह ‘मिरर ट्रेडिंग इण्टरनेशनल’ जिसके पास 17 करोड़ डॉलर थे वह अचानक खत्म हो गया। इसलिए सरकार 2022 में इसके लेन–देन को लेकर नियम कानून बना रही है। दक्षिण कोरिया ने मार्च 2021 से नये कानून बनाये जिसमें क्रिप्टो करेंसी से सम्बन्धित सभी फर्मों को ‘कोरिया फाइनेंस इण्टेलिजेंस यूनिट’ में पंजीकृत कर सूचना सुरक्षा प्रबन्धन प्रणाली से प्रमाणपत्र लेना होगा। अप्रैल 2021 में तुर्की गणराज्य ने क्रिप्टो करेंसी के जरिये क्रिप्टो सम्पत्ति की खरीद पर रोक लगायी। इसके उलट 2021 में अल सल्वाडोर ने बिटक्वाइन का कानूनी रूप स्वीकार किया जबकि अगस्त 2021 में क्यूबा ने इसे अपनाया।

नवम्बर 2021 में क्रिप्टो करेंसी को लेकर देशों के दृष्टिकोण की समीक्षा करने वाली कांग्रेस ने कहा 113 देशों के व्यापारिक संगठन क्रिप्टो करेंसी और क्रिप्टो सम्पत्ति को लेकर कानून बना रहे हैं जबकि 42 देशों ने क्रिप्टो करेंसी पर रोक लगायी है जिसमें पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगाने वाले देश अल्जीरिया, बांग्लादेश, चीन, नेपाल, मिस्र, इराक, मोरक्को और ट्यूनीशिया हैं।

क्रिप्टो सम्पत्ति और वैधता

अमरीकी इण्टरनेशनल रिवेन्यू सर्विस ने 2014 में बिटक्वाइन को सम्पत्ति के रूप में मान्यता दी और उस पर टैक्स लगाया। कानूनी मान्यता के साथ बिटक्वाइन को आयकर रिटर्न भरने चाहिए। बिग वॉल स्ट्रीट ने 17 मार्च 2017 को घोषणा की कि वह अपने अमीर ग्राहकों को बिटक्वाइन के बदले धन उपलब्ध कराएगी। जबकि कॉर्पोरेट जगत की सबसे बड़ी कम्पनी बीएनवाई मेलोन ने 11 फरवरी 2021 से क्रिप्टो करेंसी में सेवाएँ उपलब्ध कराने की घोषणा की। अप्रैल 2020–21 से वेनमो डिजिटल वॉलेट सर्विस देने वाली कम्पनी ने अपने 6 करोड़ ग्राहको जिसमें छात्र और छोटे व्यवसायी शामिल हैं, उनको क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन और जमा करने के लिए एक मंच तैयार किया। पीटर्सबर्ग विश्वविद्यालय के ‘लेजर’ पीर रिव्यू जर्नल में क्रिप्टो करेंसी से सम्बन्धित लेख प्रकाशित होंगे। यह सभी अमरीका द्वारा क्रिप्टो करेंसी को मान्यता देने के प्रमाण हैं।     

अमरीकी रेड क्रॉस, यूनिसेफ और यूएन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने क्रिप्टो करेंसी में दान लेने की हामी भरी ताकि क्रिप्टो करेंसी और सम्पत्ति को मजबूती से लागू किया जा सके।

भारतीय क्रिप्टो करेंसी

भारत की बहुचर्चित हस्ती अमिताभ बच्चन और उनके लड़के अभिषेक बच्चन ने 2015 में सिंगापुर की फर्म मेरिडियन टेक पीटीई से ढाई लाख डॉलर की क्रिप्टो करेंसी खरीदी जिसकी कीमत 2017 में 133 करोड़ रुपये हो गयी। इन सबने भारतीय युवा निवेशकों को क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने को प्रोत्साहित किया और उसे लोकप्रिय बनाया ताकि मन्दी के दौर में कम समय में आसानी से धन बटोरकर विलासितापूर्ण जीवन जिया जा सके। इसी के परिणामस्वरूप 2017 में पहला भारतीय क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज अस्तित्व में आया, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं–– क्वाइन स्विच कूबर, क्वाइन डीसीएक्स, वजीर एक्स, जेड पे, जिसमें अमिताभ बच्चन खुद क्वाइन डीसीएक्स के ब्रांड अम्बेसडर हैं।

शुरू में इसे बढ़ावा देने वाले सोच रहे थे कि यह सिर्फ महानगरों तक सीमित रहेगा लेकिन जल्दी ही यह शहर और कस्बों में फैल गया। अभी यह लगभग 4000 शहरों तक फैला हुआ है और इसमें निवेश करने वालों की औसत उम्र 25 साल है। ब्रोकर पोर्टल , ब्रोकर जूसर की अक्टूबर 2021 की रिपोर्ट बताती है कि भारत दुनिया में क्रिप्टो मार्केट में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा निवेश करने वाला देश (10 करोड़ निवेशक) बन गया है जबकि अमरीका 2.74 करोड़ निवेशकों के साथ दूसरे स्थान पर है।

शुरू में क्रिप्टो करेंसी को लेकर भारत की अवस्थिति दृढ नहीं थी। 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबन्ध लगाया जिसे 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया। हालाँकि प्रतिबन्ध के दौरान क्रिप्टो करेंसी से सम्बन्धित गतिविधियाँ बन्द नहीं हुई। प्रतिबन्ध हटने पर इसने तेज गति हासिल जरूर की। कीमतों में बहुत उतार–चढ़ाव के बावजूद इसका फैलाव नहीं रुका। निवेशक जानते हैं ‘यह एक बड़ा जुआ है’ वे इस अनुमान के साथ निवेश करते हैं कि ‘बुद्धिमान और समझदार को नुकसान नहीं होगा’। जल्दी से अधिक पैसा कमाना एक बड़ी कमजोरी है। यह लालच युवाओं के दिमाग पर मजबूती से असर डालता है। इसलिए लोग इस बात को सुनना ही नहीं चाहते कि क्रिप्टो करेंसी एक छद्म मुद्रा है। सबसे बड़े स्टॉक ब्रोकर जीरोधा का उपयोग करने वाले 70 लाख लोग हैं, जबकि क्वाइन स्विच कुबर क्रिप्टो एक्सचेंज के 110 लाख। इसके अलावा, भारत से क्रिप्टो करेंसी में 3,040 अरब रुपये से ज्यादा का निवेश है।

ब्रोकर चूज दु:ख जाहिर करती है कि कानूनी सुरक्षा की अनुपस्थिति के बावजूद क्रिप्टो करेंसी के उपयोगकर्ता भारत में अन्धाधुन्ध गति से बढ़ रहे हैं।

जर्मनी , अमरीका, यूके , स्वीटजरलैंड और ऑस्ट्रेलिया की शिकायत पर क्वाइन स्विच कुबेर ने 80,000 खाते, वजीर एक्स ने 14469 खाते बन्द कर दिये। हाल ही में वजीर एक्स की जाँच शुरू की गयी, क्योंकि इसने 2700 करोड़ रुपये की लेनदेन में एफईएमए (फेमा) कानून का उल्लंघन किया।

आभासी मुद्रा को समझने और उस पर प्रस्ताव रखने के लिए नवम्बर 2017 को भारत में एक उच्च स्तरीय अन्तर–मंत्रालय कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने 28 फरवरी 2019 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें दो बातें थीं (1) क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबन्ध के लिए संसद में एक कानून लाया जाये (2) आरबीआई द्वारा लागू की गयी डिजिटल करेंसी के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनायी जाये।

सुप्रीम कोर्ट के वकील और साइबर लॉ एक्सपर्ट डॉ प्रणव दुग्गल ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी लोगों के साथ अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक है। उन्होंने कहा कि आईपीएल 2022, आईसीसी मैच, टी–ट्वण्टी वर्ल्ड कप क्रिकेट में युवाओं को आकर्षित और भ्रमित करने वाले इसके विज्ञापनों पर भी प्रतिबन्ध लगना चाहिए। यह सोचने वाली बात है कि नासकॉम ने क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबन्ध का विरोध किया है। इसके अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंशा जाहिर की कि संसद में क्रिप्टो करेंसी पर विधेयक पारित किया जाएगा, पर प्रतिबन्ध से सम्बन्धित बिल नहीं लाया जाएगा। विशेषज्ञ आकलन कर रहे हैं कि प्रस्तावित विधेयक क्रिप्टो सम्पत्तियों को निवेश के रूप में मान्यता देगा और इसलिए, उस पर पूँजीगत लाभ के रूप में टैक्स लागू करेगा।

यह सब स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि क्रिप्टो करेंसी त्वरित गति से बढ़ेगी।

क्रिप्टो करेंसी–– पर्यावरण पर प्रभाव

क्रिप्टो करेंसी के खनन और पू्रफ ऑफ वर्क से सम्बन्धित इसकी गतिविधियाँ बड़ी मात्रा में बिजली की खपत करती हैं और भारी मात्रा में कार्बन फुटप्रिंट छोड़ती हैं। इस तरह, इसकी पैदाइश महँगी और पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इसलिए यह कहना हास्यास्पद है कि इसका निर्माण सस्ता है। अकेले 2017 में बिटक्वाइन खनन से 943 मेगावाट बिजली खर्च हुई। बिटक्वाइन, एथेरियम, लिटक्वाइन और मोनेरो की कार्य ब्लॉक श्रृंखलाओं का सबूत बनाने में जनवरी 2016 से जून 2017 के दौरान 3 से 15 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन हुआ। सितम्बर 2021 में यह अनुमान लगाया गया कि अकेले बिटक्वाइन का वार्षिक इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्सर्जन 30.7 मीट्रिक किलो टन और कार्बन फुटप्रिंट कचरा उत्सर्जन 95.90 मीट्रिक टन है। इसके अलावा, अकेले बिटक्वाइन का वार्षिक बिजली खर्च 201.89 अरब किलोवाट है। इस तरह, क्रिप्टो करेंसी का प्रसार किसी दूसरे काम के लिए बिजली नहीं छोड़ेगा। इसके अलावा, यह पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन जैसे मामले के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक है।

निगमीकरण की ओर

क्रिप्टो करेंसी जुएबाजी का दूसरा नाम है। अक्टूबर 2021 में ऑस्ट्रेलिया में एसीएक्स एक्सचेंज अचानक यह कहते हुए ढह गया कि उसने 380 करोड़ रुपये की क्रिप्टो करेंसी गवाँ दी है। इसी तरह, एक अन्य एक्सचेंज माईक्रिप्टो वॉलेट–– जिसके लेन–देन सैकड़ों–हजारों अमरीकी डॉलर के हैं, अचानक दिवालिया घोषित हो गया। दूसरी तरफ, यह भी साबित हो चुका है कि हवाला, आपराधिक और अवैध गतिविधियों के लिए क्रिप्टो करेंसी सबसे अच्छा वित्तीय साधन है। एकाधिकारी पूँजीवाद की प्रवृत्ति में साम्राज्यवादी लूट और शोषण को मजबूत करने की प्रक्रिया स्वाभाविक रूप से दुनिया के अपराधीकरण को मजबूत करती है, यही आज की सच्चाई है। वे एक दूसरे को मजबूत करते हैं। वे साथ रहते हैं। लेकिन, इसके ठीक उल्टा प्रचार करते हैं कि यह सब केवल आम लोगों के फायदे के लिए है। भारतीय नौजवान जो इस विकृत दुष्चक्र में फँसे हुए हैं, हमेशा कहते हैं कि क्रिप्टो करेंसी की जुएबाजी में बुद्धिमान लोग कभी नुकसान नहीं उठाएँगे। जब क्रिप्टो एक्स्चेंज द्वारा दिवालियापन की अचानक घोषणा हो जाए तो इसमें किसी निवेशक की व्यक्तिगत बुद्धिमानी की क्या भूमिका है ?

भारत में प्रभुत्वशाली ताकतों के लिए क्रिप्टो करेंसी सॉफ्टवेयर में लगे युवाओं की जमापूँजी को स्थानान्तरित करने का ताकतवर साधन है। इसलिए, यह निगमीकरण की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि, शक्तिशाली कॉर्पाेरेट ताकतों द्वारा दिये गये समर्थन से क्रिप्टो करेंसी के प्रसार का गहरा नाता है। एलन मस्क, टेस्ला इंक के सीईओ और स्पेस एक्स, ट्विटर के सीईओ, जैक डोर्सी क्रिप्टो करेंसी स्वीकार करते हैं और उनके पास इसकी भरपूर मात्रा है। गूगल की सहायक कम्पनी अल्फाबेट इंक के सीईओ सुन्दर पिचाई गर्व से कहते हैं कि उनका 11 साल का बेटा एथेरियम माइनिंग कर रहा है। इसी तरह, फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के सीईओ टिम कुक ने कहा कि वे बिटक्वाइन के मालिक हैं। इसके अलावा अमेजन के सीईओ और संस्थापक जेफ रे प्रेस्टन बेजोस का कहना है कि वह बिटकॉइन्स और एथेरियम के मालिक हैं। बिल गेट्स का दृढ़ मत है कि कानूनी निविदा के लिए क्रिप्टो करेंसी बेहतर है। इस तरह, सभी वैश्विक कॉर्पाेरेट दिग्गज खुले तौर पर क्रिप्टो करेंसी, यानी छद्म मुद्रा को बढ़ावा देते हैं और उसका समर्थन करते हैं।

डॉगी क्वाइन का इतिहास साफ ढंग से बयान करता है कि क्रिप्टो करेंसी को भले ही बना कोई भी ले, पर उसका अस्तित्व, विकास और मूल्य शक्तिशाली कॉर्पाेरेट ताकतों द्वारा निर्धारित और निर्देशित किया जाएगा। क्रिप्टो का मजाक उड़ाने के लिए 2013 में दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर बिली मार्कर्स और जैक्सन पामर ने कुत्ते के लोगोवाले डॉगी क्वाइन बनाये, जिन्हें मीम क्वाइन कहा जाता है। यह उनके इण्टरनेट समूह में प्रचलन में है। देखते ही देखते इसकी कीमत बढ़ने लगी। डॉगी क्वाइन के सह–संस्थापक जैक्सन पामर ने यह बताते हुए कि क्रिप्टो सिक्का शोषण का साधन है और संस्थापक को अमीर बना देगा, समूह छोड़ दिया। इस बीच, एलन मस्क ने अपने ट्वीट में डॉगी क्वाइन का समर्थन किया। दिलचस्प बात यह है कि उनके हर ट्वीट से डॉगी क्वाइन के मूल्य में वृद्धि हुई। 5 मई, 2021 तक इसका बाजार पूँजीकरण 85 अरब डॉलर तक पहुँच गया और इसकी वार्षिक वृद्धि 20,000 गुना से अधिक हो गयी। मार्क क्यूबन डलास ने घोषणा की कि वह अपने लेनदेन में डॉगी क्वाइन स्वीकार करेगा। इसके परिणामस्वरूप डॉगी क्वाइन के लेन–देन में अचानक वृद्धि हुई। 9 मई, 2021 को स्पेस एक्स ने घोषणा की कि उसका पहला स्पेस मिशन डॉगी क्वाइन के जरिये ही फंड जुटाएगा। इस तरह, मजाक उड़ाने के मकसद से बनाया गया सिक्का शक्तिशाली कॉर्पाेरेट ताकतों की घोषणा के चलते महत्त्वपूर्ण क्रिप्टो करेंसी में से एक बन गया।

निष्कर्ष

रुपये की आपूर्ति को सरकार से हटाकर निजी करने की प्रक्रिया में क्रिप्टो करेंसी पैदा हुई। साम्राज्यवादी शोषणकारी ताकतों के मुनाफे के साथ इसके गहरे नाते के चलते, इसका जल्दी ही वैश्वीकरण हो गया। इस तरह, क्रिप्टो करेंसी का अस्तित्व, विस्तार और विकास कॉर्पाेरेट ताकतों द्वारा निर्देशित ढाँचे में होगा। यह आम लोगों को लूटने का एक मजबूत वित्तीय साधन है। साम्राज्यवादी शोषक ताकतें हमेशा शोषण के साधन खोजती हैं। इसलिए शोषणकारी व्यवस्था को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए जिससे हर तरह के शोषण के उपकरण ख़त्म हों। यह मजबूत जन आन्दोलनों के निर्माण की माँग करता है।